रोहिंग्या

जम्मू में फिर तेज हुई रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने की मांग, शिवसेना और डोगरा फ्रंट ने किया प्रदर्शन

जम्मू संभाग में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने की मांग एक बार फिर से तेज हो गई है। बता दें कि रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने के लिए शिवसेना और डोगरा फ्रंट के कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि बांग्लादेश और म्यांमार से आए शरणार्थियों का मंत्री और मुख्यमंत्री समर्थन करते हैं। क्योंकि वो कहते हैं कि शरणार्थियों को भगवान भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है।

मंत्री पर केस दर्ज करने की मांग

जम्मू के प्रदर्शनकारियों ने मंत्री जावेद राणा पर मामला भी दर्ज करने की मांग की है। डोगरा फ्रंट के कार्यकर्ताओं ने उमर अब्दुल्ला सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बांग्लादेश और म्यांमार से आए शरणार्थियों का मंत्री समर्थन करते हैं। क्योंकि मुख्यमंत्री भी कह रहे हैं कि शरणार्थियों को भगवान भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है।

फारूक अब्दुल्ला करते हैं शरणार्थियों का समर्थन?

डोगरा फ्रंट के कार्यकर्ताओं ने कहा पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला रोहिंग्या शरणार्थियों का समर्थन करते हैं। गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर खुलकर समर्थन में आ गये हैं। फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि जम्मू कश्मीर में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों को बिजली और पानी मुहैया कराया जाना चाहिए। जम्मू के लखनपुर में नेशनल कांफ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला मीडिया से बात करने के दौरान ये बात कही थी। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हजारों रोहिंग्या को भारत सरकार बतौर रिफ्यूजी लाई थी, शरणार्थियों को नेशनल कांफ्रेंस ने नहीं बसाया है। पूर्व मुख्यमंत्री के मुताबिक रोहिंग्या शरणार्थियों को बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार का फर्ज है।

शिवसेना और डोगरा फ्रंट ने किया प्रदर्शन

वहीं डोगरा फ्रंट के कार्यकर्ताओं ने कहा कि केंद्र का एक प्रतिनिधि जम्मू में बैठा हुआ है। प्रशासन ने कुछ साल पहले कई रोहिंग्या शरणार्थियों को जेल भेजा था। इस प्रशासन की कार्रवाई से पता चलता है कि शरणार्थियों को वापस भेजने की नीति स्पष्ट है।

रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने की मांग तेज

शिवसेना और डोगरा फ्रंट के कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि शरणार्थियों के तार कई आतंकी हमलों से जुड़े हुए हैं। बता दें कि भारतीय जनता पार्टी भी जम्मू में रोहिंग्या और बांग्लादेशी शरणार्थियों के मुद्दे पर आक्रामक है। वहीं दूसरी तरफ उमर सरकार शरणार्थियों को बिजली-पानी की बुनियादी सुविधाएं देना कर्तव्य बता रही है। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन के निर्देश पर शरणार्थियों की बस्तियों में बिजली-पानी का कनेक्शन काट दिया गया था।