Delhi Vidhan Sabha Election 2025

बीजेपी ने मुस्लिम बहुसंख्यक मुस्तफाबाद में किया खेला! कांग्रेस, आप और ओवैसी सब हुए ढेर

दिल्ली के चुनाव परिणामों में सबसे ज्यादा चर्चा मुस्तफाबाद सीट की हो रही है। यहां मुस्लिम बहुल इलाके से बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट 30 हजार वोटों से आगे चल रहे हैं। यह तब है जब चुनाव से कुछ दिन पहले ही बीजेपी ने मोहन सिंह बिष्ट को यहां टिकट दिया था। बिष्ट पहले करावल नगर सीट से विधायक थे।

इस सीट पर आम आदमी पार्टी ने आदिल अहमद, एआईएमआईएम ने ताहिर हुसैन और कांग्रेस ने अली मेहदी को मैदान में उतारा था।

मुस्तफाबाद विधानसभा सीट के क्या रहे आकड़े

मुस्तफाबाद सीट पर मुसलमानों की आबादी लगभग 40 प्रतिशत है, जबकि ठाकुर और दलित मतदाता भी महत्वपूर्ण हिस्से में हैं। यहां ठाकुर मतदाता करीब 12 प्रतिशत हैं और दलित मतदाता 10 प्रतिशत के आसपास हैं। इस तरह, मुस्तफाबाद में कुल मिलाकर 40 प्रतिशत मुसलमान और 60 प्रतिशत हिंदू हैं। मुस्तफाबाद दिल्ली के टॉप-5 मुस्लिम इलाकों में से एक माना जाता है। यह सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी।

मुस्तफाबाद में बीजेपी ने किया खेला

उम्मीदवार सिलेक्शन 

मुस्तफाबाद सीट पर बीजेपी के लिए उम्मीदवार का चुनाव काफी सोच-समझ कर किया गया। जगदीश प्रधान, जो इस सीट के लिए बीजेपी के मजबूत दावेदार थे, को अचानक बाहर कर दिया गया और उनकी जगह मोहन सिंह बिष्ट को मैदान में उतारा गया। मोहन सिंह बिष्ट पहले करावल नगर से विधायक रहे थे, लेकिन उनकी सीट अब हिंदू नेता कपिल मिश्रा को दे दी गई। बिष्ट का मुस्तफाबाद सीट पर अच्छा नेटवर्क था, और उनकी छवि एक सामान्य और जमीनी नेता की है। इस छवि का फायदा बीजेपी को चुनाव में मिला।

ताहिर का मैदान में उतरना 

आदिल अहमद को आम आदमी पार्टी ने मुस्तफाबादा सीट से उम्मीदवार बनाया था। आदिल, पूर्व विधायक हसन अहमद के बेटे हैं। लेकिन आखिरी वक्त में असदुद्दीन ओवैसी ने यहां ताहिर हुसैन को उम्मीदवार बना दिया। ताहिर हुसैन दिल्ली दंगे के आरोपी हैं। पर्चा दाखिल करने के बाद ताहिर को प्रचार करने की इजाजत के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा। कोर्ट से इजाजत मिलने के बाद ताहिर प्रचार करने मैदान में उतरे। ताहिर के चुनावी मैदान में उतरने से चुनाव का माहौल पूरी तरह से हिंदू और मुस्लिम के बीच हो गया।

 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव में उतरे

मुस्तफाबाद सीट पर 5 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव में उतरे थे, और इसका सीधा असर आम आदमी पार्टी (AAP) पर पड़ा। कांग्रेस के अली मेहदी हालांकि चौथे स्थान पर रहे, लेकिन उनका मुख्य काम मुसलमानों के वोटों को बांटना था। वहीं, दूसरी ओर, एक हिंदू उम्मीदवार को छोड़कर किसी भी हिंदू उम्मीदवार को 1000 से ज्यादा वोट नहीं मिले।

डोर टू डोर कैंपेन

बीजेपी ने मुस्तफाबाद सीट पर डोर टू डोर कैंपेन पर जोर दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने यहां की जिम्मेदारी ली। मोहन सिंह बिष्ट की मजबूत जमीनी पकड़ और अनुराग की रणनीति के कारण बीजेपी को मुस्लिम बहुल मुस्तफाबाद सीट पर बड़ी जीत मिली।

 टिकट बदलना पड़ा भारी

2020 में हाजी युनूस ने बीजेपी के जगदीश प्रधान को हराया था, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी ने उनका टिकट बदलकर आदिल को मैदान में उतार दिया। आदिल हिंदू वोटरों को अपने पक्ष में नहीं लुभा पाए, और इसका नतीजा ये हुआ कि इस सीट पर आप को हार का सामना करना पड़ा। अगर आदिल को मुस्लिम वोटों के साथ-साथ हिंदू वोट भी मिल जाते, तो शायद नतीजा कुछ और होता। साथ ही, आदिल ताहिर के पक्ष में हुए ध्रुवीकरण को भी रोक नहीं पाए।

 

 

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