हाल ही में महाराष्ट्र के एक सपा नेता ने औरंगजेब को महान बताकर पूरे देश में नई बहस को जन्म दे दिया है। इसके बाद से औरंगज़ेब को लेकर सवाल उठ रहा है कि वह महान था या एक क्रूर शासक? बता दें कि मुगल बादशाह औरंगजेब को भारतीय इतिहास के सबसे विवादित शासकों में से एक माना जाता है। उनके शासनकाल में हिंदुओं के कई मंदिरों को गिराए जाने की घटनाएं हुईं। इतिहासकार इरफान हबीब ने औरंगजेब के इस कृत्य के पीछे के कारणों को समझाया है।
उनके अनुसार, औरंगजेब ने मंदिरों को गिराने (Aurangzeb Temple Destruction) का काम इसलिए किया क्योंकि वह मानता था कि इससे उसे अल्लाह का सवाब (पुण्य) मिलेगा और वह अल्लाह को खुश कर सकेगा।
औरंगजेब ने क्यों गिराए मंदिर?
इरफान हबीब के अनुसार, औरंगजेब ने मंदिरों को गिराने का काम 1668 से शुरू किया। उन्होंने मथुरा, वृंदावन, काशी (बनारस) जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों पर स्थित मंदिरों को नष्ट किया। औरंगजेब का मानना था कि मंदिरों को गिराने से उसे इस्लाम में बड़ा सवाब मिलेगा और अल्लाह उससे खुश होंगे। यह उसकी धार्मिक कट्टरता और इस्लामिक नीतियों का हिस्सा था।
कितने मंदिर गिराए गए?
इरफान हबीब ने यह भी बताया कि औरंगजेब ने कितने मंदिर गिराए, इसका सही-सही अंदाजा लगाना मुश्किल है। हालांकि, ऐतिहासिक दस्तावेजों और तत्कालीन अफसरों के बयानों से पता चलता है कि औरंगजेब ने मथुरा, वृंदावन और बनारस के अलावा अन्य कई जगहों पर मंदिरों को नष्ट (Aurangzeb Temple Destruction) किया। इन मंदिरों को गिराने के पीछे उसकी धार्मिक कट्टरता और राजनीतिक नीतियां थीं।
कैसी थीं औरंगजेब की धार्मिक नीतियां?
औरंगजेब को उसकी सख्त इस्लामिक नीतियों के लिए जाना जाता है। उसने जजिया कर (गैर-मुस्लिमों पर लगाया जाने वाला टैक्स) को फिर से लागू किया, जिससे हिंदू जनता में असंतोष बढ़ा। उसने हिंदुओं के धार्मिक स्थलों को नष्ट करने के साथ-साथ उनकी धार्मिक प्रथाओं पर भी प्रतिबंध लगाए। यह सब उसकी इस्लामिक साम्राज्यवादी नीतियों का हिस्सा था।
औरंगजेब के शासनकाल से आए बदलाव
औरंगजेब का शासनकाल मुगल साम्राज्य के लिए सबसे बड़ा और शक्तिशाली था, लेकिन उसकी कठोर नीतियों के कारण उसे कई विद्रोहों का सामना करना पड़ा। उसकी धार्मिक कट्टरता ने हिंदू और सिख समुदायों में असंतोष पैदा किया, जिसके कारण मराठा और सिख विद्रोह हुए। औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य का पतन शुरू हो गया।
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