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‘औरंगजेब के वंशज रिक्शा चला रहे, ईश्वर की दुर्गति नहीं की होती तो ये दिन नहीं देखते’- अयोध्या में बोले CM योगी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में हुए एक कार्यक्रम में सनातन धर्म और हिंदू धर्म के गौरव के बारे में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म अगर सुरक्षित है तो इसका मतलब यह है कि बाकी सारे धर्म भी सुरक्षित हैं। योगी आदित्यनाथ ने यह भी सवाल उठाया कि अगर सनातन धर्म की महत्ता को कभी खारिज किया गया, तो क्या हुआ हिंदू धर्म के अनुयायियों के साथ, खासकर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में?

योगी का कहना था कि सनातन धर्म ने न केवल हिंदू धर्म को सुरक्षित रखा, बल्कि हर धर्म और मजहब के लोगों को विपत्ति के समय शरण भी दी। लेकिन क्या कभी हिंदू धर्म के अनुयायियों को ऐसा सम्मान या शरण मिल पाई? उन्होंने यह सवाल उठाया कि क्यों भारत में ही सनातन धर्म के स्थलों को नष्ट करने की साजिशें की गईं। अयोध्या, काशी, मथुरा, और अन्य जगहों के मंदिरों को नुकसान पहुंचाने के पीछे क्या मंशा थी? योगी ने इसे न केवल धार्मिक आस्थाओं का अपमान बताया, बल्कि इसे पूरी मानवता को नष्ट करने की एक साजिश भी करार दिया।

मंदिरों को तोड़ने वालों की नस्लों का नाश हुआ- योगी 

योगी आदित्यनाथ ने अपने बयान में यह भी बताया कि सनातन धर्म के ऐतिहासिक स्थलों को तोड़ने वालों के लिए उसका परिणाम बहुत ही बुरा रहा। उन्होंने कहा, “ये वो लोग थे जिन्होंने भारत के सबसे बड़े और ऐतिहासिक मंदिरों को तोड़ा। काशी विश्वनाथ, रामजन्मभूमि, श्री कृष्ण जन्मभूमि और अन्य धार्मिक स्थल तोड़ने का काम किया। क्या हुआ इन लोगों के परिवारों का? क्या उनकी नस्लों का नाश नहीं हुआ?”

 

योगी ने विशेष रूप से औरंगजेब का नाम लिया और कहा, “औरंगजेब के परिवार के लोग आज कोलकाता के पास रिक्शा चलाते हैं। अगर औरंगजेब ने हमारे मंदिरों को नुकसान नहीं पहुंचाया होता, तो आज उनके वंशजों को यह दुर्दशा नहीं देखनी पड़ती।” योगी का इशारा यह था कि जिन लोगों ने सनातन धर्म के स्थलों को नष्ट किया, उनका वंश आज खुद को बदहाल स्थिति में देख रहा है।

औरंगजेब के वंशजों की दुर्दशा

आधुनिक समय में जब हम औरंगजेब के बारे में सोचते हैं तो हमें उसकी क्रूरता और मंदिरों को तोड़ने की याद आती है। लेकिन योगी आदित्यनाथ का यह कहना था कि औरंगजेब के वंशज अब एक बुरी स्थिति में हैं। “औरंगजेब के वंशज जो कभी भारत के हर हिस्से में अपने अत्याचार फैलाते थे, आज उन्हें कोलकाता के पास रिक्शा चलाने की स्थिति में हैं,” योगी ने तंज करते हुए कहा। यह बयान न केवल इतिहास को ताजा करता है, बल्कि यह भी बताता है कि धर्म की शक्ति समय के साथ खुद को साबित करती है।

योगी आदित्यनाथ ने अपने बयान में यह संदेश भी दिया कि धार्मिक आस्थाओं और मंदिरों का अपमान करने वालों का अंत हमेशा बुरा ही होता है। यह इस बात को भी दर्शाता है कि जो लोग अपने आस्थाओं और धर्म का सम्मान नहीं करते, वे किस तरह अपनी ही नस्लों को कष्ट में डाल देते हैं।

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योगी आदित्यनाथ ने सनातन धर्म की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि सिर्फ सनातन धर्म ही वह ताकत है जो विश्व शांति और मानवता को बचा सकता है। उन्होंने यह भी कहा, “हमारे ऋषि-मनीषियों ने हजारों साल पहले जो ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का सिद्धांत दिया था, वह आज भी प्रासंगिक है।” उनका कहना था कि अगर हम आज मानव सभ्यता को बचाना चाहते हैं तो हमें सनातन धर्म का सम्मान करना होगा।

योगी ने यह भी बताया कि सनातन धर्म केवल एक भारत की धरोहर नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए जरूरी है। सनातन धर्म के विचार और सिद्धांत दुनिया भर के लोगों के लिए शांति, समृद्धि और सहिष्णुता का संदेश देते हैं। उनके मुताबिक, भारत में सनातन धर्म की धारा सशक्त रही है, और इसे संरक्षित करने के लिए सभी को साथ आना होगा।

क्या होता है ‘वसुधैव कुटुम्बकम’?

“वसुधैव कुटुम्बकम” का अर्थ है “सारी दुनिया एक परिवार है”। योगी ने इस सिद्धांत को अपने भाषण में प्रमुखता से रखा और बताया कि यह भारतीय दर्शन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका उद्देश्य यह है कि दुनिया के सभी लोग एक-दूसरे को भाई-बहन समझें और मिलकर शांति से रहें। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह सिद्धांत आज के समय में और भी अधिक प्रासंगिक हो गया है, जब दुनिया में संघर्ष, युद्ध और नफरत की भावना बढ़ रही है।

योगी आदित्यनाथ ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए यह भी कहा कि जिन लोगों ने भारत में हिंदू धर्म के मंदिरों को तोड़ा और अपवित्र किया, उनकी नस्लों का ही विनाश हुआ। उन्होंने कहा, “मंदिरों को तोड़ने से यह नहीं लगता कि केवल धार्मिक स्थल नष्ट हुए, बल्कि इससे उन लोगों का भी नाश हुआ जो इन कामों में शामिल थे। इतिहास सिखाता है कि धर्म का अपमान करने वालों का परिणाम बुरा ही होता है।” योगी का कहना था कि आज जो लोग सनातन धर्म का अपमान करते हैं, वे कभी न कभी इसका फल जरूर भुगतेंगे। उनका यह बयान एक तरह से धर्म और संस्कृति की रक्षा करने की आवश्यकता को भी दर्शाता है।

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