Pakistan-China relations

‘ऑल-वेदर फ्रेंडशिप’ पर मंडरा रहा संकट? चीन के शीर्ष सैन्य अधिकारी अचानक पहुंचे पाकिस्तान

Pakistan-China relations: पाकिस्तान और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे मजबूत संबंधों में अब दरारें दिखाई देने लगी हैं। हाल ही में चीन के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी का पाकिस्तान दौरा इस बात का संकेत है कि बीजिंग अपने पड़ोसी देश में अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर रूप से चिंतित है।

चीनी सेना के जनरल का अचानक दौरा

बुधवार को चीन की सेना के प्रमुख जनरल झांग योशिया एक बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ इस्लामाबाद पहुंचे। उन्होंने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर (Asim Munir) से मुलाकात की और इस दौरान चीनी नागरिकों की सुरक्षा का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया। यह यात्रा ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान में चीनी नागरिकों और परियोजनाओं पर हमले बढ़ गए हैं।

पिछले कुछ वर्षों में, पाकिस्तान में चीनी कर्मचारियों और नागरिकों को निशाना बनाकर कई आतंकवादी हमले हुए हैं। इन हमलों ने चीन को गहरी चिंता में डाल दिया है। खासकर बलूचिस्तान प्रांत में, जहां चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं चल रही हैं, वहां स्थिति और भी नाजुक है।

चीन की बढ़ती चिंता और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

चीन के राजदूत जियांग जैडॉन्ग ने हाल ही में इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि चीनी नागरिकों को निशाना बनाए जाने की घटनाएं चीन के लिए बेहद चिंताजनक हैं। राजदूत ने यह भी स्पष्ट किया कि चीनी नागरिकों की सुरक्षा राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है।

पाकिस्तान की ओर से, विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने आश्वासन दिया है कि उनका देश चीनी नागरिकों और परियोजनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।

दोनों देशों के रिश्तों पर पड़ने वाला प्रभाव

चीन और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से ‘ऑल-वेदर फ्रेंड्स’ का रिश्ता रहा है। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में यह रिश्ता तनाव में दिखाई दे रहा है। चीन ने पाकिस्तान में अरबों डॉलर का निवेश किया है, खासकर सीपीईसी परियोजनाओं में। इन निवेशों की सुरक्षा चीन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

अगर पाकिस्तान चीनी नागरिकों और परियोजनाओं की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर पाता, तो इसका दोनों देशों के आर्थिक और रणनीतिक संबंधों पर गहरा असर पड़ सकता है। चीन अपने निवेश को कम कर सकता है या फिर और अधिक सुरक्षा गारंटी की मांग कर सकता है।