South Vs North AQI

उत्तर भारत में प्रदूषण की चादर, फिर भी दक्षिण भारत की हवा इतनी साफ कैसे? जानें इसके पीछे का पूरा साइंस

दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में इन दिनों प्रदूषण ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। सोमवार और मंगलवार को दिल्ली में हवा इतनी गंदी हो गई कि कई इलाकों में AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 500 के पार चला गया। यह आंकड़ा तो है ही खतरनाक, लेकिन जब दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में हवा का हाल ऐसा है, तो सवाल उठता है कि दक्षिण भारत के शहरों में हवा इतनी साफ क्यों रहती है? तो आइए, हम समझते हैं कि दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के क्या कारण हैं, और दक्षिण भारत की हवा साफ रखने के पीछे की असली वजह क्या है।

दिल्ली की हवा इतनी खराब क्यों है? 

दिल्ली में प्रदूषण (Delhi pollution reasons) का बढ़ना कोई नई बात नहीं है। हर साल सर्दियों में दिल्ली की हवा में ऐसी खतरनाक धुंआ फैल जाता है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। सर्दियों में प्रदूषण की समस्या बढ़ने का मुख्य कारण है ठंडी हवाएं। जब दिल्ली में सर्दी (winter pollution in Delhi) आती है, तो ठंडी हवा प्रदूषकों को एक जगह पर घेरकर उन्हें हवा में स्थिर कर देती है। इससे प्रदूषण वायुमंडल में फंसा रहता है, और हवा की गुणवत्ता घट जाती है।

दिल्ली की जहरीली हवा: AQI के हिसाब से जानिए, कितनी सिगरेट के बराबर है प्रदूषण!

इसके अलावा, सर्दियों में ठंडी हवाओं के कारण वायुमंडल में नमी भी कम हो जाती है, जिससे प्रदूषण कण हवा में बने रहते हैं और आसानी से फैल नहीं पाते। इसके विपरीत, गर्मी में हवा में नमी होती है, जो प्रदूषण को फैलने का मौका देती है।

औद्योगिकीकरण और गाड़ियां

दिल्ली में औद्योगिकीकरण बहुत तेज़ी से बढ़ा है। हर रोज़ यहां सैकड़ों कारखाने, निर्माण कार्य, और दूसरी औद्योगिक गतिविधियां होती हैं, जो हवा को गंदा करती हैं। इसके अलावा, दिल्ली में गाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इनसे निकलने वाला धुआं और कार्बन मोनोऑक्साइड हवा को जहरीला बना देता है। खासकर सर्दियों में, जब गाड़ियों का धुआं हवा में और ज्यादा रुक जाता है, प्रदूषण का स्तर और बढ़ जाता है।

पराली जलाना

सर्दी में पराली जलाने की समस्या और भी गंभीर हो जाती है। पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसान हर साल अक्टूबर-नवंबर में लाखों टन पराली जलाते हैं। इससे निकलने वाला धुआं सीधे दिल्ली की हवा में मिल जाता है, और इससे प्रदूषण का स्तर अचानक बढ़ जाता है।

ठंडी हवाएं और कम नमी

दिल्ली का मौसम और भौगोलिक स्थिति भी प्रदूषण बढ़ाने का कारण है। सर्दियों में ठंडी हवाएं प्रदूषकों को हवा में फंसा देती हैं, जिससे ये धुंआ वायुमंडल में स्थिर रहता है। इसके अलावा, दिल्ली की हवा में नमी की कमी होती है, जिससे प्रदूषक तत्व हवा में लंबे समय तक बने रहते हैं और हवा की गुणवत्ता घट जाती है।

 दक्षिण भारत की हवा इतनी साफ क्यों है?

अब सवाल ये उठता है कि दिल्ली जैसी भीड़-भाड़ और प्रदूषण वाले देश में दक्षिण भारत (South India clean air) के शहरों की हवा इतनी साफ क्यों रहती है? इसका जवाब कुछ खास कारणों में छिपा है।

South India clean air cities like Chennai, Bengaluru

समुद्र से आने वाली ताजगी भरी हवाएं

दक्षिण भारत के ज्यादातर शहर समुद्र के पास स्थित हैं। जैसे चेन्नई, बेंगलुरु, और कोच्चि। ये शहर समुद्र से लगातार ताजगी भरी हवाएं पाते हैं, जो प्रदूषकों को इधर-उधर बिखेर देती हैं। हवा में फैले प्रदूषक तत्व समुद्र से आती हवाओं के चलते कहीं और चले जाते हैं और हवा साफ रहती है।

‘कोर्ट रूम के अंदर AQI है 990’, दिल्ली में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, जानें किसे लगाई फटकार

दिल्ली में ऐसा कुछ नहीं है, जहां हवा को बाहर की तरफ फेंका जा सके। यहां की हवा में प्रदूषण कण फंसे रहते हैं, और यही कारण है कि प्रदूषण बढ़ जाता है।

प्राकृतिक संरचनाएं

दक्षिण भारत (air quality management in South India) में जंगलों और पहाड़ों की बहुतायत है। जैसे केरल और तमिलनाडु में पश्चिमी घाट की पर्वत श्रृंखलाएं, जो प्रदूषण को फैलने से रोकने में मदद करती हैं। इन प्राकृतिक संरचनाओं की वजह से प्रदूषण कण हवा में फैल नहीं पाते।

दिल्ली में ऐसा नहीं है। यहां की हवा में प्रदूषण के तत्व खुले में फैलते जाते हैं और किसी भी प्राकृतिक संरचना की कमी है, जो इन्हें रोक सके।

कम औद्योगिकीकरण

दक्षिण भारत के शहरों में औद्योगिकीकरण उत्तर भारत के मुकाबले कम है। दिल्ली और उत्तर भारत के बड़े शहरों में फैक्ट्रियां, गाड़ियां, और इंडस्ट्रीज ज्यादा हैं, जो प्रदूषण का कारण बनती हैं। वहीं, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद में इंडस्ट्री का स्तर इतना ज्यादा नहीं है, जिससे प्रदूषण को बढ़ने से रोका जा सकता है।

पब्लिक ट्रांसपोर्ट का बेहतर इस्तेमाल

दक्षिण भारत के शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का बहुत अच्छा नेटवर्क है। यहां लोग निजी गाड़ियों की बजाय बस, मेट्रो और ट्रेन का इस्तेमाल करते हैं। इससे सड़क पर गाड़ियों की संख्या कम रहती है और प्रदूषण का स्तर घटता है।

Delhi Air Pollution: दिल्ली-NCR की हवा बनी दमघोंटू, इससे बचने के लिए रखें इन बातों का ध्यान

इसके अलावा, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद जैसे शहरों में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे कार्बन उत्सर्जन कम हो रहा है और प्रदूषण में कमी आ रही है।

कड़ी प्रदूषण नियंत्रण नीतियां

दक्षिण भारत के राज्यों ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कड़ी नीतियां बनाई हैं। तमिलनाडु, केरल, और कर्नाटका में वाहनों से निकलने वाले धुएं के मानकों को सख्ती से लागू किया जाता है। इसके अलावा, यहां की राज्य सरकारें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देती हैं, जो प्रदूषण को कम करने में मदद करता है।

ग्रीन पॉलिसी और पेड़-पौधों का रोल

दक्षिण भारत में ग्रीन पॉलिसी पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। यहां पेड़-पौधों की संख्या बढ़ाने और पार्कों को बनाए रखने पर जोर दिया जाता है। इससे हवा की गुणवत्ता बेहतर रहती है और प्रदूषण को फैलने से रोका जा सकता है।