बांग्लादेश में हिंदुओं का विरोध प्रदर्शन जारी, बीएनपी ने निकाली रैली
बांग्लादेश इन दिनों राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक तनाव से जूझ रहा है। देश में एक तरफ हिंदू समुदाय अपने अधिकारों और सुरक्षा के लिए सड़कों पर उतरा है, तो दूसरी ओर विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने नए चुनाव और सुधारों की मांग को लेकर बड़ी रैली निकाली है। इन घटनाक्रमों ने देश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है।
हिंदुओं का विरोध प्रदर्शन
बांग्लादेश के चटगांव (Chittagong News) के हजारी गली इलाके में हिंदुओं पर हुए हमले और बर्बरता की घटनाओं के विरोध में इस्कॉन बांग्लादेश के पदाधिकारियों ने शुक्रवार को प्रदर्शन किया। इस्कॉन के प्रतिनिधियों ने कहा कि उनके संगठन के बारे में भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है, जिसका वे विरोध करते हैं। हिंदू समुदाय लगातार अपनी सुरक्षा और अधिकारों की मांग कर रहा है। उनका कहना है कि देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिन पर रोक लगाना जरूरी है।
बीएनपी की विशाल रैली
दूसरी ओर, बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने शुक्रवार को राजधानी ढाका में एक बड़ी रैली निकाली। हजारों की संख्या में बीएनपी कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे और नए सिरे से चुनाव कराने तथा तत्काल सुधारों की मांग की। बीएनपी का कहना है कि मौजूदा अंतरिम सरकार को जल्द से जल्द सुधार लाने चाहिए और नए चुनाव कराने की घोषणा करनी चाहिए।
यह रैली ऐसे समय में हुई है जब अगस्त में हुए देशव्यापी प्रदर्शनों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश छोड़ दिया था। उनके बाद से मुहम्मद युनूस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार काम कर रही है। बीएनपी इस अंतरिम सरकार पर लगातार दबाव बना रही है।
राजनीतिक उथल-पुथल और भविष्य की चुनौतियां
बांग्लादेश की राजनीति में हसीना और जिया दो प्रमुख प्रतिद्वंद्वी रही हैं। वर्तमान में जिया बीमार हैं और व्यक्तिगत रूप से रैली का नेतृत्व नहीं कर पाईं। उनके बड़े बेटे तारिक रहमान, जो 2008 से निर्वासन में हैं, पार्टी के उत्तराधिकारी माने जाते हैं। रहमान ने लंदन से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कहा कि अंतरिम सरकार को किसी भी हाल में विफल नहीं होने देना चाहिए, क्योंकि देश गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है।
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि शेख हसीना की पूर्व सरकार के सहयोगी अभी भी शासन-प्रशासन में सक्रिय हैं, इसलिए बीएनपी समर्थकों को सतर्क रहना चाहिए। यह बयान बताता है कि देश में राजनीतिक तनाव अभी भी बरकरार है।
बांग्लादेश में मौजूदा स्थिति काफी नाजुक है। एक ओर हिंदू समुदाय अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है, तो दूसरी ओर राजनीतिक दल सत्ता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अंतरिम सरकार के सामने बड़ी चुनौती है कि वह इन सभी मुद्दों को कैसे संभालती है और देश में शांति और स्थिरता कायम करती है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बांग्लादेश की राजनीति किस दिशा में मुड़ती है और क्या नए चुनाव की घोषणा होती है।
यह भी पढ़े: