जम्मू-कश्मीर.. धरती का वो स्वर्ग..जहां के नजारे किसी की भी आखों के सुकून दे सकते हैं, लेकिन आज से 4 साल पहले इसी कश्मीर के हालात कुछ और ही थे। यहां होती आतंकी गतिविधियां, चौराहों पर लगते भारत विरोधी नारे और पत्थरबाजी.. इस स्वर्ग को नर्क बना रही थी लेकिन अब यह स्वर्ग तरक्की की राह पर निकल चुका है। ऐसा इसलिए संभव है कि आज से 4 साल पहले 5 अगस्त, 2019 के दिन धारा 370 और 35 (A) हटा दी गई थी। इस फैसले ने देश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज कर दी थीं। पूरे देश में इस फैसले के बाद राजनीतिक रूप से माहौल गर्म हो गया था। हम बात कर रहें हैं केंद्र सरकार द्वारा 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में आर्टिकल 370 (Article 370) निरस्त करने के फैसले के बारे में। यह आर्टिकल जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता था। साथ ही अलग संविधान, अलग ध्वज रखने की स्वतंत्रता भी।
आर्टिकल 370 के रहते जम्मू-कश्मीर रक्षा, वित्त और संचार के अलावा भारतीय संसद द्वारा पारित कोई भी कानून मानने के लिए बाध्य नहीं था। केंद्र सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद इन 4 सालों में घाटी में कई बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। चाहे वह सियासी बदलाव हों या फिर आर्थिक स्तर पर। जम्मू-कश्मीर प्रगति पथ पर निरंतर आगे बढ़ रहा है। केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को खत्म कर इस केंद्र शासित प्रदेश को देश की मुख्यधारा से जोड़ा है और अन्य राज्यों के समकक्ष लाकर खड़ा कर दिया है। आइए हम जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर अनुच्छेद 370 हटने के बाद इन 4 सालों में जम्मू-कश्मीर में क्या बदलवा आया है…?
आतंक और पत्थरबाजी पर लगी लगाम
कभी पत्थरबाजी के चलते सुर्खियों में रहने वाले जम्मू-कश्मीर में अब यह बीती बात हो गई है। अनुच्छेद 370 हटाने के बाद आतंकी घटनाओं में भी कमी देखने को मिली है। इसके साथ ही अलगाववादियों का समर्थन भी अब खत्म होता जा रहा है। पिछले साल के आंकड़ों के अनुसार 5 अगस्त 2016 से 4 अगस्त 2019 के बीच 900 आतंकी घटनाएं हुई थीं, जिसमें 290 जवान शहीद हुए और 191 आम लोग मारे गए थे। वहीं 5 अगस्त 2019 से 4 अगस्त 2022 के बीच 617 आतंकी घटनाओं में 174 जवान शहीद हुए और 110 नागरिकों की मौत हुई। यह आंकड़ें इस बात की गवाही देते हैं कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में कमी देखने को मिली है।
रोजगार, निवेश और उद्योगों से घाटी में आई बहार
जम्मू-कश्मीर में कितना बदलाव हुआ है यह सरकार के आंकड़े खुद गवाही दे रहे हैं। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने 26 जुलाई को राज्यसभा में एक रिपोर्ट प्रस्तुत किया। इस रिपोर्ट में बताया गया कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से लगभग 30,000 युवाओं को नौकरियां दी गई हैं। इस दौरान जम्मू-कश्मीर सरकार ने 29,295 रिक्तियां भरी हैं। साथ ही केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में कई योजनाएं शुरू की हैं। अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वालों के लिए सेवाओं और शैक्षणिक संस्थानों में 3 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान भी किया गया है।
जमीन खरीदने का मिला अधिकार
मालूम हो कि अनुच्छेद 370 हटने से पहले देश के अन्य राज्यों के लोगों के पास यहां जमीन खरीदने का अधिकार नहीं था। लेकिन अनुच्छेद 370 हटाने के बाद लोगों को यह अधिकार प्राप्त हुआ। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में 188 बड़े निवेशकों ने जमीन ली है। इसी साल मार्च में प्रदेश को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का पहला प्रोजेक्ट मिला है। यह प्रोजेक्ट लगभग 500 करोड़ रुपये का है और इसके पूरा होने पर केंद्र शासित प्रदेश में 10,000 लोगों को रोजगार मिलेगा। यह प्रोजेक्ट संयुक्त अरब अमीरात के ‘एमआर’ ग्रुप का है। जम्मू-कश्मीर बीते साल प्रधानमंत्री डेवलपमेंट पैकेज के तहत 58,477 करोड़ रुपए की लागत की 53 परियोजनाएं शुरू की गई थीं। ये प्रोजेक्ट्स रोड, पावर, हेल्थ, एजुकेशन, टूरिज्म, फार्मिंग और स्किल डेवलपमेंट जैसे सेक्टर्स में शुरू हुए थे। केंद्र शासित प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए नई केंद्रीय योजना के तहत 2037 तक 28,400 करोड़ की राशि खर्च की जाएगी। इस योजना के तहत उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जाएगा और जम्मू-कश्मीर में औद्योगीकरण का एक नया दौर शुरू होगा।
पर्यटकों की बनी पहली पसंद
धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर के पर्यटन क्षेत्र में भी विकास हुआ है। बीते 4 सालों में जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों की अच्छी खासी भीड़ देखी गई है। भयमुक्त माहौल ने पर्यटकों को यहां आने की वजह दी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल 2022 में 188 करोड़ पर्यटक जम्मू-कश्मीर के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर आए और यहां के खूबसूरत नजारों का लुत्फ उठाया।
राजनीति में भी आए कई बदलाव
धारा 370 खत्म होते ही जम्मू-कश्मीर से दोहरी नागरिकता का प्रावधान भी समाप्त हो गया। पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का होता था, वहीं अब उसे अन्य राज्यों की तरह 5 साल कर दिया गया है। केंद्र शासित प्रदेश से विधान परिषद को भी समाप्त कर दिया गया है। वहीं 7 विधानसभा सीटें बढ़ी हैं। इनमें 6 सीटें जम्मू और 1 सीट कश्मीर घाटी में बढ़ी है। बता दें कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत राज्य का बंटवारा कर दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख बने थे। जम्मू-कश्मीर में ‘अपना झंडा और अपना संविधान’ वाली व्यवस्था को भी खत्म कर दिया गया है।
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