Basant Panchami 2024: कल बुद्धवार यानी 14 फरवरी को बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जायेगा। महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय बताते है कि यह पर्व माघ शुक्ल पंचमी (Basant Panchami 2024) को मनाया जाता है । इस वर्ष माघ शुक्ल पंचमी बुधवार को सायं 05:40 तक है। इस वर्ष रेवती नक्षत्र व शुभ नामक योग मिल रहा है अतः इस बार की की बसंत पंचमी सर्वमंगलकारी है।
जानें पूजन का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय बताते है कि सरस्वती पूजन (Basant Panchami 2024) का सर्वोत्तम मुहूर्त दिवा 11:13 से 01:10 तक है। यह पर्व वास्तव में ऋतुराज बसंत क़ी अगवानी क़ी सूचना देता है। इस दिन से ही होरी तथा धमार गीत प्रारम्भ किये जाते है। गेहूँ तथा जौ क़ी स्वर्णिम बालियाँ भगवान को अर्पित क़ी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु तथा सरस्वती के पूजन का विशेष महत्व है। बसंत ऋतु कामोद दीपक होती है। इसके प्रमुख देवता काम तथा रति है। अतएव काम तथा रति की प्रधानतया पूजन करना चाहिए ।
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय
विद्या और बुद्धि की देवी है सरस्वती
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय बताते है कि भगवान विष्णु की आज्ञा से प्रजापति ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना करके जब उसे संसार में देखते थे तो चारो और सुनसान दिखाई देता था। उदासी से सारा वातावरण मूक सा हो गया था। जैसे किसी के वाणी न हो। यह देखकर ब्रह्मा जी ने उदासी तथा मलिनता को दूर करने के लिए अपने कमण्डलु से जल छिड़का। उन जलकणों के पड़ते ही वृक्ष से एक शक्ति उत्पन्न हुई जो दोनों हाथों से वीणा बजा रही थीं तथा दोनों हाथों में क्रमशः पुस्तक तथा माला धारण किये थी। ब्रह्मा जी ने उस देवी से वीणा बजाकर संसार की मूकता तथा उदासी दूर करने को कहा। तब उस देवी ने वीणा के मधुर-नाद से सब जीवों को वाणी प्रदान की इसलिए उस देवी को सरस्वती कहा गया। यह देवी विद्या, बुद्धि को देने वाली है। इसलिए जो व्यक्ति माँ सरस्वती की पूजा निष्ठा पूर्वक करता है उसे बुद्धि विद्या की प्राप्ति होती है।
बसंत पंचमी (Basant Panchami 2024) हिंदू परंपरा में अत्यधिक सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक महत्व रखती है। यह वसंत की शुरुआत, नवीकरण, विकास और समृद्धि के मौसम का प्रतीक है। यह त्यौहार पूरे भारत में बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है, जिसमें लोग विभिन्न अनुष्ठानों, समारोहों और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते हैं।
देवी सरस्वती की होती है पूजा
बसंत पंचमी (Basant Panchami 2024) मुख्य रूप से देवी सरस्वती की पूजा से जुड़ी है, जिन्हें ज्ञान, बुद्धिमत्ता, कला और विद्या के अवतार के रूप में पूजा जाता है। भक्त, विशेष रूप से छात्र, शिक्षक और कलाकार, शैक्षणिक गतिविधियों, रचनात्मक प्रयासों और आध्यात्मिक विकास में सफलता के लिए उनका आशीर्वाद चाहते हैं। इस दिन, देवी सरस्वती का सम्मान करने और उनका मार्गदर्शन और आशीर्वाद लेने के लिए घरों, मंदिरों और शैक्षणिक संस्थानों में विशेष प्रार्थना, पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं।
पीले रंग का होता है महत्व
बसंत पंचमी (Basant Panchami 2024) उत्सव के दौरान पीले रंग का विशेष महत्व होता है। यह सरसों के फूलों के रंग से जुड़ा है, जो वसंत के मौसम में खिलते हैं, जो नई शुरुआत, जीवन शक्ति और आशावाद का प्रतीक है। भक्त पारंपरिक रूप से पीले कपड़े पहनते हैं, अपने घरों को पीले फूलों और सजावट से सजाते हैं, और देवी को प्रसाद के रूप में पीली मिठाइयाँ और फल चढ़ाते हैं।
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