तीसरा परमाणु युग

ब्रिटेन के एडमिरल टोनी राडकिन ने दी ये खतरनाक चेतावनी, दुनिया में मचा हड़कंप!

दुनिया इन दिनों बड़ी अस्थिरता से गुज़र रही है, रूस – यूक्रेन वॉर अभी समाप्त भी नहीं हुई की इजराइल-हमास युद्ध शुरू हो गया इसके बाद हिजबुल्लाह से भी संघर्ष शुरू हो गया था। वहीं सीरिया में भी हालात नाज़ुक बने हुए है। इसी बीच  ब्रिटेन के एक वरिष्ठ सैन्य कमांडर ने ‘तीसरे परमाणु युग’ की चेतावनी देकर पूरी दुनिया में खलबली मचा दी है। इस वरिष्ठ कमांडर ने चेतावनी दी है कि दुनिया “तीसरे परमाणु युग” के मुहाने पर खड़ी है। रक्षा प्रमुख ‘एडमिरल टोनी राडाकिन’ ने कहा कि हालांकि रूस द्वारा ब्रिटेन या उसके नाटो सहयोगियों पर सीधे परमाणु हमले की संभावना बहुत कम है, लेकिन वर्तमान हालात को देखते हुए ब्रिटेन को सामने आने वाले खतरों की गंभीरता को समझना जरूरी है।

तीसरे परमाणु युग की शुरुआत 

एडमिरल टोनी राडकिन ने कहा कि पिछले 30 वर्षों में परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के कई प्रयास किये गए लेकिन इतने अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के बावजूद भी आज का समय काफी मुश्किल हो गया है। शीत युद्ध (Cold War) के दौरान, दो महाशक्तियों (USA & USSR) ने परमाणु हथियारों को नियंत्रित करने में काफी हद तक सफलता पाई थी, लेकिन अब हम “तीसरे परमाणु युग” की शुरुआत में हैं। इस समय परमाणु और खतरनाक तकनीकों का प्रसार तेजी से बढ़ने का डर है। राडकिन ने कहा कि पश्चिम के सामने जो प्रमुख चुनौतियां हैं, उनमें रूस द्वारा यूक्रेन में सामरिक परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी, चीन का अपने परमाणु भंडार को बढ़ाने की कोशिश, ईरान का परमाणु कार्यक्रम को नियंत्रित करने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में सहयोग से इंकार करना और उत्तर कोरिया का “अप्रत्याशित व्यवहार” शामिल हैं।

पश्चिमी देशों को अस्थिर करने का प्रयास

ब्रिटिश सैन्य कमांडर ने हाल ही में एक बयान में कहा कि बढ़ते साइबर हमले, तोड़फोड़ और दुष्प्रचार अभियानों का उद्देश्य पश्चिमी देशों को अस्थिर करना है। उन्होंने यूक्रेन की सीमा पर रूसी सेना के साथ उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती को साल का सबसे बड़ा घटनाक्रम बताया और चेतावनी दी कि भविष्य में और भी तैनाती हो सकती है। यह बयान ब्रिटेन के प्रमुख रक्षा थिंक टैंक, आरयूएसआई, के वार्षिक व्याख्यान में दिया गया था। रैडकिन ने इस अवसर का इस्तेमाल ब्रिटिश सेना में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करने के लिए किया, ताकि ब्रिटेन बदलते हुए वैश्विक हालात का सामना कर सके।

 

 

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