उमर अब्दुल्ला को क्यों लगता है J&K में सरकार बना सकती है बीजेपी?
Jammu and kashmir election: नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के नेता उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में कहा है कि जम्मू-कश्मीर में बीजेपी सरकार बना सकती है। उन्होंने इसके पीछे की वजह भी बताई है। उमर अब्दुल्ला ने कुपवाड़ा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि अगर कश्मीर घाटी में वोटों का बंटवारा होता है, तो बीजेपी सत्ता में आ सकती है। उनका कहना है कि वोट बंटवारे से बचने के लिए लोगों को समझदारी से वोट डालने की जरूरत है।
महबूबा मुफ्ती का भी वोट बंटवारे का डर
यह डर सिर्फ उमर अब्दुल्ला को ही नहीं है, बल्कि पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को भी इस बारे में चिंता है। महबूबा ने इंजीनियर राशिद को बीजेपी की ‘प्रॉक्सी’ बताते हुए कहा कि उनकी वजह से कश्मीर में वोटों का बंटवारा हो सकता है। महबूबा के अनुसार, राशिद के कारण कश्मीर घाटी में वोट बंट सकते हैं, जो बीजेपी को फायदा पहुंचा सकता है।
इंजीनियर राशिद की भूमिका
जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद चुनाव हो रहे हैं और दोनों प्रमुख पार्टियां, पीडीपी और एनसी, सत्ता पाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही हैं। इंजीनियर राशिद, जो कि अब अंतरिम जमानत पर बाहर हैं, कश्मीर क्षेत्र की 20 सीटों पर जीत का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। उनकी पार्टी के मेनिफेस्टो में छात्रों के लिए मुफ्त लैपटॉप और राजनीतिक कैदियों की रिहाई जैसे वादे शामिल हैं। राशिद ने लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला को हराया था, और अब वह विधानसभा चुनाव में भी अपनी किस्मत आजमाने जा रहे हैं।
वोट बंटवारे का गणित
एनसी और पीडीपी को कश्मीर घाटी में वोट बंटने का डर सता रहा है। 2014 के विधानसभा चुनाव में, पीडीपी ने कश्मीर घाटी की 25 सीटों में से अधिकांश पर जीत हासिल की थी, जबकि एनसी को 12 सीटें मिली थीं। कांग्रेस को 4 सीटें और अन्य को 5 सीटें मिली थीं। अगर इंजीनियर राशिद की पार्टी चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करती है, तो यह दोनों प्रमुख पार्टियों की सत्ताप्राप्ति की संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है।
क्या है बीजेपी का प्लान
जम्मू क्षेत्र में बीजेपी की स्थिति मजबूत है। पार्टी ने सभी 43 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और 37 सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा है। परिसीमन के बाद, जम्मू में सीटों की संख्या बढ़ गई है, जिससे बीजेपी को लाभ हो सकता है। जम्मू में बीजेपी का प्रभाव मुख्यतः हिंदू-बहुल इलाकों में है, लेकिन पार्टी ने पिछले कुछ वर्षों में मुस्लिम-बहुल जिलों में भी अच्छा प्रदर्शन किया है।
लेकिन भाजपा कश्मीर घाटी में केवल 19 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। पार्टी का कहना है कि कश्मीर में अकेले ज्यादा सीटें जीतना उनके लिए संभव नहीं है, इसलिए उन्होंने निर्दलीयों और सहयोगी पार्टियों पर भरोसा जताया है।
बीजेपी की कश्मीर घाटी में रणनीति
भाजपा के अनंतनाग से उम्मीदवार राफिक वाणी ने खुलासा किया कि पार्टी कश्मीर घाटी में निर्दलीय प्रत्याशियों और सहयोगी नेताओं की मदद से चुनावी लाभ उठाने की योजना बना रही है। वाणी ने कहा कि इंजीनियर राशिद, सज्जाद लोन, और अल्ताफ बुखारी जैसे नेता उनके अपने हैं और उनकी मदद से पार्टी को फायदा हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि कई निर्दलीय प्रत्याशी भी पार्टी के पक्ष में काम कर सकते हैं।
कश्मीर घाटी में भाजपा ने 19 सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे हैं, और बाकी सीटों पर पार्टी का भरोसा निर्दलीयों और अन्य सहयोगी नेताओं पर है। पार्टी का मानना है कि इन नेताओं और निर्दलीयों के सहयोग से कश्मीर में बेहतर प्रदर्शन किया जा सकता है और चुनावी गणित को अपने पक्ष में किया जा सकता है।
बीजेपी की यह रणनीति बताती है कि पार्टी ने जम्मू और कश्मीर घाटी में अपनी ताकत और संसाधनों को अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल करने की योजना बनाई है। जम्मू में जहां पार्टी का पूरा जोर है, वहीं कश्मीर घाटी में सहयोगी पार्टियों और निर्दलीयों पर निर्भरता बढ़ाई गई है।
चुनाव के बाद की संभावनाएं
चुनाव के बाद अगर कोई पार्टी बहुमत हासिल नहीं करती है, तो बीजेपी त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है और फिर छोटी पार्टियों और निर्दलीयों की मदद से सरकार बनाने की कोशिश करेगी। 2024 के आम चुनावों में, एनसी-कांग्रेस गठबंधन ने 41 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी ने 29 सीटें प्राप्त की थीं। अगर चुनाव परिणाम त्रिशंकु होते हैं, तो बीजेपी छोटी पार्टियों की मदद से सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है।