Uttarakhand Avalanche: उत्तराखंड के चमोली जिले में माणा गांव के पास हुए एवलांच ने कई लोगों की जिंदगी बदलकर रख दी है। बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) के मजदूर जो सड़क निर्माण का काम कर रहे थे, अचानक हुए हिमस्खलन में फंस गए। इस हादसे में 4 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई गंभीर रूप से घायल हो गए। जो बच गए, वे उस पल को याद करके आज भी सिहर उठते हैं। यह घटना न सिर्फ प्रकृति की ताकत को दर्शाती है, बल्कि उन मजदूरों की मुश्किल हालात को भी उजागर करती है, जो कठिन परिस्थितियों में भी देश के लिए काम करते हैं।
कैसे हुआ था हादसा?
माणा गांव के पास कंटेनरों में रह रहे 55 मजदूर सुबह-सुबह काम पर निकले ही थे कि अचानक ग्लेशियर (Uttarakhand Avalanche) टूट गया। बर्फ का एक विशाल पहाड़ तेजी से उनकी ओर बढ़ने लगा। गोपाल जोशी, जो एक मशीन ऑपरेटर हैं, बताते हैं, “मैंने देखा कि बर्फ का एक बड़ा गोला हमारी ओर आ रहा है। मैंने साथियों से चिल्लाकर कहा कि भागो, लेकिन बर्फ की मोटी परत के कारण हम तेजी से भाग नहीं सके।”
मानों मौत के मुंह का निवाला बन गए मजदूर
एवलांच में जिस साइट पर मजदूर काम कर रहे थे, वह पूरी तरह से तबाह हो गई है। कई मजदूर बर्फ की मोटी चादर में दब गए। किसी का पैर टूटा, तो किसी के सिर और पीठ में गंभीर चोटें आईं। 50 मजदूरों को बचा लिया गया, लेकिन 4 लोगों ने दम तोड़ दिया।
मजदूरों की आपबीती बोले-‘दूसरा जन्म मिला’
15 मिनट तक बर्फ में दबे रहे विपिन कुमार नाम के एक मजदूर बताते हैं कि “जब मैं बाहर निकला, तो ऐसा लगा कि मुझे दूसरा जन्म मिल गया है। एक अन्य मजदूर मनोज भंडारी ने बताया कि उन्होंने चोटी से बर्फ का पहाड़ गिरते देखा और तुरंत पास खड़ी लोडर मशीन के पीछे छिप गए।
बद्रीनाथ की ओर भागे कई मजदूर
पंजाब के अमृतसर जिले के रहने वाले जगबीर सिंह ने बताया कि जब उन्होंने बर्फ का तूफान (Uttarakhand Avalanche) आते देखा, तो वे बद्रीनाथ की ओर भागने लगे। हादसे में ज्यादातर मजदूरों के सिर, हाथ और पैर में गंभीर चोटें आई हैं। गंभीर रूप से घायल लोगों को AIIMS ऋषिकेश भेजा गया है।
रेस्क्यू ऑपरेशन
हादसे के बाद भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और अन्य रेस्क्यू टीमें मौके पर पहुंचीं। घायलों को ज्योतिर्मठ अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। सेना के अस्पताल में भी कई घायलों का इलाज किया जा रहा है।
हादसे के वक्त कहां थे मजदूर?
बता दें कि माणा गांव में सड़क के पास ही कंटेनर लगे थे, जहां मजदूर रह रहे थे। UP, बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और कश्मीर के 55 मजदूर इस हादसे में फंसे थे।
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