‘उनकी जेल मेरा हौसला नहीं तोड़ पाई’…तिहाड़ जेल से बाहर आए अरविंद केजरीवाल
Arvind Kejriwal: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली की तिहाड़ जेल से बाहर आ गए हैं। जेल से बाहर आते ही उनका आम आदमी पार्टी ने ढोल नगाड़ों और फूल बरसाकर स्वागत किया। केजरीवाल ने भी अपने समर्थकों को हाथ जोड़ कर अभिनंदन किया। अरविंद केजरीवाल की रिहाई से आप कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है।
जेल से बाहर आते ही अरविंद केजरीवाल ने आप कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सबसे पहले मैं भगवान का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। मैं उन लाखों लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं, जिनकी प्रार्थना की वजर से मैं बाहर आया हूं। मैं उन सभी का शुक्रिया करना चाहता हूं, जो मेरे लिए मंदिर गए, मस्जिद गए और गुरूद्वारा गए, मेरे लिए प्रार्थना की।
मेरा जीवन देश के लिए समर्पित है। मेरे शरीर का एक एक कतरा, मेरे खून का एक-एक कतरा, देश के लिए समर्पित है। मैंने जीवन में बहुत संघर्ष किया है। जिंदगी में बहुत मुसीबते झेली हैं। लेकिन हर कदम पर भगवान ने मेरा साथ दिया, क्योंकि मैं सच्चा था, मैं सही था। इसलिए ऊपर वाले ने मेरा साथ दिया।
केजरीवाल ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि इन लोगों को लगता था कि मुझे जेल में डाल देंगे, तो मेरे हौसले टूट जाएंगे। मैं आपसे कहना चाहता हूं कि आज में जेल से बाहर आया हूं, मेरे हौसले 100 गुना ज्यादा बढ़ गए हैं। इनकी जेल की मोटी-मोटी दीवारे और सलाखें केजरीवाल के हौसले को कमजोर नहीं कर सकती।
मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि जैसे आज तक ऊपर वाले ने मुझे रास्ता दिखाया है आगे भी दिखाता रहे। मैं देश की सेवा करता रहूं और जितनी भी राष्ट्रविरोधी ताकते हैं, जो देश के विकास को रोक कर रही हैं, जो देश को बांटने का काम कर रही हैं, जो देश को अंदर से कमजोर करने का काम कर रही हैं, जिंदगी भर मैं उनके खिलाफ लड़ता रहूं।
बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उनका बेल दे दी। केजरीवाल 177 दिन बाद दिल्ली की तिहाड़ जेल से रिहा हुए हैं। केजरीवाल को यह जमानत सशर्त मिली है। AAP प्रमुख को 10 लाख रुपये के जमानत पर राहत दी गई। उन्हें ये निर्देशित किया गया कि वह मामले पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी न करें। उन्हें दिल्ली सचिवालय में जाने और आधिकारिक फाइलों पर हस्ताक्षर करने से भी रोका गया है।
हालांकि, जमानत देने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों ने CBI द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी की वैधता पर भिन्न राय रखी।
जस्टिस सूर्यकांत की टिप्पणी
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि लंबी अवधि की कैद अन्यायपूर्ण स्वतंत्रता से वंचित करने के बराबर है। लेकिन उन्होंने माना कि केजरीवाल की गिरफ्तारी कानूनी थी और इसमें कोई प्रक्रियात्मक गड़बड़ी नहीं थी। लेकिन जस्टिस उज्जल भुइंया ने अलग राय दी। उन्होंने कहा कि CBI द्वारा की गई गिरफ्तारी अस्वीकृत थी।
जस्टिस भुइंया की टिप्पणी
जस्टिस भुइंया ने CBI पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि ED मामले में जमानत मिलने के बाद केजरीवाल की गिरफ्तारी केवल AAP प्रमुख को जेल से बाहर आने से रोकने के लिए की गई थी। उन्होंने कहा कि CBI ने केजरीवाल को 22 महीने तक गिरफ्तार नहीं किया। जब वे ED मामले में रिहाई के कगार पर थे तो उन्हें गिरफ्तार किया। उन्होंने कहा, “CBI द्वारा की गई इस तरह की कार्रवाई गिरफ्तारी के समय पर गंभीर सवाल उठाती है और ऐसी गिरफ्तारी केवल ED मामले में दी गई जमानत को विफल करने के लिए थी।”
जस्टिस भुइंया ने कहा, “CBI को पारदर्शिता के साथ देखे जाने की जरूरत है और हर प्रयास किया जाना चाहिए ताकि गिरफ्तारी उच्च-हथियार वाली न हो। धारणा महत्वपूर्ण होती है और CBI को ‘पिंजरे में बंद तोते” की धारणा को दूर रहना चाहिए और यह दिखाना चाहिए कि यह एक मुक्त तोता है।”