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Chaitra Navratri 2024 Day 4: नवरात्रि के चौथे दिन होती माँ कुष्मांडा की पूजा, जानिये पूजन विधि, मंत्र और स्त्रोत

Chaitra Navratri 2024 Day
Chaitra Navratri 2024 Day (Image Credit: Social Media)

Chaitra Navratri 2024 Day 4: लखनऊ। चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की पूजा होती है। नवरात्रि के चौथे दिन (Chaitra Navratri 2024 Day 4) पूजी जाने वाली मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड का निर्माता माना जाता है, जो शून्य से प्रकट होती हैं, उनका नाम ब्रह्मांडीय अंडे (कुश्म अंडा – “ब्रह्मांडीय अंडा”) का प्रतीक है। उन्हें आठ भुजाओं, हथियार, माला और अमृत का घड़ा पकड़े हुए, बाघ पर सवार, शक्ति और साहस का प्रतीक दर्शाया गया है।

कहा जाता है कि माँ कुष्मांडा (Chaitra Navratri 2024 Day 4) की दिव्य मुस्कान ब्रह्मांड को प्रकाश प्रदान करती है। भक्त स्वास्थ्य, शक्ति और धन के लिए उनकी पूजा करते हैं। माँ कुष्मांडा को प्रसाद के रूप में मालपुआ चढ़ाने से बुद्धि और निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है। मां कुष्मांडा की पूजा से भक्तों को नेतृत्व गुणों और दुखों और बीमारियों का नाश होता है।

Chaitra Navratri 2024 Day 4कैसे हुआ माँ कुष्मांडा का जन्म

द्रिक पंचांग के अनुसार सिद्धिदात्री का रूप लेने के बाद, देवी पार्वती सूर्य के केंद्र के अंदर रहने लगीं ताकि वह ब्रह्मांड को ऊर्जा प्रदान कर सकें। तभी से देवी को कुष्मांडा (Chaitra Navratri 2024 Day 4)के नाम से जाना जाता है। कुष्मांडा वह देवी हैं जिनमें सूर्य के अंदर निवास करने की शक्ति और क्षमता है। इनके शरीर की कांति सूर्य के समान दैदीप्यमान है। ऐसा माना जाता है कि देवी कुष्मांडा सूर्य को दिशा और ऊर्जा प्रदान करती हैं। इसलिए भगवान सूर्य देवी कुष्मांडा (Chaitra Navratri 2024 Day 4) द्वारा शासित हैं। आठ भुजाओं वाली कुष्मांडा देवी को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जानते हैं। अपने सभी हाथों में वह माला, तीर, धनुष, चक्र, गदा, कामद्दलु, कमल और अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए अमृत का कलश रखती हैं। उनके भक्तों को अष्ट सिद्धि, यानी ज्ञान के आठ स्रोत, और नवनिधि – नौ प्रकार की संपत्ति का आशीर्वाद मिलता है। संस्कृत में कूष्माण्ड का अर्थ है कद्दू; इसलिए माता को कद्दू की बलि बहुत पसंद है।

Chaitra Navratri 2024 Day 4माँ कुष्मांडा पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन (Chaitra Navratri 2024 Day 4) सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करें।

मंदिर को अच्छी तरह से साफ करें और चौथे दिन देवी की पूजा करने के लिए अनुष्ठान करना शुरू करें।

लाल फूल जैसे गुड़हल या गुलाब के फूल चढ़ाएं।

सिन्दूर, नैवेद्य करें, दीपक, धूप आदि जलायें।

मां कूष्मांडा की पूजा करते समय हरे रंग के कपड़े पहनें।

मां कूष्मांडा देवी को भोग में दही, पेठा या हलवे का भोग लगाएं.

मां कुष्मांडा की कथा (Chaitra Navratri 2024 Day 4) मान्यता के अनुसार, मालपुए का भी भोग लगाया जा सकता है क्योंकि इससे देवी प्रसन्न होती हैं।

अनुष्ठान के अनुसार समर्पित होकर व्रत करने से रोग दूर हो जाते हैं और भक्तों को स्वस्थ शरीर का आशीर्वाद मिलता है।

Chaitra Navratri 2024 Day 4माँ कुष्मांडा मंत्र, प्रार्थना, स्तुति, ध्यान, स्त्रोत और कवच

मन्त्र- ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥

प्रार्थना

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

स्तुति- या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

ध्यान

वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥

भास्वर भानु निभाम् अनाहत स्थिताम् चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।

कमण्डलु, चाप, बाण, पद्म, सुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥

पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।

मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।

कोमलाङ्गी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

Chaitra Navratri 2024 Day 4स्तोत्र

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।

जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।

चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहि दुःख शोक निवारिणीम्।

परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

कवच

हंसरै में शिर पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्।

हसलकरीं नेत्रेच, हसरौश्च ललाटकम्॥

कौमारी पातु सर्वगात्रे, वाराही उत्तरे तथा,

पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम।

दिग्विदिक्षु सर्वत्रेव कूं बीजम् सर्वदावतु॥

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