BJP formula for selecting Chief Minister face delhi election result

Delhi Election Result 2025: बीजेपी की सत्ता में हुई वापसी तो कौन बनेगा दिल्ली का मुख्यमंत्री?

Delhi Election Result 2025: दिल्ली चुनाव  के नतीजे शनिवार, 8 फरवरी को घोषित होंगे, लेकिन एग्जिट पोल्स के रुझानों से संकेत मिल रहा है कि इस बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) राजधानी में 27 साल बाद सत्ता में वापसी कर सकती है। अगर ये अनुमान सही साबित होते हैं, तो दिल्ली में नई सरकार बनने का रास्ता साफ हो जाएगा। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा? क्या बीजेपी कोई नया प्रयोग करेगी या फिर पारंपरिक रणनीति अपनाएगी?

बीजेपी के सीएम चेहरे का फैसला: क्या होगा फॉर्मूला?

बीजेपी इस बार दिल्ली में बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के चुनाव में उतरी थी। इसका मतलब है कि बीजेपी ने किसी एक नेता को पहले से सीएम कैंडिडेट के रूप में सामने नहीं रखा था। पार्टी ने इस बार पीएम मोदी के नाम और उनके काम को चुनावी मुद्दा बनाया था। लेकिन अगर एग्जिट पोल्स के मुताबिक बीजेपी सत्ता में आती है, तो अब सवाल उठेगा कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा?

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इस बार बीजेपी के पास कई रास्ते हैं, जिनमें से वो मुख्यमंत्री के लिए किसी को चुन सकती है। आइए, जानते हैं कि बीजेपी मुख्यमंत्री का चुनाव करने के लिए कौन-कौन से फॉर्मूलों पर विचार कर सकती है।

1. जातीय समीकरण बन सकता है फैक्टर

दिल्ली में जातीय समीकरण का अहम रोल रहा है। दिल्ली में पंजाबी, दलित, जाट, वैश्य, ठाकुर, ब्राह्मण और ओबीसी समुदायों का प्रभाव है। बीजेपी ने हमेशा इन जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए चुनावी रणनीति बनाई है। अब अगर बीजेपी को सत्ता मिलती है, तो सीएम का चयन करते समय पार्टी इन जातीय समीकरणों को ध्यान में रख सकती है।

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1993 में जब बीजेपी ने दिल्ली में सत्ता हासिल की थी, तो उसने तीन मुख्यमंत्री बनाए थे – दो पंजाबी और एक जाट। इस बार भी बीजेपी जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए किसी नेता को मुख्यमंत्री बना सकती है, ताकि पार्टी को विभिन्न समुदायों का समर्थन मिल सके।

2.  क्या बीजेपी देगी महिला को मौका?

दिल्ली चुनाव में महिलाओं ने बड़ी संख्या में वोट डाले हैं, और यह देखा गया है कि महिला वोटर काफी अहम भूमिका निभाते हैं। अगर बीजेपी दिल्ली में महिला मुख्यमंत्री देती है, तो यह एक बड़ा सियासी कदम हो सकता है। महिलाओं के लिए आरक्षण बिल पास हो चुका है, और इस कदम से बीजेपी महिला वोटर्स को साधने की कोशिश कर सकती है।

इससे पहले, कांग्रेस ने शीला दीक्षित को दिल्ली की मुख्यमंत्री बना कर महिला वोट बैंक पर कब्जा किया था। अब बीजेपी इस बार महिला मुख्यमंत्री के रूप में एक नया संदेश दे सकती है। हालांकि, बीजेपी के पास देशभर में कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं है, लेकिन दिल्ली में ऐसा कदम उठाकर पार्टी महिला लीडरशिप को बढ़ावा दे सकती है।

3. क्या बीजेपी दिल्ली के प्रवासी वोटर को ध्यान में रखेगी?

दिल्ली में देश के विभिन्न हिस्सों से आए हुए लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। इनमें पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड और अन्य राज्यों के लोग शामिल हैं। बीजेपी अगर मुख्यमंत्री का चयन करती है, तो क्या वह प्रवासी वोट बैंक को ध्यान में रखेगी? दिल्ली में करीब 25% पूर्वांचली वोटर हैं, और इन वोटर्स का समर्थन बीजेपी के लिए अहम हो सकता है।

दिल्ली में पहले भी कई प्रवासी मुख्यमंत्री रहे हैं, जैसे मदनलाल खुराना, शीला दीक्षित और अरविंद केजरीवाल। ऐसे में बीजेपी भी प्रवासी सीएम को मौका दे सकती है, ताकि दिल्ली के अलग-अलग राज्यों से आए लोग पार्टी के साथ जुड़ें और उसका समर्थन करें।

4. डबल इंजन सरकार से तालमेल जरूरी

बीजेपी हमेशा “डबल इंजन” सरकार की बात करती है, जिसका मतलब है कि राज्य और केंद्र दोनों जगह एक ही पार्टी की सरकार हो। अब तक दिल्ली में ऐसा कभी नहीं हुआ है, लेकिन अगर इस बार बीजेपी दिल्ली में जीतती है, तो यह पहली बार होगा जब दिल्ली और केंद्र दोनों जगह बीजेपी की सरकार होगी। ऐसे में बीजेपी को अपने मुख्यमंत्री का चयन करते वक्त यह सुनिश्चित करना होगा कि जो भी नेता चुना जाए, वह केंद्र और राज्य दोनों के बीच अच्छा तालमेल बना सके।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ अच्छा संबंध और सियासी सामंजस्य बनाए रखना पार्टी के लिए बहुत अहम होगा। इसलिए बीजेपी यह ध्यान रखेगी कि मुख्यमंत्री का चुनाव इस आधार पर हो, ताकि दिल्ली में विकास और सियासी टकराव से बचा जा सके।

5. वफादारी फैक्टर भी बनेगा आधार

बीजेपी में हमेशा पार्टी के अंदर से ही मुख्यमंत्री चुने जाते हैं। पार्टी अपने कैडर से ही किसी नेता को आगे बढ़ाती है, जो पार्टी के प्रति वफादार और संघ से जुड़ा हुआ होता है। बीजेपी ने दूसरे दलों से आए हुए नेताओं को बहुत कम मुख्यमंत्री बनाया है। ऐसे में दिल्ली में भी बीजेपी किसी पार्टी कैडर के नेता को ही मुख्यमंत्री बना सकती है।

इस बार बीजेपी ने दिल्ली में कई पार्टी कार्यकर्ताओं को टिकट दिया है, और अगर पार्टी सत्ता में आती है, तो संभव है कि पार्टी इनमें से ही किसी को मुख्यमंत्री बनाए। बीजेपी यह सुनिश्चित करेगी कि जो भी मुख्यमंत्री बने, वह पार्टी के लिए वफादार हो और संघ से जुड़े रहे।

कौन बनेगा दिल्ली का CM?

बीजेपी, जो पिछले 28 सालों से दिल्ली की सत्ता से बाहर है, इस बार चुनावी मैदान में उतरी है। आखिरी बार बीजेपी की मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज थीं। अब अगर बीजेपी इस बार दिल्ली में जीत दर्ज करती है, तो सबसे बड़ा सवाल यही है कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? इस सवाल पर इन दिनों खूब चर्चा हो रही है। आइए, जानते हैं उन तीन संभावित चेहरों के बारे में जिन्हें बीजेपी दिल्ली में मुख्यमंत्री बना सकती है।

दिल्ली में जीती बीजेपी तो कौन होगा CM?

1. मनोज तिवारी को मिल सकती है कमान

अगर इस बार बीजेपी दिल्ली में जीत हासिल करती है, तो सबसे ज्यादा चर्चा मनोज तिवारी के नाम की हो रही है। मनोज तिवारी को पूर्वांचल के बड़े नेता के रूप में जाना जाता है और उन्होंने दिल्ली प्रदेश बीजेपी की जिम्मेदारी भी संभाली है। इसके अलावा, वह दो बार से सांसद भी रहे हैं। बीजेपी ने दिल्ली में हमेशा मनोज तिवारी को एक प्रमुख चेहरा बनाकर रखा है। ऐसे में अगर बीजेपी सत्ता में आती है, तो हो सकता है कि पार्टी मनोज तिवारी को मुख्यमंत्री बना दे, क्योंकि उनकी छवि दिल्ली में काफी मजबूत मानी जाती है।

2. विजेंदर गुप्ता को मिल सकती है जिम्मेदारी

दिल्ली के रोहिणी विधानसभा से बीजेपी के प्रत्याशी और विधायक विजेंदर गुप्ता का नाम भी चर्चा में है। विजेंदर गुप्ता ने पिछले 10 सालों में दिल्ली में बीजेपी की मजबूत पहचान बनाई है और आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुखर होकर विपक्ष की भूमिका निभाई है। पार्टी के अंदर उनकी पकड़ काफी मजबूत है। अगर बीजेपी इस बार जीत जाती है, तो गुप्ता पर दांव लगाना भी पार्टी के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। उनका संगठन में अच्छा नेटवर्क और पार्टी कैडर के बीच मजबूत संबंध उन्हें सीएम कैंडिडेट बना सकते हैं।

3. वीरेंद्र सचदेवा भी हो सकते हैं सीएम के दावेदार

दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकी है। उनका नाम भी अब दिल्ली बीजेपी के बड़े चेहरों में शुमार हो गया है। अगर बीजेपी को दिल्ली में जीत मिलती है, तो उनका योगदान भी अहम होगा। पार्टी के अध्यक्ष के रूप में उनकी मेहनत और पार्टी के लिए किया गया काम भी इस बार सीएम चेहरे के चयन में प्रभावी हो सकता है। हालांकि, यह अभी सिर्फ कयास है, लेकिन अगर पार्टी को जीत मिलती है तो वीरेंद्र सचदेवा का नाम भी सीएम के दावेदारों में हो सकता है।