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Ayodhya Ram Mandir Special Story : आखिर क्या था श्रीराम जन्म भूमि अयोध्या मंदिर से जुड़ा विवाद, जानें इस मंदिर का पूरा इतिहास

Ayodhya Ram Mandir Special Story

Ayodhya Ram Mandir Special Story : अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का निर्माण का लगभग पूरा होने वाला है। 22 जनवरी 2024 को राम भगवान की प्राण प्रतिष्ठा के साथ इस तारीख को इतिहास के सुनहरे अक्षरों में दर्ज कर लिया जाएगा। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के कई लोगों को न्यौता भेजा गया है। बता दें कि इस मंदिर के निर्माण में नागर शैली उपयोग किया गया है। हर व्यक्ति इस मंदिर से जुड़ी खबरों के बारे में जानने को उत्सुक है। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब श्रीराम जन्म भूमि अयोध्या मंदिर विवादों में घिरा हुआ था। इस मंदिर से जुड़ा विवाद एक दो साल नहीं बल्कि 495 साल पुराना है। आइए जानते है इस मंदिर की स्थापना से लेकर ध्वस्त होना और फिर से मंदिर बनने की ऐतिहासिक कहानी:—

क्या है अयोध्या विवाद:-

सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि अयोध्या विवाद क्या है। अयोध्या में करीबन 5 हजार से ज्यादा (Ayodhya Ram Mandir Special Story) मंदिर बने हुए है जिसमें से ज्यादातर मंदिर भगवान सीता और राम के है। फिर आखिर ऐसा क्या हुआ जिस वजह से अयोध्या मंदिर से जुड़ा विवाद शुरू हुआ और यह सैकड़ों सालों तक संघर्ष और लंबी कानूनी लड़ाई में बदल गई। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इन सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह लड़ाई श्रीराम मंदिर को लेकर नहीं बल्कि श्री राम जन्मभूमि को लेकर था। भगवान का जन्म स्थान नहीं बदलता। लेकिन यह विवाद हमेशा से जन्म स्थल को लेकर था।

आइए जानते है इस विवाद से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलु:—

  1. वर्ष 1528- सबसे पहले मुगल बादशाह बाबर ने इस जगह पर मस्जिद का निर्माण करवाया था। जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता है। इस स्थान को लेकर हिंदू समुदाय के लोगों ने दावा किया था कि यह स्थान भगवान राम की जन्म​भूमि है। लोगों ने मस्जिद में बने तीन गुंबदों में से एक गुंबद के नीचे भगवान राम का जन्म स्थान बताया था।
  2. वर्ष 1853-1949- मस्जिद के निर्माण के बाद पहली बार 1853 में इस स्थान के आस पास के कई इलाकों में दंगे हुए। इसके बाद 1859 में अंग्रेजों के द्वारा विवादित स्थान के आस पास बाड़ लगा दी और मुसलमानों के ढांचे के अंदर और हिंदूओं को बाहर चबूतरे के पास पूजा करने की इजाजत दी गई।
  3. वर्ष 1949- श्रीराम जन्मभूमि का असली विवाद (Ayodhya Ram Mandir Special Story) 23 सितंबर 1949 को शुरू हुआ। जब इस जगह पर भगवान राम की मूतियां मिली। इसे लेकर हिंदू समुदाय के लोगों ने कहा कि यहां पर भगवान राम स्वयं प्रकट हुए है तो वहीं मु​स्लिम समुदाय के लोगों का कहना था कि इन मूर्तियों को किसी व्यक्ति ने रखा है। इसके बाद जब मामला ज्यादा बढ़ा तो सरकार द्वारा इस जगह को विवादित घोषित कर ताला लगा दिया गया।
  4. वर्ष 1950- फैजाबाद में दो अर्जी लगाई जिसमें एक अर्जी विवादित स्थान पर भगवान की मूर्ति रखने और दूसरी रामलला की पूजा की इजाजत मांगी गई थी।
  5. वर्ष 1961- इसके बाद यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा विवादित भूमि पर पजेशन और मूर्तियों को हटाने की मांग से जुड़ी अर्जी दाखिल की गई।
  6. वर्ष 1986 – फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट ने हिंदू समुदायों के अनुरोध पर पूजा व प्रार्थना करने के लिए विवादित ​जगह को फिर से खोलने का आदेश दिया। इस फैसले के विरोध में मुसलमानों ने मस्जिद संघर्ष समिति बनाई।
  7. वर्ष 1992- 6 दिसंबर 1992 को शिवसेना समेत कई हिंदू संगठन के लाखों कार्यकर्ताओं द्वारा विवादित ढांचे को गिरा दिया गया। इससे पूरे देश भर में तनाव पैदा हो गया और दंगे शुरू हो गए जिसमें हजारों की तादात में लोग मारे गए।
  8. वर्ष 2002- एक बार फिर से लोगों के बीच में दंगे भड़क उठे। गोधरा ट्रेन हिंदू कार्यकर्ताओं को लेकर जा रही थी । इस ट्रेन में आग लगा दी गई जिसमें करीबन 58 लोग मारे गए। इस बात को लेकर गुजरात में भी दंगे शुरू हो गए और उसमें हजारों लोग मारे गए।
  9. वर्ष 2010—11- 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए विवादित भूमि को रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दे दिया। वहीं 2011 में इलाहाबाद हाई कोर्ट योध्या विवाद पर दिए गए फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी।
  10. वर्ष 2019- 8 मार्च 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा और 8 सप्ताह के अंदर इस कार्यवाही को समाप्त करने के आदेश दिए। 1 अगस्त 2019 को मध्यस्थता पैनल ने अपनी रिपोर्ट पेश की लेकिन 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता पैनल मामले में असफल रही। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर रोजाना सुनवाई होने लगी और 16 अगस्त 2019 को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसले को सुरक्षित रखा गया। वहीं 9 नंवबर को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने श्रीराम मंदिर के पक्ष में अपना फैसला सुनाया। इसमें 2.77 एकड़ विवादित भूमि हिंदू पक्ष और 5 एकड़ जमीन मुस्लिम पक्ष को देने का फैसला किया गया।
  11. वर्ष 2020 –25 मार्च 2020 को पूरे 28 साल बाद भगवान राम की टेंट से निकलकर फाइबर के मंदिर में रखे गए और इसके बाद 5 अगस्त को भूमि पूजन किया गया। जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित कई बड़े लोग शामिल हुए थे।
  12. वर्ष 2023 – 2020 के बाद मंदिर का निर्माण शुरू कर दिया गया और 2023 में अयोध्या में श्रीराम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो चुका है। 22 जनवरी 2024 को राम भगवान की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।

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