यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने बड़ा दावा किया है कि रूस ने चेरनोबिल न्यूक्लियर प्लांट पर ड्रोन से हमला किया है। यह हमला गुरुवार रात हुआ। हालाँकि, यूक्रेन की स्टेट इमरजेंसी सर्विस का कहना है कि रेडिएशन का स्तर सामान्य बना हुआ है, यानी कोई खतरनाक रिसाव नहीं हुआ।
IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी) ने जानकारी दी कि हमले की वजह से प्लांट में आग लग गई थी, लेकिन फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन इस बीच ऐसे हमले चिंता बढ़ा रहे हैं।
रेडिएशन का लेवल नहीं बढ़ा
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी दी कि रूस के एक हमलावर ड्रोन ने चेरनोबिल के चौथे पावर यूनिट के ऊपर बने सुरक्षा शेल्टर पर हमला किया। यह शेल्टर रेडिएशन को रोकने के लिए बनाया गया था। इस हमले से कंक्रीट का शेल्टर क्षतिग्रस्त हो गया, लेकिन आग पर काबू पा लिया गया है।
जेलेंस्की ने बताया कि फिलहाल रेडिएशन का स्तर सामान्य है और स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। शुरुआती जांच में पता चला है कि शेल्टर को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें हमले के बाद तेज रोशनी और आसमान में धुएं का बड़ा गुबार दिखाई दे रहा है।
Last night, a Russian attack drone with a high-explosive warhead struck the shelter protecting the world from radiation at the destroyed 4th power unit of the Chornobyl Nuclear Power Plant.
This shelter was built by Ukraine together with other countries of Europe and the world,… pic.twitter.com/mLTGeDYgPT
— Volodymyr Zelenskyy / Володимир Зеленський (@ZelenskyyUa) February 14, 2025
चेरनोबिल प्लांट पर ड्रोन हमला, IAEA ने दी जानकारी
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने बताया कि चेरनोबिल परमाणु संयंत्र पर हमला हुआ है। स्थानीय समयानुसार रात करीब 2 बजे, प्लांट पर मौजूद IAEA टीम ने एक तेज़ धमाके की आवाज़ सुनी। यह धमाका “न्यू सेफ कन्फाइनमेंट” में हुआ, जो 1986 में हुए चेरनोबिल हादसे के बाद बनाए गए सुरक्षा ढांचे का हिस्सा है।
IAEA के अनुसार, धमाके के बाद वहां आग भी लग गई। उन्हें बताया गया कि यह हमला एक ड्रोन (यूएवी) से किया गया, जिसने पावर प्लांट की छत को निशाना बनाया।
बता दें कि 1986 में चेरनोबिल के रिएक्टर नंबर 4 में बड़ा परमाणु हादसा हुआ था, जिससे सोवियत संघ और यूरोप के कई हिस्सों में खतरनाक रेडिएशन फैल गया था। इस रेडिएशन को रोकने के लिए उस जगह को कंक्रीट और स्टील के भारी ढांचे (सार्कोफैगस) से ढका गया था।
रूस के 73 ड्रोन को मार गिरायाः यूक्रेनी सेना
सार्कोफेगस एक अंतरराष्ट्रीय परियोजना थी, जिसे पूरा करने में कई दशकों का समय लगा। यह आखिरकार 2017 में तैयार हुआ और इसका वजन 35,000 टन है।
कल रात यूक्रेनी सेना ने बताया कि रूस ने यूक्रेन पर 133 ड्रोन भेजे थे, जिनमें से 73 को नष्ट कर दिया गया और 58 ड्रोन अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाए। ये आंकड़े हाल के ड्रोन हमलों के औसत के हिसाब से हैं। यूक्रेन के 11 अलग-अलग क्षेत्रों में इन ड्रोन को गिराया गया।
यूरोप में दहशत का मौहोल
यह हमला ऐसे वक्त में हुआ है जब रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता चल रही थी। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद शांति की कोशिशें तेज हो गई हैं। हाल ही में शांति प्रयासों में भी तेजी आई थी, लेकिन रूस के इस हमले से युद्ध बढ़ सकता है। इस हमले के बाद पूरे यूक्रेन और यूरोप में डर फैल गया है। अगर परमाणु रिएक्टर से रिसाव हुआ, तो पूरा यूरोप मुश्किल में पड़ सकता है, और इससे जनहानि वैसी हो सकती है जैसे जापान में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुई थी।