Babur VS Rana Sanga

Babur VS Rana Sanga: क्या राणा सांगा ने बाबर को बुलाया था भारत? क्या कहता है इतिहास

Babur VS Rana Sanga: हाल ही में राज्यसभा में सपा सांसद रामजी लाल सुमन के बयान ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। उन्होंने दावा किया कि इब्राहिम लोदी को हराने के लिए राणा सांगा ने बाबर को भारत आने का न्योता दिया था। इस बयान के बाद राजस्थान समेत पूरे देश में सियासी घमासान मच गया। अब सवाल उठता है—क्या सच में राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया था? आइये एक नज़र डालते हैं इतिहास के पन्ने पर।

कौन थे राणा सांगा?

राणा सांगा, जिनका असली नाम संग्राम सिंह था, मेवाड़ के महान शासक और अद्वितीय योद्धा थे। उन्होंने अपने जीवन में कई लड़ाइयों में हिस्सा लिया और विकलांगता के बावजूद हमेशा विजयी रहे। 1508 में मेवाड़ के शासक बनने के बाद उन्होंने अपने साम्राज्य का विस्तार किया। राणा सांगा की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके अधीन मारवाड़, आमेर और कई बड़े राजा और सरदार थे।

क्या बाबर को राणा सांगा ने बुलाया था?

इतिहासकारों और विभिन्न स्रोतों के मुताबिक, इस सवाल का सीधा जवाब देना आसान नहीं है। ‘बाबरनामा’ में राणा सांगा के पत्र का जिक्र है, लेकिन वह तब जब पानीपत की लड़ाई हो चुकी थी और बाबर अब राणा सांगा से टकराने जा रहा था।

इतिहासकारों जीएन शर्मा और गौरीशंकर हीराचंद ओझा का मानना है कि बाबर ने ही राणा सांगा से संपर्क किया था, क्योंकि दोनों का साझा दुश्मन इब्राहिम लोदी था। शुरू में सांगा तैयार दिखे, लेकिन बाद में अपने दरबार के सलाहकारों के कहने पर पीछे हट गए।

बाबर को भारत में किसने बुलाया?

असल में बाबर को भारत बुलाने में लोदी वंश के ही बागी सदस्यों का बड़ा हाथ था। सुल्तान सिकंदर लोदी के भाई आलम खान लोदी, पंजाब के गवर्नर दौलत खान लोदी और इब्राहिम लोदी के चाचा अलाउद्दीन ने बाबर से मदद मांगी। उन्होंने बाबर से वादा किया कि अगर वह इब्राहिम लोदी को हटा दे, तो दिल्ली की गद्दी उसे सौंप दी जाएगी।

पानीपत की लड़ाई और बाबर का भारत में आगमन

1526 में बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हरा दिया। यह बाबर का पांचवां प्रयास था और इसी जीत के बाद भारत में मुगल साम्राज्य की नींव पड़ी। इसके बाद बाबर और राणा सांगा के बीच टकराव होना तय था।

खानवा का युद्ध—राणा सांगा बनाम बाबर

16 मार्च 1527 को खानवा के मैदान में बाबर और राणा सांगा की सेनाएं आमने-सामने आईं। राणा सांगा की सेना में अस्सी हजार घुड़सवार, सात राजा, नौ राव और 104 सरदार थे। लेकिन बाबर ने इस युद्ध में बारूद और तोपों का इस्तेमाल किया, जो उस समय के लिए नई बात थी। शुरुआत में राणा सांगा को बढ़त मिली, लेकिन एक तीर लगने से वह घायल हो गए। इसके बाद राजपूत सेना बिखर गई और बाबर की सेना ने निर्णायक जीत हासिल की।

राणा सांगा की मौत

खानवा युद्ध के बाद राणा सांगा ने हार नहीं मानी। वे फिर से मुगलों के खिलाफ युद्ध की तैयारी कर रहे थे, लेकिन इतिहासकारों के अनुसार, मेवाड़ के ही कुछ सरदारों ने उन्हें जहर देकर मार दिया। 30 जनवरी 1528 को मात्र 46 साल की उम्र में राणा सांगा का निधन हो गया।

राणा सांगा भारतीय इतिहास के ऐसे योद्धा रहे, जिन्होंने अपनी वीरता, रणनीति और नेतृत्व से एक मिसाल कायम की। उनकी मृत्यु के बाद भारत में मुगल साम्राज्य का विस्तार हुआ, लेकिन उनकी वीर गाथा आज भी इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज है।

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