Bhai Dooj 2024: कल मनाया जाएगा भाई दूज का त्योहार, जानें तिलक करने का शुभ मुहूर्त
Bhai Dooj 2024: कल रविवार 3 नवंबर को भाई दूज का त्योहार मनाया जाएगा। भाई दूज, जिसे भाऊ बीज, भात्र द्वितीया, भाई द्वितीया और भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है, एक पारंपरिक त्योहार (Bhai Dooj 2024) है जो भाइयों और बहनों के बीच के बंधन का जश्न मनाता है। दिवाली के बाद मनाया जाने वाला यह त्योहार बहन-भाई के रिश्ते को समर्पित है।
भाई दूज पर जानें पूजा का समंय
भाई दूज रविवार, नवम्बर 3 को मनाया जाएगा। भाई दूज (Bhai Dooj 2024) में तिलक का मुहूर्त अपराह्न 13:12 से 15:31 तक है। वहीँ यम द्वितीया भी रविवार, नवम्बर 3 को ही मनाया जाएगा।
द्वितीया तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 02, 2024 को 21:51 बजे
द्वितीया तिथि समाप्त – नवम्बर 03, 2024 को 23:35 बजे
भाई दूज का महत्व
भाई दूज (Bhai Dooj 2024) का भारत में अत्यधिक सांस्कृतिक महत्व है। यह त्योहार भाई-बहनों के बीच आजीवन बंधन का जश्न मनाता है, जहां बहनें अपने भाइयों की सलामती के लिए प्रार्थना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों की रक्षा करने की कसम खाते हैं। इस दिन के अनुष्ठान पारिवारिक संबंधों, एकता और आपसी सम्मान की याद दिलाते हैं।
भैया दूज अनुष्ठान कैसे करें?
भैया दूज (Bhai Dooj 2024) पर, बहनें टीका (जिसे तिलक भी कहा जाता है) समारोह करती हैं, एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान जो उनके भाइयों की समृद्धि और सुरक्षा के लिए उनकी प्रार्थना का प्रतीक है। आइये जानते हैं कैसे करें इस दिन के अनुष्ठान:
तैयारी: अनुष्ठान के लिए आवश्यक वस्तुओं को इकट्ठा करके शुरुआत करें। इनमें सिंदूर, चावल, एक छोटा दीया, मिठाई और फूल वाली एक थाली शामिल है। ये पारंपरिक तत्व हैं जिनका उपयोग भाई की भलाई के लिए आशीर्वाद और प्रार्थना करने के लिए किया जाता है।
दीया जलाना: बहन थाली में तेल का दीपक जलाती है। दीया दैवीय सुरक्षा और सकारात्मकता का प्रतीक है, जो भाई के लिए आशीर्वाद का मार्ग रोशन करता है।
टीका लगाना: बहन अपने भाई के माथे पर पवित्र लाल सिन्दूर का टीका लगाती है। यह भैया दूज अनुष्ठान का एक मुख्य हिस्सा है, जो नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा का प्रतीक है और उनकी सफलता और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता है।
मिठाई खिलाना और आरती करना: टीका के बाद, बहन आशीर्वाद पाने के लिए आरती करती है। फिर वह अपने भाई को खुशी और समृद्ध जीवन के प्रतीक के रूप में मिठाई खिलाती है।
उपहारों का आदान-प्रदान: परंपरागत रूप से, टीका समारोह के बाद, भाई अपनी बहन को प्रशंसा का प्रतीक या उपहार देता है। उपहारों का यह आदान-प्रदान उनके आपसी प्यार, देखभाल और कृतज्ञता का प्रतीक है।
एक साथ भोजन साझा करना: कई परिवार एक विशेष भोजन साझा करके अनुष्ठान के अंत का जश्न मनाते हैं। यह भाई-बहनों के लिए बंधन में बंधने, यादों को प्रतिबिंबित करने और एक-दूसरे की कंपनी का आनंद लेने का अवसर है।
क्षेत्रीय परंपराओं के अनुरूप भाई दूज के रीति-रिवाज पूरे भारत में अलग-अलग हैं। महाराष्ट्र और गोवा में, त्योहार को भाऊ बीज कहा जाता है, जहां बहनें टीका लगाने से पहले अपने भाइयों के बैठने के लिए फर्श पर एक वर्ग बनाती हैं। पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में, भाई दूज को भाई फोंटा के नाम से जाना जाता है, जिसमें टीका और आरती लगाने के समान रीति-रिवाज शामिल हैं।
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