बांग्लादेशी में हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को एक अदालत ने मंगलवार को जमानत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने देश में अल्पसंख्यक अधिकारों पर उनके रुख को लेकर इस महीने की शुरुआत में उनके खिलाफ दर्ज राजद्रोह का मामला बरकरार रखा है। बता दें कि पुजारी चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को बीते दिन सोमवार को ढाका के एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था।
किसी सरकार के खिलाफ नहीं
बांग्लादेशी मीडिया से बात करते हुए पुजारी चिन्मय कृष्ण दास प्रभु ने कहा कि हम किसी राजनीतिक दल या सरकार के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हम इस्लामी दलों समेत सभी दलों से वास्तविक मांगों का समर्थन करने का आग्रह करते हैं। उन्होंने कहा कि हम इस देश से प्यार करते हैं, बांग्लादेश से बहुत प्यार करते हैं। उन्होंने कहा हम इस देश को एकजुट चाहते हैं, जिससे कि सभी संप्रदाय और धर्मों के लोग शांतिपूर्ण तरीके से रह सकें। ये सभी लोग बांग्लादेश की प्रगति के लिए काम कर सकें।
शांति बनाकर रखना होगा
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले चिन्मय प्रभु को ढाका पुलिस की जासूसी शाखा ने 25 नवंबर को ढाका हवाई अड्डे पर गिरफ्तार कर लिया था। न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद उन्होंने कहा कि हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जिससे शांति भंग हो। उन्होंने कहा कि अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें, शांति ही हमारे आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है।
पुलिस ने किया लाठी चार्ज
बता दें कि बांग्लादेश पुलिस ने चिन्मय दास की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हिंदुओं पर आंसू गैस का इस्तेमाल करके लाठी चार्ज किया है। वहीं ढाका और चटगांव में पुलिस की ओर से हिंदू प्रदर्शनकारियों की एक बड़ी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किये जाने के बाद तनाव बढ़ गया था। बता दें कि यह कार्रवाई तब की गई थी, जब भारत ने बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार से हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया था।
हिंदू होने के कारण आंतकियों की तरह व्यवहार
मीडिया से बातचीत में इस्कॉन के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने बताया कि प्रभु को देश छोड़ने से रोक दिया गया और अधिकारियों ने उन्हें ढाका हवाई अड्डे पर हिरासत में ले लिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें अज्ञात जगह पर ले जाया गया है। इस्कॉन के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने बताया कि बांग्लादेश में हिंदू विरोध प्रदर्शनों का एक प्रमुख चेहरा बनने के कारण उनके साथ आतंकवादी जैसा व्यवहार किया जा रहा है और उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।