अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन का कार्यकाल अब खत्म होने वाला है, लेकिन जाते-जाते उन्होंने भारत को एक बहुत बड़ा तोहफा दे दिया है। ये तोहफा भारत और अमेरिका के रिश्तों को एक नई दिशा में लेकर जाएगा और दोनों देशों के बीच तकनीकी और सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाएगा। तो चलिए जानते हैं बाइडेन सरकार के इस बड़े तोहफे के बारे में और यह भारत के लिए क्यों अहम है।
क्या हैं ये दो बड़े तोहफे?
भारत के परमाणु संस्थानों को मिली राहत
भारत को मिली एडवांस AI चिप्स की सुविधा
आइए विस्तार से समझते हैं कि ये दोनों फैसले भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं।
1. भारत के परमाणु संस्थानों को मिली राहत
अमेरिका ने भारत के कुछ प्रमुख परमाणु संस्थानों को अपनी ‘एंटिटी लिस्ट’ से हटा दिया है। अब आपको ये समझना होगा कि ‘एंटिटी लिस्ट’ का मतलब क्या होता है। दरअसल, यह एक अमेरिकी सूची है, जिसमें वे संस्थान होते हैं, जिन पर अमेरिका व्यापारिक प्रतिबंध लगाता है। इसका मतलब है कि इन संस्थाओं को अमेरिका से किसी भी तरह की तकनीकी मदद या सामान खरीदने में दिक्कत होती थी। अब, भारत के तीन बड़े परमाणु संस्थान—भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR), और इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (IREL)—अमेरिका की ‘एंटिटी लिस्ट’ से बाहर हो चुके हैं। इसका मतलब ये है कि अब इन संस्थानों को अमेरिकी तकनीकी सामान और उपकरण खरीदने में कोई परेशानी नहीं होगी।
‘एंटिटी लिस्ट’ से बाहर होने का क्या फायदा?
जब कोई संस्थान ‘एंटिटी लिस्ट’ में होता है, तो उसे अमेरिकी कंपनियों से सामान और तकनीक खरीदने के लिए विशेष अनुमति की जरूरत होती है। लेकिन अब इन भारतीय संस्थानों को बिना किसी विशेष अनुमति के अमेरिका से तकनीकी सामान मिल सकता है, जिससे भारत के परमाणु क्षेत्र में तेजी से विकास होगा।
2. एडवांस AI चिप्स की सुविधा
अमेरिका ने भारत को एडवांस AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) चिप्स तक पहुंच की अनुमति दे दी है। यह चिप्स दुनिया के सबसे उन्नत तकनीकी उत्पादों में से एक माने जाते हैं, और इनका इस्तेमाल स्मार्ट टेक्नोलॉजी, ऑटोमेशन, और कई अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में किया जाता है। इस फैसले के बाद, भारत उन 18 देशों में शामिल हो गया है, जिन्हें ये खास AI चिप्स बिना किसी रोक-टोक के मिल सकेंगे। इसका मतलब यह है कि भारत अब AI टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में और भी तेजी से आगे बढ़ेगा, और इससे देश की तकनीकी क्षमता में काफी इजाफा होगा।
AI चिप्स का भारत को क्या फायदा?
इन चिप्स की मदद से भारत स्मार्ट टेक्नोलॉजी, रोबोटिक्स, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में बड़ी प्रगति कर सकता है। यही नहीं, इसका फायदा भारतीय रक्षा क्षेत्र और अन्य तकनीकी क्षेत्रों में भी होगा। इससे भारतीय कंपनियों को नई तकनीक मिल सकेगी, जो उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी प्रतिस्पर्धी बना देगी।
चीन के लिए परेशानी
जब अमेरिका ने भारत को ये रियायतें दी हैं, तो वही वक्त था जब उसने चीन के 11 संगठनों को ‘एंटिटी लिस्ट’ में डाल दिया। इसका मतलब है कि अब चीन की कंपनियों को एडवांस सेमीकंडक्टर और AI चिप्स जैसी महत्वपूर्ण तकनीकों तक पहुंच नहीं मिल पाएगी। यह कदम अमेरिका की नीति का हिस्सा है, जिसमें वह चीन और अन्य विरोधी देशों की तकनीकी ताकत को सीमित करना चाहता है। अमेरिका का यह कदम दिखाता है कि भारत को उसे लेकर बहुत अहमियत दी जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी का अमेरिका दौरा
इन फैसलों के पीछे भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका दौरा भी एक बड़ा कारण था। पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका का दौरा किया था, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका के अधिकारियों से बातचीत की थी। इस दौरान भारत ने इन परमाणु संस्थानों पर लगे प्रतिबंधों को हटाने की मांग की थी। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने खुद इस बात की पुष्टि की कि ये फैसले मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान की गई चर्चा का नतीजा हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका ने 20 साल पहले भारत के साथ असैन्य परमाणु सहयोग पर काम करना शुरू किया था, और अब समय आ गया है कि इसे पूरा किया जाए।
भारत-अमेरिका रिश्तों में नई मजबूती
यह दोनों फैसले भारत और अमेरिका के रिश्तों में एक नई मजबूती लाएंगे। खासकर तकनीकी और सुरक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों का सहयोग और बढ़ेगा। परमाणु और AI जैसी तकनीकी रियायतें भारत को अपने रक्षा और ऊर्जा क्षेत्रों में सुधार करने का मौका देंगी। इससे भारत अपनी वैश्विक भूमिका को और मज़बूत कर सकेगा।
भविष्य में क्या हो सकता है?
इन रियायतों से भारत को कई क्षेत्रों में फायदा होगा, खासकर तकनीकी, सुरक्षा और ऊर्जा के क्षेत्र में। इन कदमों से भारत को अपनी उन्नति के लिए न केवल अमेरिकी समर्थन मिलेगा, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत अब वैश्विक शक्ति संतुलन में अपनी अहमियत और बढ़ाने की ओर बढ़ रहा है। आने वाले समय में, ये फैसले भारत के लिए नई संभावनाएं खोल सकते हैं, जो उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर और भी शक्तिशाली बना देंगे।