अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर के ऊपर ड्रोन देखे जाने का मामला लगातार गहराता जा रहा है। पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू की है और अब तक यह पता चला है कि यह ड्रोन गुरुग्राम के दो यूट्यूबर्स द्वारा उड़ाया गया था। लेकिन, इसके पीछे किसी बड़ी साजिश का कोई सबूत अभी तक सामने नहीं आया है। फिर भी, अयोध्या पुलिस ने अपनी FIR में ड्रोन गिराने को लेकर भगदड़ कराने की साजिश का जिक्र किया है। यही वजह है कि यह मामला अब नया विवाद बन गया है।
क्या है एफआईआर की पूरी कहानी?
17 फरवरी की शाम करीब सात बजे, राम मंदिर परिसर के अंदर ड्यूटी पॉइंट वैचिंग प्लांट के पास एक ड्रोन गिराया गया। यह ड्रोन किसी व्यक्ति द्वारा जानबूझकर गिराया गया था। राममंदिर परिसर चौकी प्रभारी सुनील कुमार ने FIR दर्ज कराते हुए यह आशंका जताई कि महाकुंभ प्रयागराज में राम मंदिर आ रहे श्रद्धालुओं की भीड़ को देखकर यह ड्रोन गिराकर भगदड़ कराने की साजिश हो सकती है। FIR में यह भी कहा गया कि यह साजिश मंदिर परिसर में बड़े पैमाने पर जनहानि कराने के लिए की गई हो सकती है।
पुलिस की FIR में क्या लिखा है?
17 फरवरी की शाम करीब सात बजे, राम मंदिर परिसर के अंदर ड्यूटी पॉइंट वैचिंग प्लांट के पास एक ड्रोन गिराया गया। यह ड्रोन किसी व्यक्ति द्वारा जानबूझकर गिराया गया था। राममंदिर परिसर चौकी प्रभारी सुनील कुमार ने FIR दर्ज कराते हुए यह आशंका जताई कि महाकुंभ प्रयागराज में राम मंदिर आ रहे श्रद्धालुओं की भीड़ को देखकर यह ड्रोन गिराकर भगदड़ कराने की साजिश हो सकती है। FIR में यह भी कहा गया कि यह साजिश मंदिर परिसर में बड़े पैमाने पर जनहानि कराने के लिए की गई हो सकती है।
पुलिस की FIR और वास्तविकता में अंतर क्यों?
हालांकि, पुलिस की FIR और वास्तविकता में काफी अंतर नजर आ रहा है। दरअसल, पुलिस ने यह दावा किया था कि उन्होंने एंटी ड्रोन सिस्टम का इस्तेमाल करके इस ड्रोन को गिराया था। लेकिन, FIR में इस बात का कोई जिक्र नहीं किया गया है। यही वजह है कि अब इस मामले में पुलिस की सच्चाई पर सवाल उठने लगे हैं।
ड्रोन गिराने वाले कौन हैं?
जांच में यह बात सामने आई है कि यह ड्रोन गुरुग्राम के यूट्यूबर निखिल कटारिया का है। वह अपने दो साथियों के साथ थार गाड़ी में सवार होकर राम मंदिर पहुंचा था। ड्रोन गिरते ही वह पकड़े जाने के डर से फरार हो गया। पुलिस ने इस ड्रोन को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी। ड्रोन में एक कैमरा और मेमोरी कार्ड मिला है, जिसमें आरोपियों की तस्वीरें भी हैं। पुलिस ने आरोपियों की पहचान कर ली है और उनकी गिरफ्तारी के लिए दबिश तेज कर दी है।
क्या यह सच में कोई साजिश थी?
अभी तक की जांच में यह बात सामने नहीं आई है कि ड्रोन गिराने के पीछे कोई बड़ी साजिश थी। यूट्यूबर निखिल कटारिया और उसके साथियों का कहना है कि वे सिर्फ वीडियो शूट करने के लिए ड्रोन उड़ा रहे थे। लेकिन, पुलिस ने FIR में जो आशंका जताई है, उसके मुताबिक यह ड्रोन गिराकर भगदड़ कराने की साजिश हो सकती है। हालांकि, इस बात की पुष्टि अभी तक नहीं हुई है।
चौकी इंचार्ज के खिलाफ कार्रवाई की आशंका
इस पूरे मामले में अब चौकी इंचार्ज सुनील कुमार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की आशंका जताई जा रही है। दरअसल, FIR में जो बातें लिखी गई हैं, वे वास्तविकता से मेल नहीं खाती हैं। इस झूठ के लिए चौकी इंचार्ज के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
पुलिस ने आरोपियों की पहचान कर ली है और उनकी गिरफ्तारी के लिए दबिश तेज कर दी है। साथ ही, ड्रोन में मिले मेमोरी कार्ड की जांच की जा रही है। इसके अलावा, पुलिस ने यह भी सुनिश्चित किया है कि मंदिर परिसर में सुरक्षा के और सख्त इंतजाम किए जाएं।
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