China Taiwan Tension: यह दशक मानों युद्ध की भेंट चढ़ने वाला है। अफ़ग़ान में तख्तापलट से शुरू होता हुआ, रूस-यूक्रेन युद्ध हो, मिडिल ईस्ट में इजराइल का हमास और हिज्ज्बुल्लाह के साथ युद्ध, सीरिया और बांग्लादेश का तख्तापलट या फिर उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच का तनाव हो हर तरफ अफरा-तफरी का मची हुई है। इसी बीच दो और खिलाड़ियों के बीच युद्ध होने की पूरी संभावना नज़र आ रही है और ये दो महान खिलाड़ी है चीन और ताइवान।
एक दिन में ताइवान की सीमा में आए 53 चीनी विमान
चीन और ताइवान के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। ताइवान ने बताया कि बीते 24 घंटे में उसके आस-पास 53 चीनी सैन्य विमान और 19 जहाज देखे गए है, इतने सारी संख्या में चीनी सैन्य विमानों का ताइवान के करीब आना, बीजिंग की बड़ी गतिविधि मानी जा रही है। ये घटनाएं दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव को और बढ़ा रही हैं।
ताइवान के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, बुधवार सुबह 6 बजे तक बीते 24 घंटे में 11 युद्धपोत और कई विमान ताइवान के हवाई और समुद्री क्षेत्र में देखे गए है। हालांकि, पूर्वी चीन सागर, ताइवान स्ट्रेट, दक्षिण चीन सागर (south china sea) या पश्चिमी प्रशांत महासागर में बढ़ रही इन सैन्य गतिविधियों पर चीनी सेना या सरकारी मीडिया की तरफ से अभी तक कोई बयान नहीं दिया गया है।
बता दें, चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा था कि चीन ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है और अपनी संप्रभुता की दृढ़ता से रक्षा करेगा।
बीजिंग का अब तक का सबसे बड़ा समुद्री अभ्यास
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि उसके हवाई क्षेत्र और आसपास के इलाकों में चीन के 47 लड़ाकू विमान और 12 युद्धपोत देखे गए। यह अब तक के सबसे ज्यादा विमानों की संख्या है जो एक दिन में देखे गए हैं। इससे पहले 15 अक्टूबर को 153 चीनी विमानों की मौजूदगी दर्ज की गई थी। उस समय चीन ने ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते के राष्ट्रीय दिवस भाषण के जवाब में बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास किया था।
ताइपे ने कहा है कि चीन हाल ही में ओकिनावा, ताइवान और फिलीपींस को जोड़ने वाली जो पहली आइसलैंड चैन के रूप में जानी जाती है, वहां करीब 90 जहाज तैनात कर रहा है। यह बीजिंग का अब तक का सबसे बड़ा समुद्री अभ्यास है।
अमेरिका के साथ दोस्ती से नाराज चीन
लाई चिंग-ते के ताइवान का राष्ट्रपति बनने के बाद से ताइवान और अमेरिका के संबंधों में और मजबूती आई है, जो चीन को बिलकुल पसंद नहीं आ रहा है और इसलिए चीन ने ताइवान के क्षेत्र में अपनी मौजूदगी को और मजबूत किया है।
यह भी पढ़े: