कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और भारत के PM मोदी

कनाडा ने मोदी सरकार पर लगाया गंभीर आरोप, कहा- फंडिंग के जरिए हमारी संसद में अपने लोग भेज रहा भारत

भारत और कनाडा के बीच का तनाव एक बार फिर से सतह पर आ गया है। कनाडा की सिक्योरिटी इंटेलिजेंस सर्विस (CSIS) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि भारत अपने प्रवासी समुदायों को प्रभावित करने के लिए अवैध फंडिंग और दुष्प्रचार का सहारा ले रहा है। CSIS की इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने कनाडा की राजनीतिक व्यवस्था में भी हस्तक्षेप किया है, जिससे वह अपनी पसंद के नेताओं को संसद तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा है।

भारत का दखल

इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि भारत सरकार खालिस्तान आंदोलन के खिलाफ समर्थन को कमजोर करने के लिए कनाडा के अंदरूनी मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। द ग्लोबल एंड मेल के अनुसार, इस रिपोर्ट को ‘कंट्री समरीज’ नाम दिया गया है, जिसमें भारत पर कई आरोप लगाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार अपनी पसंद के उम्मीदवारों को मदद करती है, जिसमें नामांकन प्रक्रिया में दखल देना भी शामिल है।

सुरक्षा एजेंसियों की जांच

कनाडा की मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह खुलासा सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के अंदरूनी जानकारियों के आधार पर किया गया है। CSIS का कहना है कि भारत के इन प्रयासों का मकसद कनाडा की राजनीति में अपनी पकड़ बनाना है।

पिछले साल का विवाद

भारत और कनाडा के संबंधों में दरार तब पैदा हुई थी जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 18 सितंबर 2023 को संसद में यह आरोप लगाया था कि खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की खुफिया एजेंसी का हाथ है। ट्रूडो ने कहा था कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियां इस हत्या के संदर्भ में भारत सरकार के एजेंटों के बीच संभावित संबंधों की जांच कर रही हैं। उनके इस बयान के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया था, और भारत ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया था।

नए विवाद की शुरुआत

अब CSIS की नई रिपोर्ट के बाद यह स्पष्ट है कि भारत-कनाडा के रिश्तों में खटास और बढ़ सकती है। यह मामला केवल एक राजनीतिक विवाद नहीं है, बल्कि यह भारत और कनाडा के बीच की कूटनीतिक जटिलताओं को भी उजागर करता है। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर बातचीत और संवाद कैसे आगे बढ़ता है।इस नए आरोप के बाद भारत और कनाडा के रिश्ते और भी जटिल होते दिख रहे हैं।  कनाडा में भारतीय समुदाय की स्थिति पर भी यह विवाद प्रभाव डाल सकता है, और इसके परिणामस्वरूप दोनों देशों के बीच की कूटनीतिक बातचीत को प्रभावित कर सकता है।

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