Bharat Bandh 2024: आज विभिन्न दलित संगठनों ने ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है। जिसका बिहार में व्यापक असर देखने को मिल रहा है। उग्र प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए बिहार पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। इस दौरान प्रदर्शनसकारियों को शांत कराने पहुंचे SDM पर ही बिहार पुलिस के सिपाही ने लाठी भांज दी।
क्या है मामला?
बता दें कि भारत बंद के दौरान डाक बंगाल चौराहे पर प्रदर्शनकारी बंद का समर्थन करने के लिए बाजार बंद करा रहे थे। इस दौरान प्रदर्शनकारियों की भीड़ को रोकने लिए पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए लाठी चार्ज कर दिया। जिससे वहां भगदड़ मच गई। वहीं एसडीएम साहब ठेले पर जेनरेटर बंद करवा रहे थे।
तबी पुलिस के एक जवान ने SDM को आम अदमी समझते हुए गलती से उन पर लाठी बरसा दी। जिससे एसडीएम आग बबूला हो गए। लेकिन जैसे ही सिपाही को अपनी गलती का एहसास हुआ उसने तुरंत एसडीएम साहब से माफी मांगी। घटना का ये वीडियो जमकर वायरल हो रहा है।
भारत बंद के दौरान पटना में लाठीचार्ज, पुलिस वालों से गलती से SDM को ही लाठी मार दिया#bharatbandh #bharatband #bharatbandnews #bharatbandtoday #news #newsupdate #newsupdatetoday pic.twitter.com/3QvXkEmTRq
— Hind First (@Hindfirstnews) August 21, 2024
ये भी पढ़ेंः Bharat Bandh 2024: भारत बंद के समर्थन में चीराग पासवान, मंझी ने किया विरोध, अन्य राजनीतिक पार्टियों का क्या है स्टैड
क्यों बुलाया गया है भारत बंद
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति (SC) एवं जनजाति (ST) आरक्षण में क्रीमेलेयर को लेकर एक फैसला सुनाया था। जिसका आज देशभर में दलित संगठनों द्वारा भारत बंद बुलाकर विरोध किया जा रहा है। रहे हैं। उनकी मांग है कि कोर्ट ने कोटा पर कोटा देने का जो फैसला लिया है उसे वापस ले या फैसले पर पुनर्विचार करे।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था ये फैसला?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति (SC) एवं जनजाति (ST) आरक्षण में क्रीमेलेयर को लेकर एक फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सभी SC और ST जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं। इनमें कुछ जातिया अधिक पिछड़ी हो सकती हैं। कोर्ट ने उदाहरण देते हुए समझाया कि जैसे सीवर की सफाई करने वाले और बुनकर का काम करने वाले, ये दोनों जातियां SC में शामिल हैं।
ये भी पढ़ेंः Bharat Bandh 2024: ‘भारत बंद’ की क्या है वजह, क्या है मांगे, क्या खुलेगा और क्या रहेगा बंद? पढ़िए यहां पूरी जानकारी
लेकिन ये देखा गया है कि इन जातियों के लोग अन्य जातियों के लोगों से ज्यादा पिछड़े हैं। इन जातियों के लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए राज्य सरकारें SC-ST आरक्षण में आरक्षण लगाकर उनके लिए अलग से कोटा निर्धारित कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि उनका ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने कोटा में कोटा देने के फैसले के साथ यह भी कहा कि राज्य सरकारें अपनी मर्जी से ये फैसला नहीं लेंगी। उसमें दो शर्ते शामिल होंगी-
पहला- राज्य सरकारें SC के अंदर किसी एक जाति को सौ फीसदी आरक्षण नहीं दे सकती।
दूसरा- SC में शामिल किसी भी जाति का आरक्षण तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का सही डेटा उपलब्ध होना चाहिए।