Chhath Puja Arghya Muhurat

Chhath Puja Arghya Muhurat: छठ आज से शुरू, कल है खरना, जानें डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय

Chhath Puja Arghya Muhurat: आज से छठ महापर्व की शुरुआत हो गयी है। इस चार दिवसीय महापर्व का आरम्भ आज नहाय खाय से हो गया है। कल 6 नवंबर को खरना (Chhath Puja Arghya Muhurat) होगा। जिसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होगा। अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य 7 नवंबर को दिया जाएगा तो वहीं उगते हुए सूर्य को अर्घ्य 8 नवंबर को दिया जाएगा। इसके साथ ही इस पर्व का समापन हो जाएगा।

डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय

लखनऊ स्थित ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय के अनुसार, सूर्य षष्ठी व्रत गुरुवार 7 नवंबर को शाम को अर्घ्य दिया जाएगा। सायंकाल अस्ताचलगामी सूर्य अथवा डूबते हुए सूर्य को (Chhath Puja Arghya Muhurat) अर्घ्य देने का समय शाम 05:32 मिनट पर है। वहीं छठ पर्व के आखिरी दिन 8 नवंबर दिन शुक्रवार को अर्घ्य देने का समय सुबह 06:35 मिनट पर है।

Chhath Puja Arghya Muhuratकल है खरना

छठ पर्व में खरना का बहुत महत्व होता है। खरना छठ पर्व का दूसरा दिन होता है। हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना मनाया जाता है। यह 6 नवंबर बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन, भक्त अपने शरीर और आत्मा को शुद्ध करते हुए, सूर्योदय से सूर्यास्त तक बिना पानी के उपवास करते हैं। सूर्यास्त के बाद, वे प्रसाद के रूप में गुड़, चावल और दूध से बनी खीर जिसे आम बोलचाल में रसियाव कहते हैं, तैयार करते हैं। इस प्रसाद को परिवार और पड़ोसियों के बीच साझा किया जाता है। छठ व्रती रसियाव को रोटी के सतह खाते हैं। इसके बाद से ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होता है, जिसका समापन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद होता है।

Chhath Puja Arghya Muhuratखरना का महत्व

छठ पूजा के दूसरे दिन मनाए जाने वाले खरना का महत्व इसकी आध्यात्मिक सफाई और मुख्य अनुष्ठानों की तैयारी में निहित है। इस दिन लोग सूर्योदय से सूर्यास्त तक बिना भोजन या पानी के उपवास करते हैं, जो आत्म-अनुशासन, शुद्धि और सूर्य देव के प्रति समर्पण को दर्शाता है। सूर्यास्त के समय, वे प्रसाद के रूप में गुड़ और चावल से बनी मीठी खीर बनाकर और चढ़ाकर अपना व्रत तोड़ते हैं। यह अनुष्ठान दैवीय आशीर्वाद के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा का प्रतीक है, समुदाय की भावना को बढ़ावा देता है और प्रसाद को प्रियजनों के बीच वितरित किया जाता है। खरना आंतरिक शांति, भक्ति और अगले पवित्र अनुष्ठानों के लिए तैयारी को बढ़ावा देता है।

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