मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में 122 करोड़ रुपये के बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है। इस मामले में बैंक के पूर्व जनरल मैनेजर (GM) हितेश मेहता को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया है। हितेश मेहता पर आरोप है कि उसने कोविड काल के दौरान बैंक के फंड में हेराफेरी करके 122 करोड़ रुपये का गबन किया। अब EOW आज (रविवार) हितेश मेहता को मुंबई की हॉलिडे कोर्ट में रिमांड के लिए पेश करेगी।
क्या है पूरा मामला?
न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में हुए इस घोटाले की जांच EOW ने शुरू की थी। जांच में पता चला कि बैंक के पूर्व GM हितेश मेहता और उनकी टीम ने साल 2020 से 2025 के बीच बैंक के फंड में हेराफेरी की। यह घोटाला खासतौर पर कोविड काल के दौरान किया गया। EOW के मुताबिक, हितेश मेहता ने धीरे-धीरे बैंक के अकाउंट से पैसे निकाले और 122 करोड़ रुपये का गबन किया। इसके लिए उन्होंने बैंक के प्रभादेवी और गोरेगांव शाखाओं के खजाने का इस्तेमाल किया। प्रभादेवी शाखा से 112 करोड़ और गोरेगांव शाखा से 10 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई।
हितेश मेहता के पास थीं खजाने की चाबियां
जांच में यह भी सामने आया कि हितेश मेहता के पास बैंक के दोनों शाखाओं (प्रभादेवी और गोरेगांव) के खजाने की चाबियां थीं। इसके अलावा, बैंक के अकाउंट विभाग के चार अन्य अधिकारियों पर भी शक है कि वे हितेश मेहता के साथ मिलकर इस घोटाले में शामिल थे। EOW इन अधिकारियों से भी पूछताछ कर रही है।
आरबीआई ने लगाया था प्रतिबंध
इस घोटाले का पता तब चला जब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के संचालन में गंभीर अनियमितताओं का संदेह जताया। RBI ने बैंक पर अगले 6 महीने के लिए कारोबार प्रतिबंध लगा दिया। इस दौरान बैंक किसी भी नए लोन जारी नहीं कर सकता और ग्राहकों की जमा-निकासी पर भी रोक लगा दी गई है। RBI के इस फैसले के बाद बैंक के ग्राहकों में दहशत फैल गई है। बैंक की शाखाओं के बाहर ग्राहकों की भीड़ जमा हो गई है, जो अपने पैसे निकालने के लिए परेशान हैं।
हितेश मेहता ने कबूल किया गबन
EOW के सूत्रों के मुताबिक, हितेश मेहता से तीन घंटे तक पूछताछ की गई। इस दौरान हितेश ने माना कि उन्होंने कोविड काल के बाद धीरे-धीरे बैंक के अकाउंट से पैसे निकाले। हालांकि, वह सवालों का सही जवाब नहीं दे पा रहे थे। EOW के पास पूरी प्रश्नावली तैयार है, जो दादर थाने में दर्ज एफआईआर और बैंक की कार्यवाहक मुख्य कार्यकारी अधिकारी देबाश्री घोष के बयान पर आधारित है।