गुरुवार को महाराष्ट्र की महायुति सरकार की कैबिनेट मीटिंग में डिप्टी सीएम अजित पवार का केवल 10 मिनट के भीतर उठकर चले जाना कई सवाल खड़े कर गया है। यह घटना उस समय हुई जब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई में कैबिनेट की बैठक का आयोजन किया गया था, जिसमें राज्य के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद थी।
अजीत पवार की नाराजगी के संकेत
कैबिनेट मीटिंग की शुरुआत रतन टाटा को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई। इसके बाद, जैसे ही बैठक शुरू हुई, पवार ने अचानक बैठक छोड़ने का निर्णय लिया। सूत्रों के अनुसार, अजित पवार इस बात से नाराज थे कि कई प्रस्ताव अंतिम समय पर बिना पूर्व सूचना के पेश किए गए। चूंकि वित्त विभाग का प्रभार उनके पास है, इसलिए इस स्थिति ने उनकी नाराजगी को और बढ़ा दिया।
शिवसेना और एनसीपी के बीच टकराव
हाल के दिनों में, शिवसेना और एनसीपी के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हुई है। दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं कि ‘लड़की बहिन योजना’ के क्रेडिट के लिए प्रतिस्पर्धा चल रही है। नतीजतन, शिवसेना के कार्यक्रमों में अजित पवार की तस्वीरें गायब रहती हैं, जबकि एनसीपी के कार्यक्रमों में सीएम शिंदे की तस्वीरें नहीं होतीं। यह सियासी टकराव साफ दर्शाता है कि दोनों दलों के बीच विश्वास की कमी बढ़ रही है।
पवार ने दी सफाई
कैबिनेट की बैठक करीब ढाई घंटे तक चली, हालांकि अजित पवार के जल्दी जाने की खबरें आई थीं। उन्होंने इस पर सफाई देते हुए कहा कि ये सब भ्रामक और झूठी बातें हैं। अजित पवार ने कहा कि उन्हें लातूर में एक कार्यक्रम के लिए फ्लाइट पकड़नी थी, इसलिए वो बैठक से थोड़ी जल्दी निकले। उन्होंने स्पष्ट किया कि बैठक सुबह 11 बजे शुरू होने वाली थी, लेकिन यह थोड़ा लेट हुई। महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के बाद, उन्होंने सीएम शिंदे और उप मुख्यमंत्री फडणवीस को बताया कि उन्हें जल्दी जाना है।
सरकार के फैसले और चुनावी दबाव
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और इसी कारण सरकार पर कई मुद्दों पर जल्दी-जल्दी निर्णय लेने का दबाव है। हाल ही में बजट में कई बड़ी घोषणाओं को लेकर आलोचना भी की जा रही है। इस बार बजट में ‘लड़की बहिन योजना’ के लिए 48 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
कैबिनेट मीटिंग में अन्य महत्वपूर्ण फैसलों में राज्य के अनुसूचित जाति आयोग को वैधानिक दर्जा देने का प्रस्ताव और ओबीसी कोटे में स्कॉलरशिप के लिए क्रीमी लेयर की सीमा को 8 लाख से बढ़ाकर 15 लाख करने का अनुरोध शामिल था। इन सबके बीच, पवार का बैठक छोड़ना सरकार के अंदरखाने की खटास को उजागर करता है, जो आगामी चुनावों में महत्त्वपूर्ण साबित हो सकता है।
वित्त विभाग की आपत्तियाँ
कैबिनेट मीटिंग के दौरान वित्त विभाग ने कई प्रस्तावों पर आपत्तियाँ उठाई हैं, जिनका विचार करना आवश्यक था। इस स्थिति ने पवार की स्थिति को और कमजोर किया है, जिससे यह साफ है कि पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ रहा है। वहीं महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए चुनाव आयोग की टीम ने दो दिवसीय दौरा पूरा कर लिया है। चुनाव आयोग ने कहा कि चुनाव 26 नवंबर से पहले कराना होगा, क्योंकि नवंबर में विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। सभी पार्टियां चुनावी रणनीतियों पर काम कर रही हैं।