गाजा में तबाही, रमज़ान में सबसे बड़ा हमला, इजरायली एयरस्ट्राइक में 413 की मौत

गाजा में मातम पसरा हुआ है। चारों तरफ चीख-पुकार मची हुई है। रमज़ान के पाक महीने में इजरायल ने सबसे बड़ा हमला किया है। अब तक 413 लोगों की जान जा चुकी है। अस्पतालों में शवों का ढेर लगा है, घायल लोगों की संख्या भी हजारों में पहुंच चुकी है। इनमें सबसे ज्यादा महिलाएं और मासूम बच्चे शामिल हैं।

हर तरफ तबाही, गाजा में नरसंहार

गाजा में उत्तर से लेकर दक्षिण तक, हर जगह इजरायली बमबारी का कहर टूटा है। दीर अल-बलाह, खान यूनिस और राफा समेत कई इलाकों में लोगों के शव सड़कों पर पड़े हैं। अस्पतालों में हर तरफ लाशों की कतारें हैं। गाजा के अस्पताल निदेशक डॉ. मोहम्मद जकाउत का कहना है, “आज इजरायली सेना ने गाजा के कई इलाकों में नरसंहार किया है। 400 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हैं। अस्पतालों में संसाधन खत्म हो रहे हैं।”

हमास के बड़े नेताओं की भी मौत

इजरायली हमले में हमास के कई बड़े नेता मारे गए हैं। इनमें हमास सरकार के प्रमुख महमूद अबू वाटफा, आंतरिक मंत्रालय के महानिदेशक, हमास के राजनीतिक ब्यूरो सदस्य अबू ओबैदा मोहम्मद अल-जमासी और इस्साम अ-दालीस शामिल हैं। इसके अलावा हमास के आंतरिक सुरक्षा प्रमुख बहजत अबू सुल्तान और न्याय मंत्रालय के महानिदेशक अबू अम्र अल-हत्ता भी इन हमलों का शिकार बने। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि इन हमलों में सबसे ज्यादा नुकसान आम लोगों को हुआ है। बड़ी संख्या में बच्चे मारे गए हैं।

इजरायल बोला- ‘हमास ने युद्धविराम ठुकराया’

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इन हमलों को सही ठहराते हुए कहा कि उन्होंने ही सेना को हमास के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आदेश दिया था। उनका आरोप है कि हमास ने बंधकों को रिहा करने और युद्धविराम के प्रस्तावों को ठुकरा दिया था। दूसरी ओर, हमास ने पलटवार करते हुए कहा कि इजरायल ने खुद संघर्षविराम के समझौते को तोड़ा है। अभी भी गाजा में 59 लोग बंधक बने हुए हैं।

गाजा में जारी है खौफ का माहौल

गाजा में 19 जनवरी से युद्धविराम लागू था, लेकिन अब हालात और भी खराब हो गए हैं। सीजफायर की उम्मीदें अब धुंधली होती दिख रही हैं। राफा बॉर्डर पर भी हालात बिगड़ते जा रहे हैं। बमबारी के बाद वहां फंसे लोगों की हालत बदतर हो गई है। इजरायली सेना लगातार ऑपरेशन तेज कर रही है। गाजा के नागरिक डर और बेबसी के साये में जी रहे हैं। मदद की गुहार लगाई जा रही है, लेकिन कोई ठोस हल अब तक नहीं निकल पाया है।

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