Delhi LG P0wer Increase: MCD में आज 12 वार्ड समितियों का चुनाव होना है। MCD चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने दिल्ली के उपराज्यपाल के पावर को और बढ़ा दिया है। मंगलवार को केंद्र सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर जानकारी दी। जिसके बाद अब LG को प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या सांविधिक निकाय का गठन और सदस्यों की नियुक्तियों करने का अधिकार दे दिया गया है।
LG को पूरा अधिकार दे दिया गया है
गृह मंत्रालय ने मंगलवार को अधिसूचना जारी की कि राष्ट्रपति ने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के अधिकार के दायरे को बढ़ा दिया है। अब दिल्ली के उपराज्यपाल को यह अधिकार है कि वे राष्ट्रीय राजधानी के लिए संसद द्वारा बनाए गए कानूनों के तहत किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या सांविधिक निकाय का गठन और सदस्यों की नियुक्ति कर सकते हैं।
सरकार की अधिसूचना में क्या लिखा?
गृह मंत्रालय ने एक राजपत्र अधिसूचना में कहा, ‘संविधान के अनुच्छेद 239 के खंड (1) और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली अधिनियम, 1991 (1992 का 1) की धारा 45D के साथ पढ़ी जाने वाली धारा के अनुसरण में, राष्ट्रपति यह निर्देश देते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उपराज्यपाल, राष्ट्रपति के नियंत्रण के अधीन और अगले आदेश तक, उक्त अधिनियम की धारा 45D के खंड (a) के तहत राष्ट्रपति की शक्तियों का प्रयोग करेंगे। चाहे वह किसी भी नाम से किसी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या सांविधिक निकाय का गठन हो या ऐसे प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या सांविधिक निकाय में किसी सरकारी अधिकारी या पदेन सदस्य की नियुक्ति हो।’
The Ministry of Home Affairs has notified that the President has delegated to the Delhi L-G the power to form and appoint members to any authority, board, commission, or statutory body under laws enacted by Parliament for Delhi. pic.twitter.com/0jricFKEHS
— Press Trust of India (@PTI_News) September 3, 2024
एक्शन में आए दिल्ली के एलजी
वहीं अधिसूचना जारी होने के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल तुरंत एक्शन में भी आ गए। उन्होंने MCD वार्ड समिति चुनानों के लिए पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति भी कर दी है। उपकराज्यपाल के आदेश के अनुसार अब अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और स्थायी समीति के सदक्यों के पदों के लिए चुनाव तय कार्यक्रम यानी 4 सितंबर को ही होंगे।
शैली ओबेरॉय ने नियुक्ति करने से इनकार किया
बता दें कि इससे पहले मेयर शैली ओबेरॉय ने पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति करने से इनकार कर दिया था। उनका कहना था कि वह अपनी अंकरात्मा की आवाज सुनेंगी और इस अलोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनेंगी।
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