दिल्ली में विधानसभा चुनाव का समय फिर से आ गया है। 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे और 8 फरवरी को नतीजे आ जाएंगे। इस बार दिल्ली में मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच होने की उम्मीद है, जबकि कांग्रेस भी चुनावी जंग में शामिल होने की कोशिश कर रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिल्ली के पहले विधानसभा चुनाव के वक्त यह सब कुछ अलग था? उस वक्त दिल्ली में कांग्रेस का ही पूरी तरह से दबदबा था और बाकी पार्टियों का नामोनिशान तक नहीं था। चलिए, जानते हैं दिल्ली के पहले चुनाव की कहानी, जब राजनीति के मैदान में कांग्रेस ने अपने साम्राज्य की शुरुआत की थी।
दिल्ली का पहला विधानसभा चुनाव
दिल्ली में पहली बार विधानसभा चुनाव 1952 में हुए थे। इस चुनाव से पहले दिल्ली का राजनीतिक ढांचा बिल्कुल अलग था। दिल्ली में विधानसभा की कुल 48 सीटें थीं, जबकि आज दिल्ली विधानसभा में 70 सीटें हैं। 1952 के चुनाव में भाजपा (BJP) का तो अस्तित्व भी नहीं था और कांग्रेस का ही बोलबाला था। कांग्रेस ने 48 में से 36 सीटों पर जीत दर्ज की थी, यानी 75 प्रतिशत सीटें कांग्रेस के पास आ गईं। इसके अलावा, दिल्ली में उस समय 58.52 प्रतिशत लोगों ने वोट डाले थे, जिनमें से 52 प्रतिशत वोट सिर्फ कांग्रेस को मिले थे।
6 सीटों पर चुने गए दो-दो विधायक
दिल्ली के पहले चुनाव में एक बेहद अजीब और दिलचस्प घटना घटी। 6 सीटें ऐसी थीं, जहां पर दो-दो विधायक चुने गए थे। यानी, इन सीटों पर दो अलग-अलग पार्टियों के उम्मीदवार एक साथ विधानसभा में पहुंचे थे। ये सीटें थीं – रीडिंग रोड, रहगर पुरा देव नगर, सीताराम बाजार तुर्कमान गेट, पहाड़ी धीरज बस्ती जुलाहा, नरेला और मेहरौली।
इन सीटों पर उम्मीदवारों की संख्या इतनी ज्यादा थी कि अंत में दो-दो विधायक चुन लिए गए। खासतौर पर रीडिंग रोड सीट पर जनसंघ के उम्मीदवार अमीन चंद और कांग्रेस के प्रफुल्ल रंजन दोनों विधायक बने थे। यह घटना दिल्ली के पहले चुनाव का एक दिलचस्प हिस्सा बन गई थी।
चौधरी ब्रह्म प्रकाश बने एक्सीडेंटल सीएम
अब आते हैं दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री पर। जब कांग्रेस ने पहली बार विधानसभा चुनाव में इतनी बड़ी जीत हासिल की, तो मुख्यमंत्री के पद पर चौधरी ब्रह्म प्रकाश को बैठाया गया। लेकिन चौधरी ब्रह्म प्रकाश का मुख्यमंत्री बनना कोई सामान्य घटना नहीं थी। दरअसल, उनकी मुख्यमंत्री बनने की कहानी भी एक हादसे से जुड़ी हुई है।
कांग्रेस की योजना थी कि देशबंधु गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाया जाए, लेकिन एक दुखद हादसे में उनकी मौत हो गई। इसके बाद पंडित नेहरू ने अपने करीबी नेता चौधरी ब्रह्म प्रकाश को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया। ब्रह्म प्रकाश का जन्म हरियाणा के रेवाड़ी में हुआ था। वे एक साधारण परिवार से थे और जीवनभर सादगी को पसंद किया।
मुख्यमंत्री बनने के बाद भी ब्रह्म प्रकाश ने कभी सरकारी आवास में रहना पसंद नहीं किया। वे हमेशा जनता के बीच रहते थे और उनका मानना था कि मुख्यमंत्री का असली काम जनता के बीच रहकर उनके मुद्दों को समझना और हल करना है। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वे सरकारी बस में सफर करते थे। उनकी सादगी और जनता से जुड़ाव की वजह से उन्हें ‘शेर-ए-दिल्ली’ और ‘मुगल-ए-आजम’ की उपाधि भी दी गई थी।
1993 में बनी भाजपा की पहली सरकार
दिल्ली का चुनावी इतिहास काफी दिलचस्प रहा है। 1952 में जब दिल्ली में पहला विधानसभा चुनाव हुआ, तब दिल्ली में सिर्फ कांग्रेस का ही दबदबा था और बाकी सभी पार्टियों का नामोनिशान तक नहीं था। फिर साल 1993 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अपनी सरकार बनाई। इसके बाद दिल्ली की राजनीति में कई बदलाव आए और धीरे-धीरे आम आदमी पार्टी (AAP) का भी उभार हुआ। 2008 में शीला दीक्षित की अगुवाई में कांग्रेस ने दिल्ली में फिर से सरकार बनाई और तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं।
2013 में पहली बार आई आप
फिर, 2013 में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की। हालांकि, उनकी सरकार सिर्फ 50 दिन चली, और फिर 2015 में केजरीवाल ने फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। 2020 में भी आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में शानदार जीत दर्ज की और एक बार फिर से केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद संभाला।
अब 2025 में फिर से दिल्ली में चुनावी दंगल शुरू हो चुका है। दिल्ली के नागरिकों के लिए यह एक अहम मौका है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में कई बदलाव आए हैं। आम आदमी पार्टी की ओर से एक बार फिर अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में चुनावी मैदान में उतरने की उम्मीद जताई जा रही है। दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस भी अपनी-अपनी चुनावी रणनीतियों के साथ मैदान में हैं।
दिल्ली के अब तक के सभी मुख्यमंत्रियों की लिस्ट
क्रम संख्या | मुख्यमंत्री का नाम | कार्यकाल | पार्टी |
---|---|---|---|
1 | चौधरी ब्रह्म प्रकाश | 1952 – 1955 | कांग्रेस |
2 | मदान लाल खुराना | 1993 – 1996 | भारतीय जनता पार्टी (BJP) |
3 | साहिब सिंह वर्मा | 1996 – 1998 | भारतीय जनता पार्टी (BJP) |
4 | शिला दीक्षित | 1998 – 2013 | कांग्रेस |
5 | अरविंद केजरीवाल | 2013 – 2014 (50 दिन) | आम आदमी पार्टी (AAP) |
6 | अरविंद केजरीवाल | 2015 – 2024 | आम आदमी पार्टी (AAP) |
7 | अतिशी मार्लेना | 2024 – वर्तमान | आम आदमी पार्टी (AAP) |
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