Amla Navami 2024: आंवला नवमी का पर्व कार्तिक शुक्ल के नवमी के दिन मनाया जाता है। यह पर्व देवउठनी एकादशी से दो दिन पूर्व पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि अक्षय नवमी के दिन ही सत्ययुग का आरम्भ हुआ था। आंवला नवमी (Amla Navami 2024) को अक्षय नवमी और सत्य युगादि के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन दान-पुण्य सम्बन्धित कार्यों के लिये बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह शुभ दिन आंवला के पेड़ के प्रति श्रद्धा से चिह्नित है, जिसे हिंदू धर्म में अपने स्वास्थ्य लाभ और आध्यात्मिक महत्व के लिए पवित्र माना जाता है।
आंवला नवमी तिथि और पूजा का समय
आंवला नवमी रविवार, 10 नवम्बर को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा के लिए समय शाम 06:20 से रात 12:03 बजे तक है। द्रिक पंचांग के अनुसार, आंवला नवमी (Amla Navami 2024) का दिन भी अक्षय तृतीया के सामान ही अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है। आंवला नवमी के दिन सतयुग का आरम्भ हुआ था तो वहीं अक्षय तृतीया के दिन त्रेतायुग का आरम्भ हुआ था।
नवमी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 10, 2024 को 00:15 बजे
नवमी तिथि समाप्त – नवम्बर 10, 2024 को 22:31 बजे
इस दिन आंवले के पेड़ का होता है बहुत महत्व
ऐसा माना जाता है कि आंवले का पेड़ भगवान विष्णु से जुड़ी एक दिव्य रचना है और आयुर्वेद में इसे औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। आंवला नवमी (Amla Navami 2024) पर लोग भगवान विष्णु का सम्मान करने के लिए आंवलें के पेड़ की पूजा करते हैं। भक्त पेड़ के नीचे पूजा करते हैं, फूल, चावल और अन्य पवित्र वस्तुएं चढ़ाते हैं, साथ ही अपने परिवार की खुशहाली के लिए प्रार्थना करते हैं।
लोग आंवले के पेंड के नीचे बनाते हैं भोजन
महिलाएं इस दिन को आंवले से बने व्यंजनों के साथ एक भोजन तैयार करके और परिवार के सदस्यों के साथ साझा करके मनाती हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि आंवले का सेवन स्वास्थ्य और इम्युनिटी लाता है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इस दिन आंवले के पेड़ (Amla Navami 2024) के नीचे प्रार्थना करने से पवित्र नदी गंगा में डुबकी लगाने के समान आध्यात्मिक पुण्य मिलता है, जिससे यह एक अत्यंत पूजनीय अभ्यास बन जाता है। इसके साथ ही बहुत से परिवारों में इस दिन आंवलें के पेंड के नीचे ही भोजन बनता है और परिवार के सभी सदस्य वहीं बैठ कर खाना खाते हैं।
इस दिन दान का होता है विशेष महत्व
आंवला नवमी भी अक्षय नवमी से जुड़ी है, जो अनंत आशीर्वाद और समृद्धि का प्रतीक है। भोजन, कपड़े और अन्य आवश्यक चीजें दान करना जैसे धर्मार्थ कार्य आम हैं, क्योंकि माना जाता है कि ये कार्य आशीर्वाद को बढ़ाते हैं। यह दिन हिंदू संस्कृति में प्रकृति और आध्यात्मिकता के बीच चक्रीय संबंध की याद दिलाता है, जो आंवले के पेड़ की पवित्रता और दान के गुणों और प्रचुरता के लिए कृतज्ञता दोनों का जश्न मनाता है।