COP29 India reaction: अज़रबैजान की राजधानी बाकू में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP29) में भारत ने एक बड़ा कदम उठाया है। भारत ने विकसित देशों द्वारा प्रस्तावित 300 अरब डॉलर के जलवायु वित्त पैकेज को खारिज कर दिया है। भारत का कहना है कि यह राशि विकासशील देशों की जरूरतों और प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
COP29 में क्या हुआ?
COP29 सम्मेलन में विकसित देशों ने विकासशील देशों के लिए एक नया जलवायु वित्त पैकेज प्रस्तावित किया गया। इस पैकेज के तहत 2035 तक हर साल 300 अरब डॉलर तक की राशि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए दी जानी थी। यह राशि 2009 में तय की गई 100 अरब डॉलर की राशि से तीन गुना अधिक है। बता दें की 2009 की प्रस्तावित धनराशि भी अभी तक पूर्णतः नहीं दी गई है।
लेकिन भारत सहित कई विकासशील देशों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। भारत की ओर से वित्त मंत्रालय की सलाहकार चांदनी रैना ने कहा कि 300 अरब डॉलर की राशि विकासशील देशों की जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत कम है।
भारत ने क्यों किया विरोध?
भारत ने इस प्रस्ताव का विरोध करने के कई कारण बताए:
-अपर्याप्त राशि: भारत का कहना है कि 300 अरब डॉलर ($300 billion) की राशि विकासशील देशों की जरूरतों के हिसाब से बहुत कम है। विकासशील देशों ने पिछले तीन सालों से 1.3 ट्रिलियन डॉलर की मांग कर रहे थे।
-समय सीमा का मुद्दा: यह राशि 2035 तक दी जानी है, जो भारत के अनुसार बहुत दूर की बात है। भारत का कहना है कि 2030 तक हर साल कम से कम 1.3 ट्रिलियन डॉलर की जरूरत है।
-समानता का सिद्धांत: भारत का मानना है कि यह प्रस्ताव सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों (common but differentiated responsibilities) और समानता के सिद्धांत के अनुरूप नहीं है।
-विकसित देशों की अनिच्छा: भारत ने कहा कि यह प्रस्ताव विकसित देशों की अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की अनिच्छा को दर्शाता है।
अन्य देशों की प्रतिक्रिया
भारत के इस कदम को कई अन्य विकासशील देशों का समर्थन मिला है:
-नाइजीरिया ने 300 अरब डॉलर के पैकेज को “मजाक” बताया।
-मलावी और बोलीविया ने भी भारत के रुख का समर्थन किया।
-लीस्ट डेवलप्ड कंट्रीज (LDC) ग्रुप और अलायंस ऑफ स्मॉल आइलैंड स्टेट्स (AOSIS) के प्रतिनिधि बातचीत के दौरान बैठक से बाहर चले गए थे।
हालांकि, विकसित देशों ने इस समझौते को एक बड़ी उपलब्धि बताया है। यूरोपीय संघ के जलवायु प्रतिनिधि वोपके होएकस्त्रा ने कहा कि COP29 जलवायु वित्त के लिए एक नए युग की शुरुआत के रूप में याद किया जाएगा।