Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने बदलापुर में दो बच्चियों के साथ हुए यौन उत्पीड़न मामले पर खुद संज्ञान लिया है। कोर्ट ने कहा कि लड़कों को छोटी उम्र से ही महिलाओं और लड़कियों का सम्मान करना सिखाना जरूरी है। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच ने सरकारी नारे को बदलते हुए नया नारा दिया है: ‘बेटा पढ़ाओ, बेटी बचाओ।’
रिपोर्ट को लेकर फटकार
यह मामला ठाणे के बदलापुर में एक स्कूल के शौचालय में हुआ, जहां एक पुरुष अटेंडेंट ने दो बच्चियों का यौन उत्पीड़न किया। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने जांच में पहचान परेड, कॉल डेटा रिकॉर्ड और फॉरेंसिक रिपोर्ट शामिल की हैं।
घटना के तुरंत बाद एक समिति ने स्कूल में बच्चों की सुरक्षा के उपायों पर रिपोर्ट पेश की है। हालांकि, रिपोर्ट में एक वाक्य अधूरा पाया था। लिखा था, “अगर नाबालिगों के यौन उत्पीड़न के वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आते हैं…”
जस्टिस चव्हाण ने इसकी आलोचना की, कहा-“ये पंक्ति अधूरी है। मगर ये एक महत्वपूर्ण वाक्य है। अगर नाबालिगों के यौन उत्पीड़न के वीडियो सोशल मीडिया पर आते हैं, तो क्या उन्हें हटाया जाएगा या नहीं?
प्राइवेट डॉक्टरों को मिली चेतावनी
सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने ने प्राइवेट डॉक्टरों को चेतावनी दी कि वे बलात्कार पीड़िताओं की जांच करने से मना न करें। डॉक्टरों को पहले पीड़िताओं को पुलिस के पास भेजने के लिए नहीं कहना चाहिए। साथ ही, कोर्ट ने जांच कर रही पुलिस टीम को भी फटकार लगाई और कहा कि आरोप पत्र दाखिल करने में जल्दबाजी न करें। कोर्ट ने कहा कि जांच सही से होनी चाहिए, और पुलिस को जनता के दबाव में आकर काम नहीं करना चाहिए।
सरकार क्या कह रही?
वहीं महाराष्ट्र सरकार की ओर से महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ़ ने बताया कि आरोप पत्र जल्द ही दाखिल किया जाएगा और एक नई समिति बनाई गई है जो स्कूलों में लड़कियों की सुरक्षा पर ध्यान देगी। सरकार इस मामले में जल्दी कार्रवाई करने का प्रयास कर रही है।
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