दिल्ली प्रदूषण: केजरीवाल पर बीजेपी का तीखा हमला, यमुना में डुबकी लगाने का दिया चुनौती

केजरीवाल पर बीजेपी का तीखा हमला, 2015 से बोल रहे लेकिन अभी तक नहीं लगाई यमुना में डुबकी

Delhi pollution: ठंड का मौसम आते ही उत्तर भारत में वायु प्रदूषण की समस्या गहराने लगती है, और इस बार राजधानी दिल्ली इसका सबसे बड़ा केंद्र बन गई है। यहां 3 करोड़ से ज्यादा लोग जहरीली हवा के शिकार हो रहे हैं। बीजेपी ने इस मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर तीखा हमला बोला है। बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से उन्हें इस प्रदूषण के कारण गला खराब हो रहा है, और वे दवाइयां लेकर इस जानलेवा स्थिति से जूझ रहे हैं।

केजरीवाल पर गंभीर आरोप

प्रदीप भंडारी ने सीधे तौर पर केजरीवाल पर तंज कसते हुए कहा कि वह यमुना नदी में डुबकी लगाने का दावा करते हैं, लेकिन उन्होंने अब तक ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा, “मैं केजरीवाल को ओपन चैलेंज देता हूं कि वे पिछले 24 घंटे में यमुना में डुबकी लगाकर दिखाएं।” भंडारी की मानो तो  यमुना की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि कोई भी उसमें डुबकी लगाने का साहस नहीं कर सकता।

भंडारी ने यह भी कहा कि केजरीवाल अपने बड़े और आलीशान बंगले में 40 एयर प्यूरिफायर लगा सकते हैं, लेकिन झुग्गियों में रहने वाले लोगों की स्थिति के बारे में उन्हें कोई चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि केजरीवाल मानते हैं कि उन्होंने दिल्ली की हवा को सुधार दिया है, तो उन्हें बिना मास्क के बाहर घूमकर दिखाना चाहिए।

बीजेपी की तीखी प्रतिक्रिया

भंडारी ने और भी कड़े शब्दों में कहा, “अगर केजरीवाल को लगता है कि उन्होंने कुछ किया है, तो वे अपने शीश महल के बजाय झुग्गी झोपड़ियों में रहकर दिखाएं।” उनका आरोप था कि केजरीवाल ने दिल्ली में कोई सकारात्मक काम नहीं किया है और सिर्फ झूठे वादे किए हैं। इस बयान ने दिल्ली के राजनीतिक माहौल को और गर्म कर दिया है।

आप के मंत्री रो रहे कम समय का रोना

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने हाल ही में प्रदूषण से निपटने के लिए एक बैठक बुलाई, जिसमें केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, भूपेंद्र यादव, और पड़ोसी राज्यों के पर्यावरण मंत्री भी शामिल हुए। बैठक का उद्देश्य दिल्ली में बिगड़ती हवा की गुणवत्ता का आकलन करना और उसका समाधान निकालना था।

इस बैठक में गोपाल राय ने कहा कि पिछले साल अगस्त में इसी तरह की बैठक हुई थी, जिससे उन्हें रणनीति बनाने के लिए अधिक समय मिल गया था। उन्होंने चिंता जताई कि इस साल की बैठक अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में हुई, और अगर यह तीन महीने पहले आयोजित की गई होती, तो प्रदूषण की समस्या से अधिक प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता था।

दिल्ली बनी गैस चैंबर

दिल्ली में सर्दियों की शुरुआत के साथ ही लोग करीब तीन महीने तक एक गैस चैंबर जैसी स्थिति में रह जाते हैं, जहां उन्हें जहरीली हवा में सांस लेना पड़ता है। इसका सबसे अधिक असर बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और पहले से बीमार लोगों पर पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार दिल्ली के प्रदूषण पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारें प्रदूषण को खत्म करने के लिए कई दावे पेश करती हैं, फिर भी प्रदूषण के स्तर में कोई राहत नहीं मिली है।

 

बता दें दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और इसके प्रभाव के मुद्दे पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। केजरीवाल सरकार को बीजेपी द्वारा उठाए गए सवालों का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली के निवासियों को सुरक्षित और स्वच्छ हवा का इंतजार है, लेकिन स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है। प्रदूषण के इस संकट से निपटने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि दिल्लीवासियों को राहत मिल सके।