पवन खेड़ा ने कहा, “हमने PM, SEBI और ICICI बैंक से इस मुद्दे पर सवाल पूछा था। ICICI बैंक ने कहा कि माधबी बुच को रिटायरमेंट बेनिफिट मिला है, लेकिन इसका जवाब हमारे आरोप को और मजबूत करता है।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि माधबी पुरी बुच की पेंशन उनकी सैलरी से अधिक है, जो कि न केवल नियमों के खिलाफ है बल्कि यह भी दिखाता है कि सरकार इस मामले में स्पष्टता से बच रही है।
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SEBI के सेक्शन-54 का उल्लंघन
कांग्रेस ने SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच पर यह आरोप भी लगाया था कि उन्होंने SEBI में पूर्णकालिक सदस्य रहते हुए ICICI बैंक से नियमित वेतन लिया, जो कि SEBI के सेक्शन-54 का उल्लंघन है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि माधबी पुरी बुच ने साल 2017 से 2024 तक ICICI बैंक से 16 करोड़ रुपये से अधिक की सैलरी और अन्य लाभ प्राप्त किए। उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि माधबी पुरी बुच SEBI में अपनी नौकरी के दौरान भी ICICI बैंक से नियमित आय ले रही थीं, जो SEBI के नियमों का उल्लंघन है।
ये सब एक ‘शतरंज के खेल’
खेड़ा ने कहा कि यह मामला शतरंज के खेल की तरह है और माधबी पुरी बुच इस खेल के एक महत्वपूर्ण मोहरे की तरह हैं। उनके अनुसार, SEBI की पूर्णकालिक सदस्य रहते हुए ICICI बैंक से सैलरी लेना सीधे SEBI के सेक्शन-54 का उल्लंघन है। पवन खेड़ा ने मांग की कि अगर माधबी पुरी बुच में थोड़ी भी नैतिकता है, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। कांग्रेस के मुताबिक, इस मुद्दे पर भाजपा के एक पूर्व सांसद भी भ्रष्टाचार का आरोप लगा चुके हैं और सरकार से जवाब मांग रहे हैं।
ICICI बैंक की सफाई
कांग्रेस के आरोपों पर ICICI बैंक ने अपनी सफाई पेश की है। बैंक ने कहा कि माधबी पुरी बुच को अक्टूबर 2013 में रिटायरमेंट के बाद से कोई अतिरिक्त वेतन या ईएसओपी (कर्मचारी शेयर विकल्प योजना) नहीं दी गई है। बैंक ने यह स्पष्ट किया कि बुच को उनके कार्यकाल के दौरान उनकी सैलरी, सेवानिवृत्ति लाभ, बोनस और ईएसओपी के रूप में पारिश्रमिक मिला था। ईएसओपी की आवंटन की तारीख से अगले कुछ वर्षों में उपयोग करने का विकल्प प्रदान किया गया था।