दिल्ली-NCR में इस समय जो हवा का हाल है, उसे देखकर लगता है जैसे पूरी दिल्ली किसी बड़े धुएं के कुंडली में फंसी हो। सोमवार की शाम को दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 494 तक पहुंच चुका था, जो कि बेहद खतरनाक स्तर को छू रहा है। यह आंकड़ा बताता है कि जो हवा हम सांस में ले रहे हैं, वह सिगरेट के धुएं से भी खतरनाक हो सकती है। अब सवाल यह उठता है कि ये AQI का मापदंड क्या है, और यह सिगरेट के धुएं से कैसे जुड़ा है?
आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं।
AQI का मतलब क्या है?
जब AQI की बात होती है, तो यह एक तरह का स्केल है जो हवा में मौजूद प्रदूषण की मात्रा को मापता है। यह 0 से लेकर 500 तक का होता है, और जैसे-जैसे AQI का आंकड़ा बढ़ता है, हवा उतनी ही ज्यादा खराब होती जाती है।
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लेकिन सवाल ये है कि AQI का सिगरेट से क्या लेना-देना? दिल्ली में हवा का AQI 494 तक पहुंचने का मतलब है कि जितना प्रदूषण आप सांस के साथ खींच रहे हैं, वह 25 से 30 सिगरेट पीने के बराबर है। यानि, 30 सिगरेट जितनी जहरीली हवा आपके शरीर में जा रही है। जब AQI 500 के आसपास होता है, तो यह बहुत ही खतरनाक स्थिति बन जाती है, और इसी वजह से दिल्ली के मौसम को ‘दमघोंटू’ कहा जा रहा है। आखिरकार, कोई भी व्यक्ति जो इस तरह की हवा में सांस ले रहा है, वह शारीरिक रूप से बहुत सारे जोखिमों का सामना कर रहा है।
कितना AQI कितने सिगरेट के बराबर?
आप देख सकते हैं कि जैसे-जैसे AQI का स्तर बढ़ता है, सिगरेट के धुएं के बराबर प्रदूषण भी बढ़ता जाता है। अब अगर दिल्ली का AQI 494 है, तो यह साफ तौर पर बताता है कि हम सांसों के जरिए उस प्रदूषण को अपने शरीर में खींच रहे हैं, जो 30 सिगरेट पीने के बराबर है।
AQI कैसे मापा जाता है?
AQI यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स हवा की गुणवत्ता को मापने का एक तरीका है। जब हम कहते हैं कि हवा “साफ” है या “खराब”, तो हम दरअसल हवा में मौजूद प्रदूषकों की मात्रा के बारे में बात कर रहे होते हैं। AQI इस प्रदूषण के स्तर को समझाने का एक तरीका है, ताकि हमें यह पता चल सके कि बाहर की हवा हमारे स्वास्थ्य के लिए कितनी सुरक्षित है।
AQI मापने के लिए हवा में मौजूद 5 प्रमुख प्रदूषकों का ध्यान रखा जाता है।
1. ग्राउंड लेवल ओजोन (O3)
यह हवा में मौजूद एक गैस है, जो सूरज की रोशनी के प्रभाव से बनती है। ओजोन एक तरह का प्रदूषक है जो आंखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में परेशानी पैदा कर सकता है। इसे “फोटोकेमिकल स्मॉग” भी कहा जाता है, जो खासकर गर्मी के मौसम में ज्यादा सक्रिय हो जाता है।
2. पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10)
यह सबसे खतरनाक प्रदूषकों में से एक है। PM2.5 और PM10 दोनों ही छोटे-छोटे कण होते हैं, जो हवा में मिलकर सांस के साथ हमारे शरीर में पहुंच सकते हैं।
♦- PM2.5 वह सूक्ष्म कण होते हैं जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या इससे छोटा होता है। इन्हें नंगी आंखों से देखा नहीं जा सकता। ये कण हमारी सांसों के जरिए सीधे फेफड़ों में चले जाते हैं और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकते हैं।
♦- PM10 ये कण 10 माइक्रोमीटर तक के होते हैं, जिन्हें आंखों से देखा जा सकता है। ये भी फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं, लेकिन PM2.5 से थोड़ा कम हानिकारक होते हैं।
3. कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
यह एक रंगहीन, गंधहीन और स्वादहीन गैस है, जो मुख्यतः वाहनों, घरों में जलने वाली लकड़ी, कोयला, या गैस से निकलती है। यह गैस हमारे शरीर में ऑक्सीजन को ब्लॉक कर देती है और अगर इसकी मात्रा ज्यादा हो तो यह सांस लेने में मुश्किल और सिरदर्द जैसी समस्याएं पैदा कर सकती है।
4. नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2)
यह गैस मुख्य रूप से कारों और फैक्ट्रियों से निकलती है। नाइट्रोजन डाइऑक्साइड हवा में मिलकर प्रदूषण का कारण बनता है और सांस की समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। इसकी उच्च मात्रा से फेफड़ों और श्वसन तंत्र को नुकसान हो सकता है।
5. सल्फर डाइऑक्साइड (SO2)
यह गैस मुख्यतः कोयला और तेल जलाने से निकलती है। जब यह हवा में मिलती है, तो यह एसिड रेन (acid rain) का कारण बन सकती है और हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके अलावा, यह गले और आंखों में जलन भी पैदा कर सकता है।
AQI का स्तर और स्वास्थ्य पर असर
AQI जितना ऊंचा होगा, हवा उतनी ही ज्यादा प्रदूषित होगी और उसका हमारे स्वास्थ्य पर उतना ही बुरा असर पड़ेगा। इसे समझने के लिए AQI के विभिन्न स्तरों को जानना ज़रूरी है
♦- 0-50 AQI: हवा बहुत अच्छी है, कोई भी स्वास्थ्य प्रभाव नहीं है।
♦- 51-100 AQI: हल्का प्रदूषण, सामान्य लोगों के लिए कोई खतरा नहीं, लेकिन सांस की बीमारियों वाले लोग ध्यान रखें।
♦- 101-200 AQI: हल्का प्रदूषण, सांस की समस्या वाले लोगों के लिए खतरा, बच्चों और बुजुर्गों को बाहर जाने से बचना चाहिए।
♦- 201-300 AQI: अधिक प्रदूषण, सभी को स्वास्थ्य पर असर हो सकता है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को बाहर जाने से बचना चाहिए।
♦- 301-400 AQI: बहुत खराब हवा, गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, बाहर न जाएं।
♦- 401-500 AQI: अत्यधिक खतरनाक, सभी को घर में रहना चाहिए, स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
GRAP का फंडा क्या है?
दिल्ली और NCR में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) लागू किया जाता है। यह एक तरह का प्लान है, जो प्रदूषण के बढ़ते स्तर के हिसाब से सख्त कदम उठाने का निर्देश देता है।
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GRAP के तहत 4 स्टेज होते हैं
♦- Stage 1 (AQI 200+): यहां से शुरू होती है पाबंदियां। जब AQI 200 से ऊपर जाता है, तो निर्माण कार्य और कुछ दूसरे गतिविधियों पर रोक लगाई जाती है।
♦- Stage 2 (AQI 300+): यहां पाबंदियां और सख्त हो जाती हैं। AQI 300 के पार जाने पर और भी कड़े कदम उठाए जाते हैं, जैसे ट्रैफिक को कंट्रोल करना, निर्माण कार्यों पर ज्यादा रोक लगाना, और फैक्ट्रियों को अस्थायी रूप से बंद करना।
♦- Stage 3 (AQI 400+): अब, जब AQI 400 पार हो जाता है, तो सब कुछ सख्त हो जाता है। यह सबसे खतरनाक स्थिति होती है, और यहां पर अधिकतर बाहरी गतिविधियां रोक दी जाती हैं, जैसे निर्माण कार्य पूरी तरह से बंद कर देना।
वर्तमान में, दिल्ली में GRAP-4 लागू है, जिसका मतलब है कि यह सबसे सख्त चरण है और सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
प्रदूषण के कारण
1- ग्राउंड लेवल ओजोन: यह सूर्य की रोशनी में नाइट्रोजन ऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों के रिएक्शन से बनता है। यह आँखों में जलन और सांस की बीमारियों का कारण बन सकता है।
2- पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10): ये सूक्ष्म कण होते हैं, जो हवा में मौजूद धूल, धातु यौगिक और कार्बन से बनते हैं। जब ये कण फेफड़ों में जाते हैं, तो सांस की समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
3- कार्बन मोनोऑक्साइड: यह गैस वाहनों और जलने वाले पदार्थों से निकलती है। यह शरीर के लिए खतरनाक होती है क्योंकि यह रक्त में ऑक्सीजन के स्थान पर बंध सकती है।
4- सल्फर डाइऑक्साइड (SO2): यह मुख्यतः कोयला और तेल जलने से उत्पन्न होता है, जो हवा को खराब करता है और श्वसन तंत्र पर बुरा असर डालता है।
5- नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO2): यह गैस वाहनों, उद्योगों और बिजली संयंत्रों से निकलती है। यह प्रदूषण का एक और बड़ा कारण है।
प्रदूषण से कैसे बचें?
दिल्ली की इस जहरीली हवा से बचने के लिए कुछ जरूरी टिप्स:
1- मास्क पहनें: जब भी बाहर जाएं, तो N95 या P100 मास्क पहनें। ये मास्क हवा में मौजूद खतरनाक कणों को शरीर में घुसने से रोक सकते हैं।
2- घर के अंदर रहें: बाहर की हवा में बहुत प्रदूषण है, तो घर के अंदर ही रहने की कोशिश करें। अगर बाहर जाना जरूरी हो, तो कोशिश करें कि वह जल्दी से जल्दी हो।
3- पानी पिएं: ज्यादा पानी पीने से शरीर में जमा प्रदूषण बाहर निकलता है और शरीर को आराम मिलता है।
4- वैक्यूम क्लीनर का उपयोग करें: घर के अंदर हवा को साफ रखने के लिए वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल करें, ताकि धूल और सूक्ष्म कण हट सकें।
दिल्ली में हवा में जितना प्रदूषण है, वह न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि हमारी सेहत के लिए भी खतरे की घंटी है। AQI के आंकड़े, ग्रैप के नियम, और प्रदूषण के कारण हमें यह समझने में मदद करते हैं कि हमें अपने स्वास्थ्य के लिए कितना सतर्क रहना चाहिए। अगर आपने अभी तक मास्क नहीं पहना तो अब समझ लीजिए, यह आपकी सेहत का एक अहम हिस्सा बन चुका है।