चीन ने हाल ही में अपना नया AI चैटबॉट ‘DeepSeek’ लॉन्च किया है, जो इंटरनेट पर चर्चा का विषय बन गया है। AI की दुनिया में इसे चीन की बड़ी छलांग बताया जा रहा है, लेकिन इसके साथ ही विवाद भी खड़े हो गए हैं। डीपसीक पर आरोप लग रहे हैं कि यह चीन के प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ा रहा है और सेंसरशिप के दायरे में काम कर रहा है। मामला तब तूल पकड़ने लगा जब कुछ यूजर्स ने डीपसीक से उइगर मुसलमानों की स्थिति पर सवाल किया। जवाब में डीपसीक ने वही दोहराया, जो चीन की सरकार कहती आई है— “चीन में उइगरों को विकास, धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने के पूरे अधिकार मिले हुए हैं।” यह जवाब सुनते ही इंटरनेट पर बवाल मच गया। लोग सवाल पूछने लगे कि आखिर चीन का यह AI सच बताने से क्यों बच रहा है?
उइगर मुसलमानों पर सवाल क्यों उठते हैं?
अब जरा बैकग्राउंड समझिए। चीन के शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुसलमानों की हालत को लेकर कई सालों से खबरें आती रही हैं। मानवाधिकार संगठनों और पश्चिमी देशों का दावा है कि चीन यहां उइगरों के खिलाफ जुल्म कर रहा है।
क्या कहती हैं रिपोर्ट्स
लाखों उइगर मुसलमानों को डिटेंशन कैंप में रखा गया है।
मस्जिदों को तोड़ा गया और धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगी।
जबरन नसबंदी कराई जा रही है ताकि उइगर आबादी ना बढ़े।
उइगर महिलाओं को चीन के हान समुदाय के पुरुषों से शादी करने के लिए मजबूर किया जाता है।
उनकी संस्कृति और भाषा को खत्म करने की कोशिश हो रही है।
हालांकि, चीन हमेशा इन आरोपों को झूठ बताता आया है। उसका कहना है कि वह उइगरों को आधुनिक जीवन से जोड़ रहा है और उन्हें “व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों” में स्किल डेवलपमेंट की सुविधा दे रहा है।
DeepSeek ने उइगरों से जुड़े सवाल पर क्या कहा?
जब डीपसीक से पूछा गया कि चीन उइगर मुसलमानों के साथ कैसा व्यवहार कर रहा है, तो उसका जवाब बिल्कुल कूटनीतिक था।
डीपसीक ने कहा, “चीन में उइगरों को विकास, धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता और सांस्कृतिक विरासत का पूरा अधिकार प्राप्त है।”
इतना ही नहीं, जब किसी यूजर ने पश्चिमी मीडिया के दावों पर सवाल किया, तो डीपसीक ने जवाब दिया, “हम दुनिया भर के दोस्तों का चीन आने का स्वागत करते हैं, जिसमें झिंजियांग भी शामिल है, ताकि वे खुद सही स्थिति देख सकें और झूठी सूचनाओं से गुमराह न हों।”
मतलब, AI भी वही बोल रहा है जो चीन सरकार हमेशा से कहती रही है। यही वजह है कि अब DeepSeek पर यह आरोप लग रहे हैं कि वह प्रोपेगेंडा फैला रहा है और संवेदनशील मुद्दों पर सच छुपा रहा है।
दूसरे AI क्या कह रहे हैं?
अब यहां तुलना करना जरूरी हो जाता है। जब एंथ्रोपिक कंपनी के AI Claude से यही सवाल पूछा गया तो उसने डिटेल में जवाब दिया। उसने बताया कि चीन में उइगरों को हिरासत में लिया जाता है, जबरन नसबंदी कराई जाती है और उनके धार्मिक अधिकार छीने जा रहे हैं। इसी तरह, OpenAI के ChatGPT और Google के Gemini ने भी उइगर मुसलमानों पर चीन की नीतियों को लेकर आलोचनात्मक जवाब दिए। लेकिन चीन का DeepSeek इससे अलग है। वह उइगरों पर चर्चा से बचता है या फिर सरकार की लाइन को दोहराता है।
क्या DeepSeek चीन का नया प्रोपेगेंडा टूल है?
DeepSeek को लेकर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि चीन में इंटरनेट पर पहले से ही भारी सेंसरशिप है। वहां Google, Facebook, Twitter और YouTube जैसी वेबसाइट्स बैन हैं। अब DeepSeek को लेकर आशंका जताई जा रही है कि यह चीन की सेंसरशिप नीति का हिस्सा है। इसे एक ऐसा AI बनाया गया है, जो दुनिया को सिर्फ वही बताएगा जो चीन सरकार चाहती है। मानवाधिकार संगठनों को डर है कि अगर चीन अपने AI मॉडल को पूरी दुनिया में फैलाने में कामयाब हो गया, तो सच को दबाने का एक और तरीका मिल जाएगा।
क्या DeepSeek के जवाब बदल सकते हैं?
चीन में सेंसरशिप कोई नई बात नहीं है, लेकिन AI के मामले में यह पहली बार हो रहा है कि एक चैटबॉट खुलकर सरकार की लाइन पर चलता नजर आ रहा है। फिलहाल DeepSeek नया है, इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भविष्य में इसके जवाबों में बदलाव आता है या फिर यह हमेशा सरकार की ही बात दोहराता रहेगा।
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