HMPV Virus: उत्तरी चीन में ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (HMPV) के संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। इस वायरस से सर्दी-जुकाम और कोविड-19 जैसे लक्षण होते हैं, और यह बहुत तेज़ी से फैल रहा है। चीन के पड़ोसी देश इस स्थिति पर ध्यान दे रहे हैं, लेकिन भारतीय स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक का कहना है कि फिलहाल इससे चिंता की कोई बात नहीं है।
इसी बीच भारत के परिवार कल्याण मंत्रालय ने शनिवार को डीजीएचएस की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाई, जिसमें इस वायरस की स्थिति पर चर्चा की गई और कुछ जरूरी बिंदुओं पर सहमति बनी।
चीन में फ्लू के मौसम को देखते हुए हालात सामान्य ही हैं। एचएमपीवी इस मौसम में आमतौर पर होने वाला रोग है। सरकार इस पर लगातार ध्यान दे रही है और चीन की स्थिति के बारे में समय-समय पर जानकारी हासिल करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी संपर्क किया गया है।
मामला की शुरुआत?
हाल ही में सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो वायरल हुए, जिनमें चीन के अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज़ों को दिखाया गया, जिनमें फ्लू जैसे लक्षण थे। इसके बाद यह चिंता जताई गई कि चीन में एक नया वायरस फिर से लोगों के लिए खतरा बन सकता है। यह सब तब हुआ जब याद दिलाया गया कि पांच साल पहले दुनिया भर में महामारी फैलाने वाला कोविड वायरस चीन के वुहान शहर के एक बाजार से शुरू हुआ था।
चीन की सरकारी न्यूज वेबसाइट “ग्लोबल टाइम्स” (Global Times) के अनुसार, उत्तरी चीन के इलाकों के अलावा बीजिंग, चोंगकिंग (दक्षिण पश्चिमी शहर) और गुआंगदोंग प्रांत में एचएमपीवी (HMPV) के मामले सामने आए हैं। 27 दिसंबर 2024 को रॉयटर्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की स्वास्थ्य एजेंसियों ने कहा कि सर्दियों में सांस की बीमारियों के बढ़ते मामलों को देखते हुए उन्होंने एक पायलट सर्विलांस सिस्टम शुरू किया है।
चीन के नेशनल डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेन्शन के प्रमुख ली जेंगलॉन्ग ने हाल ही में कहा कि नया सर्विलांस सिस्टम अज्ञात कारणों से होने वाली निमोनिया की घटनाओं पर नज़र रखेगा।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में दिसंबर के तीसरे हफ्ते में सांस से जुड़ी बीमारियों के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतर मामले राइनोवायरस और ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (एचएमपीवी) के कारण हुए हैं। इन संक्रमणों के मामले चीन के उत्तरी प्रांतों में ज्यादा सामने आए हैं और संक्रमितों में बच्चों की संख्या अधिक है, खासकर 14 साल से कम उम्र के। फिलहाल, ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई है।
चीन ने अन्य देशों की बढ़ाई चिंता
इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में एक बयान जारी किया, जिसमें चीन में इनफ्लूएंज़ा ए और अन्य सांस की बीमारियां फैलने को लेकर चिंता जताई गई है। इंडोनेशिया की समाचार एजेंसी अंतारा ने बताया कि सोशल मीडिया पर चीन से जुड़े कुछ वीडियो सामने आने के बाद, मंत्रालय की प्रवक्ता विद्यावती ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है। उन्होंने कहा कि लोग मास्क पहनें, हाथ धोने के लिए साबुन का इस्तेमाल करें, और इस तरह के एहतियाती कदम उठाकर खुद को सुरक्षित रखें।
उन्होंने बताया, ‘इंडोनेशिया और चीन में एचएमपीवी संक्रमण पर नजर रखी जा रही है और देश के अंदर आने वाले सभी प्रवेश बिंदुओं पर सावधानी बरती जा रही है। इसमें उन यात्रियों को क्वारंटीन करना शामिल है, जो विदेश से आकर फ्लू जैसे लक्षण दिखाते हैं।’
हाल ही में हांग कांग फ्री प्रेस ने एक रिपोर्ट में कहा कि हांग कांग में एचएमपीवी संक्रमण के मामले तो आए हैं, लेकिन वे बहुत कम हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, एक एपिडेमियोलॉजिस्ट ने बताया कि चीन के मुकाबले यहां वायरस के संक्रमण में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है।
वह देश जहां मिला HMPV वायरस ?
- नीदरलैंड्स
- ब्रिटेन
- फिनलैंड
- ऑस्ट्रेलिया
- कनाडा
- अमेरिका
- चीन
चीन ने क्या कहा?
शुक्रवार को चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई सवाल पूछे गए, जिनमें एक सवाल यह भी था। इस पर माओ निंग ने जवाब दिया कि उत्तरी गोलार्ध में सर्दियों के दौरान सांस की नली में संक्रमण के मामले ज्यादा होते हैं।
उन्होंने कहा, ‘हाल ही में चीन के नेशनल डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेन्शन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सर्दियों के दौरान चीन में सांस की बीमारियों को रोकने और नियंत्रित करने के उपायों के बारे में जानकारी दी थी।
पिछले साल के मुकाबले इस साल ये बीमारियां कम गंभीर और छोटे स्तर पर फैली हैं। मैं आपको यकीन दिला सकती हूं कि चीन की यात्रा करना सुरक्षित है।’
भारत ने क्या कहा?
चीन में HMPV वायरस के मामलों में तेजी आने के बाद भारत में इसे लेकर चिंता जताई जा रही है। हालांकि, भारतीय स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक डॉक्टर अतुल गोयल ने कहा है कि इस वायरस के मामले भारत में अभी तक ज्यादा नहीं पाए गए हैं, इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है। उन्होंने शुक्रवार को बताया कि भारत में HMPV संक्रमण के अधिक मामले अब तक रिपोर्ट नहीं हुए हैं।
उन्होंने बताया, “यह एक सामान्य वायरस है जो सांस की नली में संक्रमण करता है और इससे सर्दी-ज़ुकाम जैसी समस्याएं हो सकती हैं। छोटे बच्चों और बुज़ुर्गों में इस वायरस के कारण फ्लू जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। लेकिन ये कोई गंभीर बीमारी नहीं है, इसलिए चिंता करने की कोई बात नहीं है. सर्दी के मौसम में वैसे भी सर्दी-ज़ुकाम के मामले बढ़ जाते हैं।
हमारे अस्पताल इस स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। हम लगातार डेटा पर ध्यान दे रहे हैं और पिछले साल दिसंबर में संक्रमण के मामलों में कोई बढ़ोतरी नहीं देखी गई है। भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इससे पहले एक भारतीय अख़बार से कहा था कि वो चीन में एचएमपीवी वायरस के मामलों पर नज़र बनाए हुए हैं।”
स्वास्थ मंत्रालय ने हाल ही में चीन में लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने के कई मामले सामने आए हैं, जो एचएमपीवी वायरस से जुड़े हैं। सर्दियों में भारत में भी ऐसा होता है, लेकिन अब तक इस तरह के मामलों में कोई अप्रत्याशित बढ़ोतरी नहीं देखी गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सांस की समस्याओं और सर्दी-खांसी जैसे मामलों पर नेशनल सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल (NCDC) लगातार निगरानी रख रहा है और इस मामले में अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से भी संपर्क में है।
डॉक्टर की राय?
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुरेश गुप्ता ने पीटीआई को बताया कि यह कोई नया वायरस नहीं है। उन्होंने कहा, “बीस साल से हमें इसके बारे में जानकारी है। सर्दियों में इसके संक्रमण के मामले बढ़ जाते हैं। यह फ्लू वायरस की तरह है।”
डॉक्टर सुरेश गुप्ता बताते हैं कि इस बीमारी के इलाज के लिए आमतौर पर सर्दी-जुकाम की दवाएं दी जाती हैं और मरीज को आराम करने की सलाह दी जाती है। उनका कहना है, ‘ज्यादातर मामलों में इस संक्रमण के लिए अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती।’
इसी अस्पताल के चेस्ट मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉक्टर बॉबी भालोत्रा कहते हैं, ‘अब तक हमने इस वायरस के संक्रमण के जो भी मामले देखे हैं, उनमें लक्षण हल्के ही रहे हैं।’
‘लेकिन जिन मरीजों को पहले से दमे या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मनरी डिज़ीज़ (सीओपीडी) है, जिनमें सांस लेने में दिक्कत होती है, उन्हें इस वायरस से ज्यादा परेशानी हो सकती है। ऐसे मरीजों को सांस लेने में ज्यादा तकलीफ, थकान और बुखार भी हो सकता है।’
‘भारत में इस वायरस का जो स्ट्रेन है, वो ज्यादा गंभीर नहीं होता। जैसा कि कोविड वायरस के दौरान हुआ था, जिसमें रेस्पिरेटरी फेल्योर हो जाता था, वैसा इस वायरस के मामलों में अब तक नहीं देखा गया है। हालांकि, हो सकता है कि चीन में इसका जो स्ट्रेन है, वो ज्यादा घातक हो, इसके बारे में आने वाले समय में और जानकारी मिल सकती है।’
क्या है HMPV वायरस?
साइंस डाइरेक्ट के अनुसार, इस वायरस की शुरुआत आज से 200 से 400 साल पहले चिड़ियों से हुई थी। लेकिन तब से अब तक ये वायरस बार-बार बदल चुका है, और अब ये चिड़ियों को संक्रमित नहीं कर सकता।
अमेरिकी सरकार के सेंटर फ़ॉर डीज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेन्शन (CDC) के मुताबिक, इस वायरस की पहचान इंसानों में 2001 में हुई थी, यानी तब यह पता चला कि यह वायरस इंसानों को भी संक्रमित कर सकता है।
यह वायरस सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है, जिससे बुखार, खांसी, नाक बंद होना और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं होती हैं। अगर संक्रमण बढ़ता है, तो यह ब्रोन्काइटिस या निमोनिया का कारण भी बन सकता है।
इस वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड आमतौर पर तीन से छह दिन का होता है, लेकिन बीमारी का समय इस बात पर निर्भर करता है कि संक्रमण कितना गंभीर है।
कैसे फैलता है HMPV?
- खांसी और छींक से जो थूक के छोटे-छोटे कण निकलते हैं, उनसे यह वायरस फैलता है और लोग संक्रमित हो जाते हैं।
- अगर आप किसी से हाथ मिलाते हैं, गले मिलते हैं या एक-दूसरे को छूते हैं, तो भी वायरस फैल सकता है।
- इसके अलावा, अगर खांसी या छींक से थूक के कण किसी सतह पर गिर जाएं और फिर आप उस सतह को छूकर अपने चेहरे, नाक, आंख या मुंह को छूते हैं, तो भी वायरस आपको संक्रमित कर सकता है।
HMPV से ऐसे करें बचाव
भारतीय स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक, डॉ. अतुल गोयल के मुताबिक
- अगर किसी को सर्दी-ज़ुकाम है या वह एमएमपीवी वायरस से संक्रमित है, तो उससे दूरी बनाना ज़रूरी है।
- खांसते या छींकते समय मुंह पर रुमाल या कपड़ा लगाना चाहिए और खांसने-छींकने के लिए अलग तौलिए का इस्तेमाल करना चाहिए, जिसे कुछ घंटों बाद साबुन से धो लें।
- अगर आपको सर्दी-ज़ुकाम है, तो मास्क पहनें और घर पर आराम करें।
- इसके अलावा, सीडीसी (अमेरिकी सरकार) के अनुसार, हाथों को साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकंड तक धोना चाहिए।
- अपने बर्तन (कप, थाली, चम्मच) दूसरों के साथ शेयर न करें।
- इस वायरस के लिए अभी तक कोई खास एंटी-वायरल दवा या वैक्सीन नहीं है। डॉक्टर आमतौर पर सर्दी-बुखार की दवाएं देते हैं।
- अगर पहले से किसी को सांस की समस्या है, तो यह वायरस ज्यादा परेशानी पैदा कर सकता है। ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है।
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