साल 2025 में हुआ दिल्ली विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए यह एक बुरी याद बनकर रह गया है। 15 सालों तक दिल्ली की सत्ता में रहने वाली कांग्रेस पार्टी इस बार ऐसा शर्मनाक प्रदर्शन करेगी, खुद पार्टी के आलाकमान नेताओं ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। 70 सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली, और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पार्टी के 80 प्रतिशत उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो गई। कांग्रेस पार्टी का यह खाता बिल्कुल खाली रहा और केवल 3 उम्मीदवारों ने अपनी जमानत बचाई।
कांग्रेस की जमानत जब्त, कौन-कौन थे नाम?
दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सभी 70 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे। हालांकि, इनमें से महज तीन उम्मीदवार अपनी जमानत बचाने में कामयाब हो पाए। इनमें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव का नाम सबसे पहले आता है, जिन्होंने बादली से चुनाव लड़ा था। उन्हें कुल 41,071 वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे। इसके अलावा, कस्तूरबा नगर से चुनाव लड़े कांग्रेस के अभिषेक दत्त और नागलोई जाट से चुनाव लड़े रोहित चौधरी भी अपनी जमानत बचाने में कामयाब रहे।
अध्यक्ष देवेंद्र यादव के अलावा, अभिषेक दत्त ने 23,000 से अधिक वोट हासिल किए, और रोहित चौधरी 32,028 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। इस परिणाम के बाद कांग्रेस की जो हालत सामने आई, उसने पार्टी के अंदर गहरी निराशा फैला दी।
कांग्रेस के बड़े नेताओं का भी बुरा हाल
दिल्ली में कांग्रेस के कई बड़े नेता ऐसे रहे जिन्होंने अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। इनमें पूर्व मंत्री हारून यूसुफ, महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अलका लांबा, पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित, और कांग्रेस नेता राजेश लिलोठिया जैसे बड़े नाम शामिल हैं। इन नेताओं की जमानत जब्त हो गई, और पार्टी का यह शर्मनाक प्रदर्शन साबित करता है कि दिल्ली के मतदाताओं ने कांग्रेस को पूरी तरह नकार दिया। दिल्ली में पार्टी का प्रदर्शन इतना खराब था कि वह तीसरे या चौथे स्थान तक भी नहीं पहुंच सकी। कई सीटों पर तो कांग्रेस को 8,000 से भी कम वोट मिले, जिससे यह साफ हो गया कि पार्टी दिल्ली के लोगों के दिलों से पूरी तरह बाहर हो चुकी है।
कांग्रेस का इतिहास, जो अब धूमिल हो गया
कांग्रेस पार्टी ने 1998 से 2013 तक लगातार तीन बार दिल्ली में सत्ता का आनंद लिया था। लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। 70 सीटों में से एक भी सीट पर जीत न मिलने का यह तीसरा मौका है, जब कांग्रेस को दिल्ली में खाता नहीं खोल पाई। यह पार्टी के लिए एक बहुत बड़ा झटका है, खासकर तब जब वह पहले ही दिल्ली की राजनीति में अपने मजबूत अस्तित्व के लिए जानी जाती थी।
बीजेपी का शानदार प्रदर्शन
दिल्ली चुनाव में बीजेपी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और शानदार वापसी की। 27 साल बाद बीजेपी ने दिल्ली की सत्ता में वापसी की है और 70 में से 48 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी दिल्ली में अपनी सरकार को बचाए रखते हुए 22 सीटों पर जीत हासिल की। कांग्रेस के अलावा, दिल्ली में भाजपा और आम आदमी पार्टी की लड़ाई थी, लेकिन कांग्रेस के लिए यह चुनाव किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा। पार्टी का राजनीतिक भविष्य अब दांव पर है और उसे यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि उसने दिल्ली में इस तरह की स्थिति क्यों बनाई।
क्यों कांग्रेस को लगा बड़ा झटका?
दिल्ली में कांग्रेस की हार का बड़ा कारण पार्टी के अंदर की कलह, लीडरशिप की कमी और स्थानीय मुद्दों से गायब होना हो सकता है। जबकि आम आदमी पार्टी ने भ्रष्टाचार, शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों को अपनी ताकत बना लिया था, वहीं बीजेपी ने मोदी सरकार की योजनाओं और दिल्ली में विकास को मुद्दा बनाया। इसके विपरीत, कांग्रेस अपने वोट बैंक को कायम रखने में नाकाम रही और परिणामस्वरूप वोटर ने उसे नकार दिया। कांग्रेस का यह चुनावी प्रदर्शन पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा, क्योंकि उसे अब यह समझने की जरूरत है कि दिल्ली में उसकी हार के पीछे क्या कारण थे।
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