Chaitra Navratri in Bikaner: चेत्र नवरात्रि आज से, विश्व प्रसिद्ध देशनोक करणी माता मंदिर में होगी विशेष पूजा अर्चना
Chaitra Navratri in Bikaner: बीकानेर। चैत्र नवरात्रि आज से प्रारम्भ हो गया है। इस वर्ष नवरात्र पूरे 9 दिन तक हैं और 17 अप्रेल को रामनवमी पर्व के साथ समाप्त होगा। पश्चिमी राजस्थान में बीकानेर (Chaitra Navratri in Bikaner) के देशनोक में करणी माता का प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर में बड़ी संख्या में चूहे रहते हैं इसलिए इसे चूहे वाली माता का मंदिर या रैट टैम्पल भी कहा जाता है।
मान्यता है कि इन चूहों में भी कुछ चूहे सफेद हैं। मंदिर में सफेद चूहों को देखना अति शुभ माना जाता है। ये देवी का चमत्कार ही माना जाता है कि इतने सारे चूहे होने के बावजूद आज तक यहां कोई बीमारी नहीं फैली। नवरात्र (Chaitra Navratri in Bikaner) पर यहां भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन और मनोकामना लेकर पहुंचते हैं।
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— OTT India (@OTTIndia1) April 9, 2024
चवदैसे चम्मालवे, सातम शुक्रवार.आसोज मास उजाल पंख ,आई लियो अवतार
विक्रम संवत 1444 अश्विन शुक्ला सप्तमी शुक्रवार तदनुसार 20 सितंबर 1387 को जोधपुर जिले के सुवाप गांव में किनिया शाखा के चारण कुल में पिता मेहोजी एव माता देवल बाई के घर इक्कीस माह गर्भ रहने बाद माँ करणी (Chaitra Navratri in Bikaner) का जन्म हुआ। कहते है बचपन से ही माँ करणी ने अलौकिक लीला दिखाना शुरू कर दिया था।अपने पिता को सर्पदंश लगने पर विक्रम संवत 1450 में विष मुक्त कर जीवन दान दिया।
देशनोक करणी माता का मंदिर (Chaitra Navratri in Bikaner) संभवतया देश का ऐसा इकलौता मंदिर है जहां पर करीब 25 हजार चूहे भी रहते हैं। ऐसी मान्यता है कि मंदिर के चारण जाति के लोग मरने के बाद इन्हीं चूहों के रुप में जन्म लेते हैं। इन चूहों को काबा भी कहा जाता है। सफेद चूहों को मां करणी का वाहक माना जाता है।
करणी माता बीकानेर राजघराने की कुलदेवी हैं
करणी माता के वर्तमान मंदिर का निर्माण (Chaitra Navratri in Bikaner) बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह ने करवाया था। इस मंदिर में चूहों के अलावा संगमरमर के मुख्य द्वार पर की गई उत्कृष्ट कारीगरी, मुख्य द्वार पर लगे चांदी के बड़े-बड़े किवाड़, माता के सोने के छत्र और चूहों के प्रसाद के लिए रखी चांदी की बहुत बड़ी परात भी मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं। श्रद्धालुओं का मत है कि करणी देवी साक्षात मां जगदम्बा की अवतार थीं।
करीब 650 वर्ष पूर्व जिस स्थान पर यह भव्य मंदिर है, वहां एक गुफा में रहकर मां अपने ईष्ट देव की पूजा अर्चना किया करती थीं। यह गुफा आज भी मंदिर परिसर में स्थित है। मां के ज्योर्तिलीन होने पर उनकी इच्छानुसार उनकी मूर्ति की इस गुफा में स्थापना की गई। बताते हैं मां करणी के आशीर्वाद से ही बीकानेर और जोधपुर राज्य की स्थापना की गई थी। यह प्रसिद्ध मंदिर बीकानेर रेलवे स्टेशन से करीब 30 किलोमीटर है। यहां सड़क और रेल मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
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