Delhi Assembly Election 2025

क्या होती है आचार संहिता? इसके लागू होने से क्या आतें है बदलाव और क्यों लगती है पाबंदिया?

दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने आचार संहिता लागू कर दी है, जो नई सरकार बनने तक जारी रहेगी। इस दौरान कई नियम लागू होते हैं और कई चीजों पर रोक लग जाती है।

आचार संहिता के चलते सरकार किसी नई योजना का ऐलान नहीं कर सकती। चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक सरकारी फैसलों में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए ये कदम उठाए जाते हैं। जानिए, आचार संहिता लागू होने पर क्या-क्या बदलता है और क्यों यह जरूरी है।

दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। चुनाव आयोग के मुताबिक, 5 फरवरी को वोटिंग होगी और 8 फरवरी को नतीजे घोषित किए जाएंगे। इस बार 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं, जिसमें लगभग 1 करोड़ 55 लाख 24 हजार 858 वोटर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे।

चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही आचार संहिता लागू हो गई है। इसका मतलब है कि अब सरकार कोई नई योजना की घोषणा नहीं कर सकती, किसी भी तरह के बड़े प्रोजेक्ट्स या फंड्स का ऐलान नहीं होगा, और सरकारी मशीनरी का उपयोग केवल जरूरी कामों के लिए होगा। यह कदम चुनाव को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाए रखने के लिए उठाया जाता है।

आचार संहिता लागू होने का कारण?

किसी राज्य में चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही आचार संहिता लागू हो जाती है। इसका मतलब है कि चुनाव आयोग कुछ खास नियम और पाबंदियां लागू करता है, ताकि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से हो सकें। इस दौरान कई सरकारी कामकाज और घोषणाएं रोक दी जाती हैं।

अगर कोई राजनीतिक पार्टी इन नियमों का उल्लंघन करती है, तो चुनाव आयोग कार्रवाई कर सकता है। यहां तक कि उनकी चुनाव लड़ने की अनुमति भी रद्द की जा सकती है। आचार संहिता का मुख्य उद्देश्य है कि चुनावी प्रक्रिया साफ-सुथरी और निष्पक्ष बनी रहे।

दिल्ली में आचार संहिता लागू, क्या होंगे नियम?

अगर राज्य में आचार संहिता लागू हो जाती है, तो सरकार कोई भी नई योजनाओं की घोषणा, परियोजनाओं का शिलान्यास, लोकार्पण या भूमिपूजन नहीं कर सकती। वहीं, अगर किसी पार्टी के उम्मीदवार या उनके समर्थक को रैली करनी है या जुलूस निकालना है, तो उन्हें पहले पुलिस से इजाजत लेनी होगी।

चुनाव आयोग की गाइडलाइन्स के मुताबिक, किसी भी नेता को धर्म या जाति के नाम पर वोट मांगने की अनुमति नहीं है। इसके साथ ही, उन्हें ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए जिससे जाति या धर्म के बीच विवाद या मतभेद पैदा हो। बिना किसी की अनुमति के किसी के घर या दीवार पर झंडे या बैनर लगाना मना है। मतदान वाले दिन शराब की दुकानें बंद रहेंगी, और मतदाताओं को शराब देकर प्रभावित करने पर सख्त पाबंदी है।

चुनाव के दिन आचार संहिता के नियमों का सख्ती से पालन जरूरी है। यह सुनिश्चित करना होगा कि मतदान केंद्र के पास किसी भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार के कैंप में भीड़ न हो। साथ ही, इन कैंपों में कोई प्रचार सामग्री या खाने-पीने की चीजें मौजूद नहीं होनी चाहिए।

चुनाव आयोग ने साफ निर्देश दिए हैं कि कोई भी राजनीतिक दल, उम्मीदवार या उनके समर्थक ऐसा कोई काम न करें जो आचार संहिता का उल्लंघन करता हो। जैसे, वोटरों को पैसे देकर वोट खरीदने की कोशिश करना, उन्हें डराना-धमकाना, फर्जी वोटिंग कराना, या मतदान केंद्र तक लाने-ले जाने के लिए वाहन उपलब्ध कराना।

चुनाव के दौरान नेताओं के कार्यक्रमों पर नजर रखने के लिए आयोग पर्यवेक्षक यानी ऑब्जर्वर नियुक्त करता है। आचार संहिता लागू रहने तक किसी भी सरकारी कर्मचारी का तबादला नहीं किया जा सकता।

 

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