Rahul Gandhi meeting

नए पार्टी मुख्यालय में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की हुई मीटिंग, कार्यकर्ताओं पर इंदिरा भवन में आने पर लगाई रोक

कांग्रेस पार्टी में नई नियुक्तियों के बाद मंगलवार को दिल्ली के नए पार्टी मुख्यालय इंदिरा भवन में पहली बड़ी बैठक हुई। इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सांसद राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और केसी वेणुगोपाल जैसे पार्टी के शीर्ष नेता शामिल हुए। सूत्रों के अनुसार, अभी नए मुख्यालय में केवल शीर्ष नेताओं को ही प्रवेश दिया जाएगा, जबकि जिला स्तर के कार्यकर्ताओं को अंदर जाने की अनुमति नहीं होगी। जिला नेताओं को दिल्ली आने के बजाय अपने-अपने क्षेत्रों में काम करने के निर्देश दिए गए हैं।

बैठक के दौरान कार्यकर्ताओं को कई निर्देश दिए गए। जिला नेताओं की समस्याओं को पहले प्रदेश स्तर पर, फिर अध्यक्ष स्तर पर और अंत में प्रभारी स्तर पर सुना जाएगा। इसके अलावा, वे प्रभारी महासचिव या प्रदेश प्रभारी के दौरे के दौरान भी अपनी बात रख सकते हैं। साथ ही, अब सभी प्रभारियों और महासचिवों की डिजिटल हाजिरी ली जाएगी।

हालांकि, सवाल यह उठ रहा है कि क्या कार्यकर्ताओं से दूरी बनाकर कांग्रेस पार्टी को कोई फायदा मिलेगा? क्या यह कदम पार्टी के लिए सही है? यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नई रणनीति कांग्रेस को कितना लाभ पहुंचाती है।

प्रभारियों और महासचिवों को रोजाना देनी होगी रिपोर्ट

कांग्रेस पार्टी के हाईकमान ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। अब सभी प्रभारियों और महासचिवों को रोजाना अपनी गतिविधियों का रिपोर्ट कार्ड देना होगा। इस रिपोर्ट में फोटो या वीडियो भी जोड़ना जरूरी होगा। साथ ही, प्रभारी और महासचिवों से जुड़े दो-तीन युवा सचिवों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे अपना ज्यादातर समय उसी राज्य में बिताएं जिसकी जिम्मेदारी उन्हें दी गई है। उन्हें यह भी निर्देश दिया गया है कि वे सबकी बात सुनें और उसकी रिपोर्ट प्रभारी महासचिव को दें।

इसके अलावा, सचिवों की रिपोर्ट के आधार पर प्रभारी महासचिव और प्रभारी नियमित रूप से अपने क्षेत्र का दौरा करेंगे। यह फैसला कांग्रेस पार्टी के नए कार्यालय द्वारा लिया गया एक शुरुआती कदम है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि भविष्य में कार्यकर्ताओं और जिला स्तरीय नेताओं के लिए कोई और बदलाव होगा या नहीं।

कार्यकर्ता या जिला स्तरीय नेता की नए कार्यालय में एंट्री बैन 

जब राहुल गांधी और सोनिया गांधी को ईडी कार्यालय जाना पड़ा था, उस समय कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं से 24 अकबर रोड स्थित पार्टी कार्यालय में आने का आग्रह किया था। लेकिन आज पार्टी के कार्यकर्ता या जिला स्तरीय नेता नए कॉर्पोरेट कार्यालय में नहीं आ सकते। क्या यह पार्टी की जनता से दूरी बढ़ने का संकेत है? कांग्रेस के आलाकमान का मानना है कि अभी पार्टी का संगठन कमजोर है। इसलिए, जनता को जोड़ने के लिए नेताओं और पेशेवर एजेंसियों का सहारा लिया जा रहा है। राहुल गांधी के सोशल मीडिया पोस्ट इसका उदाहरण हैं।

अब सवाल यह है कि जनता को तो छोड़िए, क्या कार्यकर्ताओं से दूरी बनाने से कांग्रेस को नई ऊर्जा मिलेगी? क्योंकि अब पार्टी का कहना है कि कार्यकर्ता अपने क्षेत्र में काम करें। प्रभारी, महासचिव या सचिव उनके रिपोर्ट कार्ड लेकर उनके दरवाजे पर आएंगे। क्या यह नई रणनीति पार्टी को मजबूत बनाएगी?

 

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