दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी (AAP) की हार के बाद अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक भविष्यवाणी अब सबसे बड़ी चर्चा का विषय बन चुकी है। कभी प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने वाले केजरीवाल अब दिल्ली में न तो मुख्यमंत्री हैं, न ही उनका कोई संवैधानिक पद बचा है। दिल्ली चुनाव में हार के बाद यह सवाल उठने लगा है कि अब उनके पास क्या रास्ता है, क्या उन्हें कोई विकल्प नजर आता है? पार्टी के अंदरूनी सूत्रों और राजनीतिक जानकारों के अनुसार, केजरीवाल के पास कुछ ही विकल्प बचे हैं, लेकिन उन विकल्पों का भविष्य अनिश्चित नजर आ रहा है।
AAP की हार, क्या होगा केजरीवाल का भविष्य?
2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP को भारी हार का सामना करना पड़ा। खुद अरविंद केजरीवाल, जो पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री थे, अब उस पद से बाहर हैं और उनकी पार्टी के कई प्रमुख नेता भी हार गए हैं। हालांकि, AAP अब आतिशी की जीत को एक तरह से सांत्वना के रूप में देख रही है, लेकिन दिल्ली की राजनीति में AAP का क्या भविष्य होगा, यह सवाल बना हुआ है।
क्या होगी केजरीवाल की अगली चाल?
बJP के नेता दावा कर रहे हैं कि अब केजरीवाल पंजाब की ओर रुख कर सकते हैं। उनका कहना है कि केजरीवाल पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को हटाकर खुद पंजाब के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। हालांकि, यह दावा वास्तविकता से कुछ दूर नजर आता है, क्योंकि राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की स्थिति की संभावना बहुत कम है।
हालांकि, केजरीवाल के पास एक और रास्ता है – राज्यसभा का। दिल्ली से राज्यसभा में जाने का रास्ता फिलहाल बंद है, क्योंकि दिल्ली में राज्यसभा चुनाव 2030 में होंगे। लेकिन पंजाब में AAP के पास पर्याप्त विधायक हैं, और अगर केजरीवाल वहां से राज्यसभा चुनाव लड़ते हैं, तो उनकी जीत की संभावना मजबूत हो सकती है। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि पंजाब में राज्यसभा चुनाव 2028 में होंगे। इस स्थिति में केजरीवाल को राज्यसभा तक पहुंचने के लिए 2028 तक इंतजार करना पड़ेगा।
संयोजक पद पर भी संकट
अब तक, अरविंद केजरीवाल के पास AAP के संयोजक का पद बचा हुआ है। यह पद भी उनके लिए भविष्य में किसी संकट का कारण बन सकता है, क्योंकि वे कथित शराब घोटाले में आरोपी हैं। अगर कोर्ट में उनके खिलाफ दोष साबित हो जाता है, तो संयोजक का पद भी उनके हाथ से जा सकता है। ऐसे में, केजरीवाल की राजनीतिक स्थिति और भी जटिल हो सकती है। अगर कोर्ट में उनका दोष साबित होता है तो न सिर्फ उनकी राजनीति, बल्कि AAP का भी भविष्य संकट में पड़ सकता है।
PM बनने का ख्वाब, अब CM भी नहीं रहे
अरविंद केजरीवाल का सपना कभी प्रधानमंत्री बनने का था। 2014 में उन्होंने नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद, 2023 में ‘इंडिया गठबंधन’ के गठन के बाद, जब प्रधानमंत्री पद पर चर्चा हुई, तो AAP ने केजरीवाल का नाम सामने रखा। प्रियंका कक्कड़, जो पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं, ने कहा था कि अगर उन्हें पूछा जाए तो वह चाहेंगी कि अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनें।
दिल्ली चुनाव के दौरान भी केजरीवाल ने साफ तौर पर कहा था कि अगर AAP जीतती है तो वह ही दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री बनेंगे। आतिशी ने भी उनके समर्थन में बयान दिया और कहा कि केजरीवाल ही दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री होंगे। लेकिन दिल्ली चुनाव में हार के बाद, AAP ने यह कहा कि वे अब दिल्ली में सक्रिय विपक्ष की भूमिका निभाएंगे और जनता के बीच रहकर उनकी सेवा करेंगे।
अब केजरीवाल के पास क्या विकल्प हैं?
दिल्ली विधानसभा चुनावों में हार के बाद केजरीवाल के पास फिलहाल एक ही बड़ा विकल्प बचा है – AAP के संयोजक के पद पर बने रहना। लेकिन इस पद पर भी संकट की छाया मंडरा रही है। शराब घोटाले में आरोपों के कारण अगर उनका दोष साबित होता है तो यह पद भी उनसे छिन सकता है। ऐसे में, केजरीवाल को अपने राजनीतिक भविष्य के लिए न सिर्फ अपनी छवि सुधारने की जरूरत होगी, बल्कि पार्टी को भी एक नई दिशा देने की कोशिश करनी होगी।
बता दें कि केजरीवाल ने 2014 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रधानमंत्री पद की लड़ाई लड़ी थी, लेकिन हारने के बाद से उनका राजनीतिक ग्राफ ऊपर-नीचे होता रहा है। फिलहाल, दिल्ली चुनाव की हार ने उनके सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। अब यह देखना होगा कि केजरीवाल अपनी राजनीतिक यात्रा को किस दिशा में ले जाते हैं और AAP का भविष्य क्या होगा।
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