यमन के सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय नर्स निमिषा प्रिया (Nimisha Priya) को मौत की सजा सुनाई है। उन पर यमन के नागरिक, तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप है। इसके बाद अब भारत सरकार निमिषा की मदद के लिए आगे आई है।
मौत की सजा का मामला अभी यमन के राष्ट्रपति के पास है, लेकिन दया याचिका पर अब तक राष्ट्रपति ने कोई निर्णय नहीं लिया है। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में इस बारे में जानकारी दी। कुछ दिन पहले यह मामला लोकसभा में भी चर्चा का विषय बना था।
विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि वह यमन में मौत की सजा का सामना कर रही एक भारतीय नर्स, निमिशा प्रिया, की मदद के लिए सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है। केरल की रहने वाली निमिशा प्रिया को एक यमन नागरिक की हत्या के आरोप में मौत की सजा दी गई है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘हमें निमिशा प्रिया की सजा के बारे में जानकारी है। हम जानते हैं कि उनका परिवार इस मामले में आगे के विकल्पों पर विचार कर रहा है। सरकार इस मामले में पूरी मदद देने के लिए काम कर रही है।’
क्या हैं निमिषा प्रिया का मामला?
खबरों के मुताबिक केरल के पलक्कड़ जिले की निवासी निमिषा प्रिया को 2017 में यमन में एक नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। निमिषा 2012 में नर्स के रूप में यमन गई थीं, और 2015 में उन्होंने तलाल के साथ मिलकर वहां एक क्लीनिक खोला था।
तलाल ने धोखे से क्लीनिक में खुद को शेयरहोल्डर के रूप में जोड़ लिया और आधी आय हड़पने की कोशिश की। इसके बाद, उसने खुद को निमिषा का पति बताकर झूठ बोला। जब निमिषा ने इस बारे में सवाल किए, तो दोनों के बीच बहस शुरू हो गई। तलाल ने गुस्से में आकर निमिषा के साथ मारपीट और यौन शोषण करना शुरू कर दिया।
नशीला इंजेक्शन बना तलाल की मौत का कारण
निमिषा ने जुलाई 2017 में तलाल को एक नशीला इंजेक्शन दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। निमिषा का कहना है कि उसने जानबूझकर उसे मारने का इरादा नहीं किया था, बल्कि वह सिर्फ तलाल से अपना पासपोर्ट वापस लेना चाहती थी।
निमिषा की मां, प्रेमकुमार, ने अपनी बेटी को बचाने के लिए यमन जाकर पूरी कोशिश की। लेकिन यमन की निचली अदालत ने निमिषा को दोषी मानते हुए उसे फांसी की सजा सुना दी। इसके बाद, यमन की सुप्रीम कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया।
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