(Canada Hindu Safety) कनाडा में हिंदू समुदाय के लिए चिंता का विषय बन गया है अपनी सुरक्षा। पिछले कुछ समय से लगातार हो रही घटनाओं ने हिंदुओं के मन में डर पैदा कर दिया है। ताजा मामला है अलबर्टा में होने वाले भारतीय कौंसुलेट के एक कैंप का रद्द होना। यह कैंप रविवार को लगना था, लेकिन खालिस्तानी समर्थकों की धमकी के कारण इसे रद्द करना पड़ा। इस घटना ने एक बार फिर कनाडा में रह रहे हिंदुओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कनाडा में हिंदुओं के बीच बढ़ता असुरक्षा का माहौल
(Canada Hindu Safety) हाल ही में हुए एक सर्वे में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। इस सर्वे में शामिल ज्यादातर हिंदुओं ने माना कि वे अपनी सुरक्षा को लेकर डरे हुए हैं। यह डर कई कारणों से बढ़ा है। पहला कारण है मंदिरों पर हो रहे हमले। पिछले दिनों हुए मंदिर पर हमले ने हिंदू समुदाय की चिंता को और बढ़ा दिया है। दूसरा बड़ा कारण है कनाडा सरकार पर से भरोसे का कम होना। लोगों को लग रहा है कि सरकार उनकी सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है।
सर्वे के नतीजे बताते हैं कि 98.5 प्रतिशत हिंदुओं को मंदिर पर हुए हमले की जानकारी है। वहीं ओंटारियो और ब्रिटिश कोलंबिया के 95 प्रतिशत हिंदुओं का कहना है कि इन हमलों के बाद वे खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। यह आंकड़े बताते हैं कि स्थिति कितनी गंभीर हो चुकी है।
सरकार और कानूनी एजेंसियों पर उठते सवाल
सर्वे में एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। 98 प्रतिशत हिंदुओं ने जस्टिन ट्रूडो सरकार के रुख को खराब या बेहद खराब बताया है। इतना ही नहीं, कनाडा की कानूनी एजेंसियों के बारे में भी 96 प्रतिशत लोगों की राय नकारात्मक है। यह आंकड़े बताते हैं कि हिंदू समुदाय न केवल अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है, बल्कि उसे सरकार और कानून व्यवस्था पर भी भरोसा नहीं रह गया है।
इस बीच, खालिस्तानी समर्थक संगठनों की गतिविधियां भी चिंता का विषय बनी हुई हैं। सिख्स फॉर जस्टिस जैसे संगठन खुलेआम भारतीय कूटनीतिक गतिविधियों में बाधा डालने की धमकी दे रहे हैं। उन्होंने कहा है कि वे कनाडा में होने वाले भारतीय कौंसुलेट के कैंपों का विरोध करते रहेंगे। यह स्थिति हिंदू समुदाय के लिए और भी चिंताजनक है।
इन सभी घटनाओं के मद्देनजर, भारतीय कौंसुलेट ने भी सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। टोरंटो स्थित भारतीय कौंसुलेट ने पिछले सप्ताह ही कुछ कौंसुलर कैंपों को रद्द करने का ऐलान किया था। उनका कहना था कि कनाडा सरकार ने सुरक्षा को लेकर भरोसा नहीं दिलाया है, इसलिए वे यह कदम उठा रहे हैं।
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