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दिल्ली की हवा फिर जहरीली, डीजल गाड़ियों पर बैन, स्कूलों को हाईब्रिड मोड में चलाने के आदेश

दिल्ली और एनसीआर में एक बार फिर वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर हो गई है। प्रदूषण के स्तर में तेज़ वृद्धि के कारण दिल्ली सरकार ने GRAP-3 (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) के तहत सख्त पाबंदियां लागू कर दी हैं। इस दौरान प्रदूषण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए स्कूलों में कक्षा 5 तक के बच्चों के लिए हाईब्रिड मोड में पढ़ाई के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, डीजल गाड़ियों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है, ताकि प्रदूषण को काबू किया जा सके।

GRAP-3 की पाबंदियां लागू

दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर में प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए GRAP-3 लागू किया गया है। इसमें कई सख्त उपायों की सिफारिश की गई है। सबसे पहले, कक्षा 5 तक के बच्चों के लिए सभी स्कूलों को हाईब्रिड मोड में संचालित करने का आदेश दिया गया है। इसका मतलब है कि स्कूलों को अब ऑनलाइन या ऑफलाइन, दोनों तरीकों से चलाने की अनुमति है।

इसके साथ ही, दिल्ली में कंस्ट्रक्शन (निर्माण कार्य) पर भी रोक लगा दी गई है। जो भी कंस्ट्रक्शन कार्य चल रहे थे, उन्हें तुरंत रोकने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, प्राइवेट दफ्तरों को भी सलाह दी गई है कि वे 50 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ काम करें, ताकि सड़क पर वाहनों की संख्या कम हो और वायु प्रदूषण में राहत मिल सके।

दिल्ली सरकार ने डीजल गाड़ियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि प्रदूषण के स्तर में कमी लायी जा सके। डीजल गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ और प्रदूषक तत्व हवा में मिलकर और भी घना प्रदूषण पैदा करते हैं। अब, जो डीजल गाड़ियां दिल्ली की सड़कों पर चल रही थीं, उन्हें पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा।

 

सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता

दिल्ली का प्रदूषण सिर्फ राजधानी तक ही सीमित नहीं है, इसका असर पूरे देश के अन्य प्रदूषित शहरों पर भी पड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण को लेकर गंभीर चिंता जताई है। अदालत ने कहा है कि अब सिर्फ दिल्ली नहीं, बल्कि देश के सभी प्रदूषित शहरों पर ध्यान दिया जाएगा। कोर्ट ने सरकार से आग्रह किया है कि वह प्रदूषण के आंकड़े सभी प्रदूषित शहरों के बारे में पेश करें, ताकि इन शहरों में सुधार के उपायों पर चर्चा की जा सके।

दिल्ली सरकार को फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी फटकार लगाई है। अदालत ने कचरे के ठोस निपटान की योजना और संबंधित जानकारी देने में ढिलाई पर दिल्ली सरकार को खींचा। कोर्ट ने इस मामले में 19 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई के दौरान दिल्ली के चीफ सेक्रेट्री को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी सवाल किया है कि क्या दिल्ली एनसीआर जैसे अन्य प्रदूषित शहरों में भी “एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन” जैसी व्यवस्था लागू की जा सकती है, ताकि प्रदूषण के स्तर को नियंत्रण में रखा जा सके। इस प्रक्रिया के जरिए न केवल दिल्ली, बल्कि अन्य प्रदूषित क्षेत्रों में भी वायु गुणवत्ता में सुधार किया जा सकेगा।

क्या अब भी दिल्ली की हवा में सुधार होगा?

इस बीच, सवाल यह उठता है कि दिल्ली और एनसीआर की हवा में इस समय इतना प्रदूषण क्यों है और क्या इन सख्त पाबंदियों के बाद हवा में सुधार हो सकेगा? अब देखना यह होगा कि इन उपायों से कितनी जल्दी असर दिखाई देता है, और क्या ये पाबंदियां प्रदूषण की समस्या को स्थायी रूप से हल कर पाएंगी या यह सिर्फ अस्थायी राहत का काम करेंगी।

प्रदूषण के इस संकट से निपटने के लिए केवल सरकारी प्रयासों से काम नहीं चलेगा। नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और प्रदूषण नियंत्रण में अपना योगदान देना होगा। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्लीवासियों को भी कुछ कठोर कदम उठाने होंगे जैसे कि सिग्नल पर खड़ी गाड़ियों में इंजन बंद रखना, सवारी के साथ वाहन चलाना और सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करना।

सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली सरकार के प्रयासों से यदि स्थिति में सुधार होता है, तो दिल्ली का भविष्य थोड़ी बेहतर हो सकता है, लेकिन इसके लिए पूरे देश को एकजुट होकर प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी।