राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Basant Panchami 2024: बसंत पंचमी का त्यौहार हिंदू धर्म में प्रमुख त्योहारों (Basant Panchami 2024) में से एक माना जाता है। बसंत पंचमी को ज्ञान पंचमी और श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। बसंत पंचमी आमतौर पर बसंत ऋतु के दौरान मनाया जाता है। यह त्यौहार हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
पौराणिक परंपराओं के मुताबिक पूरे वर्ष को 6 ऋतुओं में बांटा गया है जिसमें अतंगर्त बसंत ऋतु, वर्षा ऋतु, हेमंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु,शरद ऋतु,और शिशिर ऋतु शामिल है। इन सभी ऋतुओं में बसंत ऋतु को राजा माना जाता है। इसी वजह से जिस दिन से बसंत ऋतु की शुरूआत होती है उसी दिन बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन से पर्यावरण में चारों तरफ हरियाली दिखने लगती है। इस साल बसंत पंचमी का त्यौहार 14 फरवरी को मनाया जाएगा।
आखिर क्यों मनाई जाती है बसंत पंचमी?
पौराणिक ग्रंथों और सदियों से चली आ रही मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन ही ज्ञान की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इसी वजह से इस दिन विधि विधान के साथ मां सरस्वती की पूजा की जाती है। बसंत पंचमी के दिन साधक मां सरस्वती से ज्ञान,कला, बुद्धि और विद्या का वरदान मांगा जाता है। इस दिन पीला रंग पहनना और पीले फूलों से ही मां सरस्वती की पूजा करना काफी शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में पीला रंग सुख, समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना गया है। वहीं इस दिन कुछ जगहों पर पतंग उड़ाने की भी परंपरा है। साथ ही इस दिन से वसंत ऋतु की शुरूआत होने की वजह से इस समय को फसलों के लिए अच्छा समय माना जाता है। कड़ाके की ठंड के बाद बसंत पंचमी के दिन पर फसल काटने का समय माना जाता है।
कैसे हुई बसंत पंचमी की शुरूआत?
हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का खास महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि इस दिन सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा जी पूरे संसार की रचना की थी और जब उन्होंने जीवों ओर मनुष्यों की रचना की तो उन्होंने देखा कि संसार अभी भी सुनसान निर्जन ही दिखाई दे रहा है। उन्हें संसार को वातावरण बिल्कूल शांत लगा जैसे इसमें कोई वाणी ना हो। अपनी रचना से असंतुष्ट होकर ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु से आज्ञा लेकर अपने कंमडल से पृथ्वी पर जल छिड़का।
पृथ्वी पर जल छिड़कने के बाद धरती पर कंपन हुआ और उसी समय चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का जन्म हुआ। उनके एक हाथ में वीणा,दूसरे हाथ में पुस्तक, तीसरे हाथ में वर मुद्रा और चौथे हाथ में माला थी। तब ब्रह्मा जी ने स्त्री से वीणा बजाने का निवेदन किया और स्त्री के वीणा बजाते ही पूरे संसार में सभी जीव जंतुओं को वाणी प्राप्त हुई। इसी वजह से उस देवी को मां सरस्वती कहा गया और उन्होंने सभी को वाणी के साथ ज्ञान और बुद्धि भी प्रदान की इस वजह से बसंत पंचमी के दिन विशेष रूप से मां सरस्वती की पूजा की जाती हैं।
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