CJI चंद्रचूड़ की विदाई: एक ऐसे न्यायधीश जो समाज और कानून दोनों के लिए प्रेरणा बने
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का आज ‘लास्ट वर्किंग डे’ था। हालांकि उनका कार्यकाल आगामी 10 नवंबर को समाप्त हो रहा है। लेकिन 9 और 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की छुट्टी होने के कारण उनका अंतिम कार्यदिवस आज हुआ। इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट में एक भावुक विदाई समारोह आयोजित किया गया, जिसमें न्यायपालिका के दिग्गजों और वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने उनके योगदान को सराहा और उनके कार्यकाल को याद किया। सीजेआई चंद्रचूड़ का कार्यकाल भारतीय न्यायपालिका के लिए कई मायनों में ऐतिहासिक रहा, और उनकी विदाई के दौरान उनके फैसलों, विचारों और नेतृत्व का जिक्र किया गया।
अपनी विदाई के मौके पर उन्होंने कोर्ट में एक भावुक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान किसी भी तरह से अगर किसी को ठेस पहुंचाई हो, तो माफी भी मांगी। उनके इस भावुक और विनम्र बयान ने उनके अंतिम दिन को यादगार बना दिया।
CJI चंद्रचूड़ ने अपने आखिरी दिन के दौरान सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा, “अगर मेरे किसी फैसले या किसी शब्द से किसी को ठेस पहुंची हो, तो मैं दिल से माफी चाहता हूं। मेरा हमेशा यही प्रयास रहा कि न्याय की प्रक्रिया में निष्पक्षता और ईमानदारी बनी रहे।” उनके इस बयान ने सभी को एहसास दिलाया कि वे न केवल एक सक्षम न्यायधीश थे, बल्कि संवेदनशील और दिल से न्याय करने वाले व्यक्ति भी थे।
जस्टिस चंद्रचूड़ की विदाई के बाद उनकी जगह पर जस्टिस के.वी. चंद्रचूड़ को सुप्रीम कोर्ट का नया मुख्य न्यायधीश नियुक्त किया जाएगा। चंद्रचूड़ ने भारतीय न्याय व्यवस्था को एक नई दिशा दी और न केवल कानून के रखवाले बने, बल्कि उन्होंने समाज के लिए भी कई ऐसे ऐतिहासिक फैसले किए जिनसे न्याय की प्रक्रिया में एक नया मुकाम हासिल हुआ।
CJI चंद्रचूड़ का कार्यकाल और उनका योगदान
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल भारतीय न्यायपालिका के लिए महत्वपूर्ण क्षणों से भरा रहा। उन्होंने हमेशा न्यायिक स्वतंत्रता, संविधान की रक्षा और सामाजिक न्याय के पक्ष में फैसले दिए। चंद्रचूड़ को उनके निर्णयों में निष्पक्षता और संवेदनशीलता के लिए सराहा गया। उनका कार्यकाल उन न्यायधीशों के लिए याद किया जाएगा, जिन्होंने मानवाधिकारों की रक्षा की, समाज के वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और न्यायपालिका को आधुनिक बनाने के लिए कई कदम उठाए।
उनकी विदाई के समय सुप्रीम कोर्ट में आयोजित कार्यक्रम में कई वरिष्ठ न्यायधीशों और अधिवक्ताओं ने उनके योगदान को स्वीकार किया। उन्होंने भारतीय न्यायपालिका को मजबूत और विश्वसनीय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी अध्यक्षता में, सुप्रीम कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण फैसले दिए, जिनका देश की न्यायिक व्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा।
विदाई समारोह में क्या हुआ?
सीजेआई चंद्रचूड़ के अंतिम कार्य दिवस पर सुप्रीम कोर्ट में एक सेरेमोनियल बेंच का आयोजन किया गया, जिसमें देश के प्रमुख न्यायधीशों और वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान एक लाइव स्ट्रीमिंग भी की गई, जिससे लाखों लोग इस खास मौके का हिस्सा बने।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों और अधिकारियों ने चंद्रचूड़ के कार्यकाल और उनके व्यक्तित्व को लेकर कई सकारात्मक बातें साझा कीं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, एएसजी एन वेंकटरमन, और अन्य दिग्गजों ने उनके साथ बिताए गए पलों को याद किया और उनकी न्यायिक यात्रा को सम्मानित किया।
तुषार मेहता ने कहा कि चंद्रचूड़ हमेशा न्याय देने में निष्पक्ष और ईमानदार रहे हैं। उनके फैसलों में कभी भी पक्षपाती होने का आरोप नहीं लगा। उन्होंने अदालत में परिवार के कर्ता की तरह हमेशा जिम्मेदारी ली और उसे निभाया।
कपिल सिब्बल ने कहा कि चंद्रचूड़ एक असाधारण पिता के असाधारण पुत्र हैं। उनके जीवन और कार्यों से हम सब को प्रेरणा मिली है। उन्होंने हमेशा मुस्कान के साथ न्याय किया, और उनके कार्यों में कोई घबराहट नहीं थी। सिब्बल ने यह भी कहा कि चंद्रचूड़ जैसा न्यायधीश कोई और नहीं हो सकता, क्योंकि उन्होंने संविधान के मूल्यों और न्यायपालिका की साख को सर्वोपरि रखा।
एएम सिंघवी ने कहा कि पिछले 42 वर्षों में चंद्रचूड़ की ऊर्जा में कोई कमी नहीं आई, बल्कि लगातार बढ़ोतरी हुई। उन्होंने न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से न्यायिक प्रणाली को आगे बढ़ाया, बल्कि अपने निर्णयों के माध्यम से समाज को एक नई दिशा दी। सिंघवी ने मजाक करते हुए कहा कि सीजेआई चंद्रचूड़ को अपनी युवावस्था का राज भी बताना चाहिए, क्योंकि उनके चेहरे की चमक और ऊर्जा हमेशा बनी रही।
मुकुल रोहतगी ने कहा कि वह और चंद्रचूड़ एक साथ कई वर्षों तक काम कर चुके हैं, और वह हमेशा उनके साथ बैठकर काम करने को प्रेरणादायक मानते हैं। उन्होंने सीजेआई के साथ अपनी लंच मीटिंग्स का भी जिक्र किया, और उम्मीद जताई कि भविष्य में फिर से साथ बैठकर चर्चा करने का अवसर मिलेगा।
CJI चंद्रचूड़ के नेतृत्व में कैसी थी न्यायपालिका की दिशा?
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट ने कई ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण फैसले दिए। उनकी अध्यक्षता में कई संविधान पीठों ने अहम मामलों पर सुनवाई की, जैसे कि धार्मिक स्वतंत्रता, समान नागरिक संहिता, और महिला अधिकारों के मुद्दे। उनके कार्यकाल के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने कई जटिल और विवादित मामलों में न्याय दिलाने की दिशा में पहल की।
चंद्रचूड़ के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट ने तकनीकी दृष्टिकोण से भी सुधार किए, जिससे न्यायिक प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और सुलभ बनाया गया। उनकी अध्यक्षता में, कोर्ट ने डिजिटल माध्यमों का व्यापक इस्तेमाल किया, जिससे न्याय की प्रक्रिया अधिक प्रभावी और त्वरित हो सकी।
उनकी नेतृत्व क्षमता के बारे में वरिष्ठ अधिवक्ता एन वेंकटरमन ने कहा कि चंद्रचूड़ का स्वभाव 5सी (शांत, संयमित, आलोचना से दूर) के रूप में जाना जाएगा। उन्होंने कभी भी अपने फैसलों में किसी प्रकार की पक्षपाती भावना को जगह नहीं दी, और हमेशा न्याय को सर्वोच्च रखा।
CJI चंद्रचूड़ की उम्र भले ही कम हो, लेकिन उनके फैसले और दृष्टिकोण ने उन्हें भारतीय न्यायपालिका के सबसे सम्मानित चेहरों में से एक बना दिया। न्यायपालिका में उनके योगदान को लेकर सभी ने उन्हें सराहा। उनकी विदाई पर कई लोगों ने उनकी युवा दिखने की आदत का भी मजाक किया, और पूछा कि उनका ‘युवा लुक’ का राज क्या है।
कई ऐतिहासिक फैसलों के गवाह हैं CJI चंद्रचूड़
क्रमांक | फैसला | क्या हुआ था | क्यों महत्वपूर्ण था |
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1 | निजता का अधिकार (2017) | सुप्रीम कोर्ट ने निजता को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी। | यह फैसला लोगों के व्यक्तिगत डेटा और जानकारी को सुरक्षित रखने की दिशा में बहुत बड़ा कदम था। |
2 | महिला अधिकारों में सुधार (2022) | महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन देने का अधिकार मिला। | महिलाओं को समान अधिकार मिलना, खासकर सेना जैसी संस्थाओं में, महिलाओं के लिए एक बड़ी जीत थी। |
3 | अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता | चंद्रचूड़ ने यह सुनिश्चित किया कि नागरिकों और मीडिया को बिना किसी डर के अपनी राय रखने का अधिकार हो। | यह फैसला लोकतंत्र को मजबूती देने वाला था क्योंकि यह मीडिया और नागरिकों को अपनी बात रखने का अधिकार देता है। |
4 | LGBTQIA+ समुदाय के अधिकार (2018) | सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया। | इस फैसले ने समलैंगिक समुदाय को अपने अधिकारों के लिए कानूनी पहचान दी और समाज में उनके प्रति सम्मान बढ़ाया। |
5 | चुनाव प्रक्रिया में सुधार | चुनावी खर्च और दान में पारदर्शिता को बढ़ावा दिया। | इससे चुनावी प्रक्रिया में धोखाधड़ी की संभावना कम हुई और चुनावों में पारदर्शिता आई। |
6 | न्यायपालिका में डिजिटल बदलाव | सुप्रीम कोर्ट में ऑनलाइन सुनवाई शुरू की। | डिजिटल बदलाव से कोर्ट की प्रक्रिया और तेज हुई, और न्याय तक लोगों की पहुंच आसान हो गई। |
7 | संविधान की रक्षा और सामाजिक न्याय | चंद्रचूड़ ने कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए कई फैसले दिए। | यह फैसले समाज में हर वर्ग को न्याय दिलाने के लिए थे, खासकर उन लोगों के लिए जो आमतौर पर न्याय से वंचित रहते हैं। |
CJI चंद्रचूड़ एक न्यायिक धरोहर
CJI चंद्रचूड़ की विदाई के साथ भारतीय न्यायपालिका को एक ऐसे न्यायधीश की विदाई मिली है, जिन्होंने सिर्फ विधिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि समाज में न्याय की भावना को जागरूक करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका कार्यकाल न केवल न्यायपालिका के लिए, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के लिए भी महत्वपूर्ण रहेगा।
न्यायपालिका के सभी सीनियर जजों, अधिवक्ताओं और अन्य अधिकारियों ने उन्हें एक प्रेरणा स्रोत के रूप में देखा और उनके फैसलों को एक मील का पत्थर माना। चंद्रचूड़ की धरोहर हमेशा भारतीय न्याय व्यवस्था में जिंदा रहेगी।
उनकी विदाई के मौके पर सभी ने एकजुट होकर उन्हें सम्मान दिया और उन्हें शुभकामनाएं दी। यह दिन भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन रहेगा, क्योंकि यह एक ऐसे व्यक्ति की विदाई है, जिसने न्यायपालिका को नए मुकाम तक पहुंचाया।