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UP उपचुनाव में फ्रंट फुट पर क्यों नहीं खेल रही BJP? जानें किस बात से डर रहे CM योगी

UP उपचुनाव
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उत्तर प्रदेश में आगामी उपचुनाव को लेकर बीजेपी की चुप्पी राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गई है। जबकि महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावों में बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों के नाम तेजी से घोषित कर दिए, यूपी के नौ विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी ने अब तक किसी भी प्रत्याशी का नाम नहीं बताया है। जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है, बीजेपी के संभावित उम्मीदवारों की घोषणा की प्रतीक्षा सभी की नजरों में है।

2027 के विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल है ये उपचुनाव 

बीजेपी के लिए यह उपचुनाव न केवल स्थानीय राजनीति का मुद्दा है, बल्कि इसे 2027 के विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल माना जा रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को अपेक्षित परिणाम नहीं मिले थे, जिससे जनता में सियासी भ्रम फैल गया है। इस स्थिति से निपटने के लिए बीजेपी उपचुनाव के जरिए सपा को तगड़ा झटका देने की योजना बना रही है। इसीलिए, बीजेपी ने अपनी रणनीति को लेकर काफी सावधानी बरती है और किसी भी राजनीतिक रिस्क से बचने की कोशिश कर रही है।

जानिए यूपी की 10 विधानसभा सीटों में से 9 पर कब होंगो उपचुनाव?

बीजेपी ने उपचुनाव में निषाद पार्टी को एक भी सीट नहीं दी है, जिसके कारण पार्टी के मुखिया संजय निषाद ने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से मिलने का निर्णय लिया है। वे मंगलवार को दिल्ली में पार्टी नेताओं से मुलाकात करेंगे, जहां वे अपनी पार्टी के लिए सीटों की मांग करेंगे। इस बीच, बीजेपी ने यूपी में आठ सीटों के लिए 24 संभावित दावेदारों की लिस्ट शीर्ष नेतृत्व को भेजी है, लेकिन निषाद पार्टी की स्थिति अभी भी अनिश्चित बनी हुई है।

संभावित उम्मीदवारों की सूची

बीजेपी ने गाजियाबाद सदर, अलीगढ़, कुंदरकी, सीसामऊ, मंझवा, फूलपुर, कटेहरी और मैनपुरी जैसे विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में संभावित उम्मीदवारों के नाम भेजे हैं। इनमें से गाजियाबाद सदर से संजीव शर्मा, मयंक गोयल और ललित जयसवाल; अलीगढ़ की खैर से भोला दिवाकर, सुरेंद्र दिलेर और मुकेश सूर्यवंशी; और कुंदरकी से शेफाली सिंह, रामवीर सिंह और मनीष सिंह के नाम शामिल हैं। इस सूची में अधिकांश नाम ओबीसी और अतिपिछड़े वर्ग के नेताओं के हैं, जो जातीय समीकरणों को साधने की बीजेपी की रणनीति को दर्शाते हैं।

आरएलडी की भूमिका

मीरापुर विधानसभा सीट पर आरएलडी का विशेष ध्यान है, क्योंकि यहाँ मुस्लिम, जाट और गुर्जर वोटरों की महत्वपूर्ण भूमिका है। आरएलडी अपनी रणनीति को लेकर बहुत सावधानी बरत रही है और उम्मीदवार का चयन करते समय जातिगत समीकरणों का ध्यान रख रही है। पार्टी यह सुनिश्चित करना चाहती है कि उनके उम्मीदवार जातिगत समीकरणों के अनुसार हों और उनके पास एक साफ-सुथरा चेहरा हो। पिछले विधानसभा चुनाव में आरएलडी ने सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार बीजेपी के साथ गठबंधन में है, जिससे उनकी रणनीति और भी महत्वपूर्ण हो गई है।

बीजेपी की रणनीति

बीजेपी ने उपचुनाव में शत-प्रतिशत सफलता हासिल करने के लिए एक ठोस रणनीति तैयार की है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में यूपी उपचुनाव के लिए संभावित उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा की है। पार्टी की कोशिश है कि उपचुनाव के नतीजे 2027 के विधानसभा चुनाव पर सकारात्मक प्रभाव डालें। इसी कारण, पार्टी प्रत्याशियों की घोषणा में जल्दबाजी नहीं दिखा रही है और हर पहलू को बारीकी से देख रही है।

इस प्रकार, बीजेपी के लिए ये उपचुनाव केवल एक स्थानीय चुनौती नहीं हैं, बल्कि 2024 और 2027 के चुनावों की दिशा को तय करने का एक महत्वपूर्ण मोड़ हैं। पार्टी की वर्तमान रणनीति और सावधानी इस बात का संकेत है कि वे किसी भी प्रकार के राजनीतिक जोखिम को उठाने के लिए तैयार नहीं हैं।

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